दीपावली पर भगवान धनवंतरी पर नेपाल ने जारी किया था डाक टिकट


दीपावली पर भगवान धनवंतरी पर नेपाल ने जारी किया था डाक टिकट 

उदयपुर के भानावत के पास 10 हजार टिकटों का अनूठा कलेक्शन

 
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उदयपुर, 13 अक्टूबर ।  नेपाल और भूटान दुनिया के ऐसे देश हैं जहां दिवाली पर भगवान धन्वंतरि के टिकट जारी किए गए थे। नेपाल में वर्ष 1977 में आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वंतरि पर 30 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया था। भारत के देवी-देवताओं से जुड़े ऐसे कई डाक टिकट हैं जिन्हें विदेशों ने जारी किया है लेकिन, भारत में अब तक वे जारी नहीं हुए हैं। उदयपुर के विनय भाणावत के पास ऐसे ही देश-विदेश के 10 हजार टिकटों का कलेक्शन है। यही नहीं देश के 6 राज्यों में उनके कलेक्शन की एग्जीबिशन भी लग चुकी है। वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2021 में डॉक्टर की मानद उपाधि देकर सम्मानित भी किया था।

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डाक टिकटों का अनूठा संग्रह है

वहीं कैरीबियाई देश गुयाना ने दीपावली पर वर्ष 1976 में महालक्ष्मी और दीपदान पर डाक टिकटों की श्रृंखला जारी की थी। इसके साथ ही धनतेरस के दिन पूजे जाने वाले श्रीयंत्र पर एकमात्र डाक टिकट भूटान सरकार ने ही निकाला है। ऐसे ही करीब 10 हजार से ज्यादा डाक टिकटों का अनूठा कलेक्शन विनय भाणावत के पास है। भाणावत ने बताया कि भगवान धनवंतरी, श्रीयंत्र और महालक्ष्मी पर डाक टिकट विदेशों में बहुत पहले ही जारी हो चुके हैं। भारत सरकार ने 28 अक्टूबर 1997 को भारतीय औषधीय वनस्पति पर डाक टिकटों का सेट जारी किया था। उसके प्रथम दिवस आवरण पर भगवान धनवंतरी का चित्र अंकित है लेकिन डाक टिकट नहीं। 

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आज़ादी के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी डाक टिकटों तक का संग्रह मौजूद है 

विनय के पास आज़ादी के बाद केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 3 हजार से अधिक डाक टिकटों का संग्रह है। होली और दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों पर दुनिया में कहां और कब डाक टिकट जारी किए गए, यह सभी का संग्रह है। सभी डाक टिकटों को लगभग 40 पुस्तकों में संरक्षित किया गया है। उनके इस अनोखे कलेक्शन को देखने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

नेहरू ने जारी किया पहला डाक टिकट

भानावत के पास 1947 में आजादी के बाद पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा जारी किए गए दो डाक टिकट भी हैं। पहला डाक टिकट तिरंगे पर और दूसरा सेना के विमान पर जारी किया गया था। इसके बाद 1948 में बापू के नाम पर महात्मा गांधी की तस्वीर वाला एक डाक टिकट जारी किया गया। 1951 में पहले एशियाई खेलों के बाद से साल दर साल उन्होंने तुलसीदास, सूरदास, रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और शिवाजी जैसे महापुरुषों पर डाक टिकट है।

देशभर में हुआ प्रदर्शन, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने दी डिग्रियां

उनका डाक टिकट संग्रह उड़ीसा, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में प्रदर्शित किया गया है। लोगों को इनकी एगजीबीशन खासा आकर्षित करती है। उन्हें प्रदर्शन में कई पुरस्कार मिले हैं। इन संग्रहों के कारण, उन्हें 2021 में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।

Source- Dainik Bhaskar

 

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