कर्मचारियों के वेतन से RGHS के नाम पर कटौती परन्तु इलाज नहीं मिल रहा


कर्मचारियों के वेतन से RGHS के नाम पर कटौती परन्तु इलाज नहीं मिल रहा 

राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री व सीएस को भेजे मांगपत्र

 
RGHS

उदयपुर 31 मई 2024। राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार से RGHS स्कीम की पुनः समीक्षा कराते हुए दवाइयां एवं जांचों का विस्तार सहित आवश्यक सुधार कर प्रदेश के लाखों कर्मचारी एवं पेंशनर्स को राहत दिलवाने की मांग की है। 

संघ के प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान व प्रांतीय महामंत्री राजेश शर्मा ने मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजे मांगपत्र में लिखा है कि राज्य कर्मचारियों के उपचार के लिए चलाई जा रही RGHS योजना में कर्मचारियों और सेवानिवृत्त कार्मिकों को सरकारी व निजी अस्पतालों तथा मेडिकल स्टोर्स पर पूरी तरीके से दवाइयां नहीं मिल रही है। 

कर्मचारियों को जेब से पैसा खर्च कर निजी मेडिकल की दुकानों से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं और विभिन्न जांच भी अपने स्तर पर करानी पड़ रही है। स्कीम के तहत राज्य कर्मचारी एवं पेंशनर्स को सूचीबद्ध अस्पतालों में एवं मेडिकल स्टोर्स पर समुचित इलाज उपलब्ध नहीं करने एवं दवाइयां उपलब्ध नहीं करने हेतु प्रत्येक जिला मुख्यालय पर एवं राजधानी में प्रभावी मॉनिटरिंग शिकायत एवं उनके निवारण हेतु सक्षम अधिकारियों को जिम्मेदारी देते हुए जवाबदेही तय कराने की मांग की है। 

प्रदेश महामंत्री राजेश शर्मा ने बताया कि सरकार को भेजे  ज्ञापन में लिखा है कि आरजीएचएस योजना में पिछले साल तक चिकत्सकों की ओर से लिखी गई सभी दवाइयां  मिलती थी। लेकिन धीरे-धीरे महत्वपूर्ण बीमारियों की दवाइयां कम की जा रही है। ऐसे में कर्मचारियों को जेब से पैसा खर्च कर निजी मेडिकल की दुकानों से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। यही नहीं चयनित अस्पतालों में मरीजों को भर्ती की सुविधा सिर्फ पांच दिन तय कर रखी है। अगर छठे दिन भी तबीयत खराब रहती है तो उसे स्वयं से खर्चे पर इलाज कराना पड़ता है । इसके अलावा गुजरात दिल्ली आदि पड़ोसी राज्यों के सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में राज्य कर्मचारी एवं उनके आश्रित परिवारजनों को इलाज की धीरे-धीरे अघोषित रूप से बंद कर दी गई है जिससे राज्य कर्मचारियों को अपने खर्चे पर महंगा इलाज कराना पड़ रहा है ।

प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान के मुताबिक सरकार को दवाइयां जांचों में कटौती की बजाय विस्तार कराते हुए वृद्ध एवं महिला कर्मचारियों की विशेष जरूरतों को देखते हुए आयरन, कैल्शियम, मल्टीविटामिन जैसी दवाइयां को शामिल कराने, दांतों, स्किन से संबंधित बीमारियों का इलाज के साथ कैंसर, हार्ट, शुगर में तय 6 दिन की लिमिट बढ़ाकर गंभीर बीमारियों के रोगियों हेतु अपेक्षित राहत दिलाए जाने का अनुरोध किया है।

मरीजों को मेडिकल स्टोर्स पर भी नहीं मिलती पूरी दवाइयां, प्रभावी मॉनिटरिंग, शिकायत सुनने निवारण की नहीं है व्यवस्था

प्रदेश महामंत्री राजेश शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार की आरजीएचएस योजना में शामिल प्रदेश के विभिन्न जिलों के मेडिकल स्टोर चिन्हित किए हुए है। परंतु चिन्हित दुकानदार साइट नहीं चलने तथा आरजीएचएस योजना में उक्त दवाइयां अंकित नहीं होना कहकर आधी अधूरी दवा देते हैं। इससे विभिन्न जिलों में कार्मिकों को महंगे दामों पर दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।  

संघ ने सरकार से अधिकृत किए मेडिकल स्टोर्स की समय-समय पर जांच कराकर मनमानी पर अंकुश लगवाने एवं कार्मिकों को सभी दवाइयां उपलब्ध कराने हेतु प्रभावी कार्यवाही कराने की मांग की है।

निजी अस्पतालों की मनमानी के शिकार भी होते हैं मरीज

प्रदेश अध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने बताया कि  सरकार को भेजे ज्ञापन में लिखा है कि योजना में शामिल अनेक निजी अस्पताल वाले भर्ती होते ही मरोजों से प्लास्टिक आइटम के नाम पर 5 से ₹10 हजार तक एडवांस मांगते हैं। इसके अलावा डिस्चार्ज के वक्त अन्य हजारों रुपए बसूलते है। यही नहीं कई ऑपरेशन के बाद गंभीर अवस्था बता कर मरीजों को आईसीयु में तीन-चार दिन एक्स्ट्रा रख पैसा बनाते है। उन्होंने सीएम से निजी अस्पतालों में रोगियों से मनमानी वसूली पर प्रभावी अंकुश लगवाते हुए अपेक्षित सुधार कराए जाने का आग्रह किया है।

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