सीमावर्ती राज्यों की तुलना में राजस्थान में पेट्रोल और डीजल महंगा होने के विरोध में शनिवार को सुबह 6:00 बजे से रात 12:00 बजे तक जिले के सभी पेट्रोल पंप बंद रहेंगे। उदयपुर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के आव्हान पर पेट्रोल डीजल की खरीद एवं बिक्री बंद करने का निर्णय किया है।
प्रदेश में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम अधिक होने से उदयपुर जिले के पेट्रोल पंपों की बिक्री 90% तक घट गई है। उदयपुर सीमावर्ती जिला होने के कारण गुजरात एवं मध्यप्रदेश में राजस्थान के मुकाबले कम कीमतें होने से यहां से गुजरने वाले वाहन हाईवे पर लगे पेट्रोल पंप से पेट्रोल, डीजल नहीं खरीदते हैं और वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों से आने वाले वाहन आने से पूर्व ही डीजल/ पेट्रोल भरवा कर जिले की सीमा में प्रवेश करते हैं मजबूरी में आवश्यकता होने पर भी न्यूनतम मात्रा में ही पेट्रोल एवं डीजल खरीदते हैं।
पत्रकार वार्ता में जिलाध्यक्ष आर के धाभाई, सचिव राजराजेश्वर जैन, उपाध्यक्ष विकास अग्रवाल, सहसचिव मनोज गोयल, वित्त सचिव राजेंद्र जैन एवं कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित होकर बताया कि खेरवाड़ा से आगे भारत पैट्रोलियम कंपनी के स्वामित्व एवं संचालित दो पेट्रोल पंप की प्रतिदिन की बिक्री 80000 एवं 60000 लीटर प्रतिदिन थी, राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में तीन बार वेट बढ़ाने से बढ़ी कीमतों से आज इन दोनों पेट्रोल पंप की बिक्र मात्र 3000 लीटर एवं 2000 लीटर रह गई है। साथ ही ऐसे अनेक पेट्रोल पंप है जिनकी बिक्री में 90% से अधिक की गिरावट आई है पंप पर स्टाफ कम करने के बावजूद पंप संचालन के खर्चे निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
सीमावर्ती जिलों में लोग अन्य राज्यों से ड्रम एवं केन भरकर डीजल पेट्रोल ला रहे हैं और गांव में इनकी बिक्री की जा रही है। बायोडीजल के नाम पर अवैध पेट्रोलियम पदार्थ की भी बिक्री हो रही हैं इस वजह से भी सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है बावजूद इनकी पकड़ धीमी है। लोग वाहनों में भरकर अवैध बायोडीजल को तस्करी द्वारा वाहन मालिकों तक चोरी छुपे पहुंचा रहे हैं और यह मात्रा लाखों लीटर प्रतिदिन है इनसे पूर्व में आगजनी जैसी दुर्घटनाएं भी हो चुकी है।
इस अवसर पर सचिव राजराजेश्वर जैन ने बताया कि आज से 10 वर्ष पूर्व राजस्थान की सीमा में बने पेट्रोल पंप पर 'सस्ता डीजल' इस प्रकार के बोर्ड पेट्रोल पम्प मालिकों द्वारा लगाए जाते थे। आज इसके उलट स्थितियां हो गई है इससे राजस्थान की बिक्री में निरंतर गिरावट हो रही है। राज्य में वेट बढ़ाए जाने से ट्रांसपोर्ट, घरेलू उद्योग एवं अन्य सभी उद्योगों में कीमत ज्यादा रहने से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से ज्यादा लागत की मार झेल रहे हैं।
किसानों की भी सिंचाई में डीजल के महंगे दामों से उत्पादन लागत बढ़ रही है राज्य में बढ़ी हुई पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों से नए उद्योग एवं व्यवसाय को प्रवेश के पहले 10 बार सोचना पड़ता है लॉकडाउन के समय देश में कुछ राज्यों में कुछ समय के लिए अपने यहां वेट की कीमतों में वृद्धि की थी परंतु उसे वापस ले लिया है। राजस्थान ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने उस समय बढ़ाई गई वैट की दरों को भारी विरोध होने के बावजूद मामूली ही घटाया है जबकि बढ़ाया पेट्रोल पर 8 प्रतिशत एवं डीजल पर 6% था।
लॉकडाउन से पूर्व वेट पेट्रोल पर 30% था और डीजल पर 22% था जिसे बढ़ाकर 38 एवं 28% कर दिया गया था 10 अप्रैल को यह एक सांकेतिक हड़ताल है 25 अप्रैल तक राज्य सरकार ने मांगे नहीं मानी तो इसके बाद अनिश्चितकालीन समय तक की हड़ताल रखी जाएगी।
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