उदयपुर,16 जनवरी। केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के माध्यम से पीएम विश्वकर्मा योजना प्रारंभ की गई है। योजना का उद्देश्य हाथ से अथवा औजार का उपयोग करके काम करने वाले पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को पहचानना और सशक्त बनाना है। यह योजना हुनरमंदों के हौसलों को नई उड़ान दे रही है।
जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक शैलेंद्र शर्मा ने बताया कि प्रदेश में अब तक एक लाख से अधिक पंजीयन हो चुके हैं, वहीं उदयपुर जिले में वर्तमान में 873 कारीगरों ने पंजीयन कराया है। कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने कहा कि हस्तशिल्पियों और कारीगरों को संबल देने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम विश्वकर्मा योजना लागू की है।
यह है पात्रता
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के कारीगर या शिल्पकार जो स्व-रोजगार के आधार पर असंगठित क्षेत्र में हाथों और औज़ारों से काम करते हैं वे पात्र हैं। लाभार्थी को स्व-रोजगार/व्यवसाय विकास के लिए केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा पिछले 5 वर्षां में चलाई जा रही क्रेडिट-आधारित योजनाओं जैसे पीएमईजीपी, पीएम स्वनिधि, मुद्रा आदि के तहत ऋण नहीं लिया होना चाहिए। हालांकि मुद्रा और स्वनिधि के लाभार्थी जिन्होंने अपना ऋण चुका दिया है, वे पीएम विश्वकर्मा के तहत पात्र होंगे।
5 वर्ष की अवधि की गणना ऋण स्वीकृत होने की तिथि से की जाएगी। योजना के तहत पंजीकरण और लाभ परिवार के एक सदस्य तक ही सीमित रहेगा। एक परिवार को पति-पत्नी व अविवाहित बच्चों से मिलकर परिभाषित किया गया है। राजकीय कर्मचारी व उनके परिवारजन योजना के तहत पात्र नहीं होंगे।
यह है प्रक्रिया
इस योजना और इसके लिए आवेदन करने के बारे में विस्तृत जानकारी https://pmvishwakarma.gov.in/ वेबसाइट पर उपलब्ध है।
पहला चरण: मोबाइल और आधार वेरिफिकेशन: आवेदक को अपना मोबाइल और आधार वेरिफ़ाई कराना होगा।
दूसरा चरण: पंजीयन कराना: पंजीयन फॉर्म के ज़रिए आवेदक आवेदन कर पाएंगे। यह ग्राम पंचायत और शहरी निकाय के सुविधा केंद्र पर हो सकता है। इसे ऑनलाइन भी किया जा सकता है। इसके बाद आवेदन अग्रिम कार्यवाही के लिए जिला कलक्टर स्तर पर प्रेषित किए जाते हैं।
तीसरा चरण: योजना में पंजीयन कराने पर संबंधित हस्त शिल्पी को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र जारी किया जाता है। इससे आवेदक को विश्वकर्मा के रूप में पहचान मिलती है।
आवेदक को 5 दिन की बेसिक ट्रेनिंग तथा 15 दिन या इससे अधिक का कौशल उन्नयन प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिदिन 500 रूपए भत्ता भी देय है। आवेदक को अपने व्यवसाय के लिए उन्नत उपकरण खरीदने 15 हजार रूपए की सहायता ईआरयूपीआई अथवा ई-वाउचर के रूप में प्रदान की जाती है। इसके अलावा बिना जमानत के पहली किश्त के रूप में मात्र 5 प्रतिशत ब्याज दर पर 1 लाख रूपए का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। यह ऋण 18 माह में चुकाना होगा।
इसके बाद दूसरे चरण में 30 माह के लिए 2 लाख रूपए का ऋण उपलब्ध कराया जाता है। वहीं डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहित करने हर माह 100 लेनदेन पर प्रति लेनदेन 1 रूपए का कैशबेक भी देय है। इतना ही नहीं योजना के तहत पंजीकृत कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों के लिए मार्केटिंग और ब्रांडिंग में राष्ट्रीय विपणन समिति सहायता भी प्रदान करती है।
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