डॉ. मन्नालाल रावत द्वारा स्व. सीताराम येचुरी और उनके परिवार गलत पोस्ट करने पर विरोध


डॉ. मन्नालाल रावत द्वारा स्व. सीताराम येचुरी और उनके परिवार गलत पोस्ट करने पर विरोध 

सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग  

 
CPM

उदयपुर 17 सितंबर 2024। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) ,भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी-लेनिनवादी), मार्क्सवादी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (संयुक्त), उदयपुर जनहित मोर्चा सहित वामदलों व जनवादी संगठनों ने उदयपुर भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत द्वारा अपनी फेसबुक पोस्ट पर, माकपा महासचिव स्व. कामरेड सीताराम येचुरी, उनकी पत्नी व बच्चों, माकपा तथा वामपंथी दलों पर साम्प्रदायिक नफरत फैलाने के लिए, गलत तथ्यों के साथ फेक खबर फैलाने के खिलाफ शिराली भवन में पत्रकार वार्ता आयोजित की। 

पत्रकार वार्ता में माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने बताया कि माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने उदयपुर भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत के खिलाफ कानुनी कारवाई के लिए पुलिस थाना सुरजपोल में रिपोर्ट दी। मन्नालाल रावत अपनी फेसबुक पोस्ट में सीताराम द्वारा ईसाई धर्म मानने, पत्नी सीमा चिश्ती से शादी के बाद इस्लाम धर्म अपनाने, वामपंथी के हिंदु विरोधी होने, हिंदुओं को भ्रमित करने जैसी अनाप-शनाप साम्प्रदायिक नफरत फैलाने में लगे है। सीताराम येचुरी की बेटी का नाम अखिला है, जबकि सांसद ने जानबूझकर अकीला लिखा है। 

माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहां कि उदयपुर भाजपा सांसद डॉ. मन्नालाल रावत, स्व. सीताराम येचुरी, परिवार और माकपा पर झुठी, तथ्यात्यक गलत फेसबुक पोस्ट कर, धर्म के नाम पर लोगों को भड़का रहे है। सीताराम येचुरी का जन्म तेलगु ब्राह्मण परिवार में 1952 में हुआ था, जबकि माकपा के सदस्य के रूप में 23 वर्ष की उम्र 1975 में शामिल हुए थे। सीताराम येचुरी माकपा में शामिल होने के बाद किसी भी धार्मिक आयोजन, सम्मेलन, में शामिल नहीं हुए। सीताराम ने अपने वक्तव्य, लेखन, भाषण और व्यवहार में प्रत्येक व्यक्ति, समूह की धार्मिक भावना का सम्मान दिया है। सीताराम येचुरी के बेटे आशीष येचुरी का कोरोना में निधन हुआ था। सीताराम येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती के माता-पिता ने अंर्तधार्मिक शादी की। सीमा चिश्ती देश की प्रसिद्ध महिला पत्रकार है, जिसने महत्वपूर्ण मुद्दों पर जीवंत पत्रकारिता की है। देश की संसद द्वारा सीताराम येचुरी को 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद से सम्मानित किया गया है। ऐसे में भाजपा उदयपुर सांसद डॉ मन्नालाल रावत, अपने समर्थकों को धार्मिक नफरत में झोंककर माकपा नेताओं के प्रति हिंसा और नफरत फैलाने की साजिश रच रहे है। सिंघवी ने कहा कि मोदी राज में भाजपा का पार्षद से मंत्री तक बनने की एक ही योग्यता बची है कि कोई नेता कितना साम्प्रदायिक और नफरती भाषा बोल सकता है। 

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहां कि धर्म प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत आस्था है, भाजपा ठेकेदार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 25 में कहां गया है कि लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्थ्य तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंत:करण की स्वतंत्रता का और धर्म को अभाव रुप से मानने ,आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा। लेकिन भाजपा सांसद लगातार संवैधानिक बाध्यताओं का उल्लंघन कर,संविधान का अपमान कर रहे है। सबसे दुःखद बात तो यह है कि भाजपा नेता और राज्यपाल बनने के बाद भी उदयपुर घुमते रहने वाले गुलाबचंद कटारिया चुप है। भाजपा स्पष्ट करें कि सांसद की पोस्ट पर भाजपा की क्या राय है। 

भाकपा जिला सह सचिव हिम्मत चांगवाल ने कहां कि वामपंथी दल, धर्मनिरपेक्षता और प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते है। सीताराम येचुरी स्वयं नास्तिक व्यक्ति थे। फिर भी सीताराम का स्पष्ट मत था कि धर्म एक आत्मा और परमात्मा के बीच पवित्र सबंध है, उसे किसी मध्यस्थ की जरुरत नही है। वो परमात्मा कौन होगा, यह सिर्फ आत्मा को तय करने का अधिकार है। वो परमात्मा हिंदु, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, जैन कोई भी हो सकता है। जब एक आत्मा तय कर लेती है तो किसी को भी हक नहीं है कि उसमें हस्तक्षेप करें। राज्य और धर्म के बीच में संविधान ने लक्ष्मण रेखा तय की है, जिसको किसी को भी पार करने का अधिकार नहीं है।

माकपा जिला सचिव मंडल सदस्य राव गुमान सिंह ने कहा कि उदयपुर भाजपा सांसद डॉ मन्नालाल रावत का व्यवहार लगातार संविधान विरोधी साबित हो रहा है। सीताराम येचुरी के परिवार पर टिप्पणी हो या आदिवासियों पर हो, लगातार अल्पसंख्यक विरोधी बयान देना ही इनका काम है। साम्प्रदायिक नफरत फैलाकर समाज में भाईचारे और एकता को तोड़ने में लगे है। इसके खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर सदस्यता रद्द करने की मांग की जाएगी। 

उदयपुर जनहित मोर्चा संयोजक एडवोकेट अरुण व्यास ने कहां कि भारत की संस्कृति में मृत व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है। अगर हम सड़क पर चल रहे है और सामने से शव गुजरता है तो भी एक तरफ खड़े होकर नमन करते है। गली, मोहल्ले, गांव में भी शौक में शामिल होकर नमन करते है, भले ही वह व्यक्ति हमारा दुश्मन रहा हो। न्यायालय में भी मृत व्यक्ति के खिलाफ सारी कानूनी कारवाई समाप्त कर दी जाती है। संविधान में भी ससम्मान अंतिम संस्कार को वैधानिक दर्जा दिया गया है। सीताराम येचुरी तो देश के सम्मानित व्यक्ति है, जिन्होंने अपना शरीर भी मेडिकल शोध के लिए दान कर दिया है। सीताराम ऐसे नेता रहे है, जिन पर आज तक कोई भ्रष्टाचार, व्याभिचार और गलत आचरण का आरोप नही लगा है। ऐसे व्यक्ति और परिवार के खिलाफ, अपशब्दों का प्रयोग, सांसद का मानसिक दिवालियापन है।

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