वर्तमान भारतीय राजनीती में आज का दिन कांग्रेस और राहुल गाँधी के लिए राहत का दिन कहा जा सकता है। 'मोदी सरनेम' टिप्पणी मामले में राहुल गांधी को मिली 2 साल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता की अपील पर फैसला होने तक उनकी दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाई है। इससे अब उनकी संसद सदस्यता बहाल होने का रास्ता भी साफ हो गया है जो सूरत की अदालत के फैसले के बाद चली गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जैसे ही आपराधिक मानहानि केस में राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा और दोषसिद्धि पर रोक का फैसला सुनाया, कांग्रेस में खुशी की लहर दौड़ गई। ट्विटर पर कांग्रेस 'सत्य की जीत' का जश्न मना रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राहुल गांधी के नाम के साथ वायनाड के पूर्व सांसद का ठप्पा भी हट गया है। उनकी न सिर्फ संसद सदस्यता बहाल होने जा रही है बल्कि उनके 2024 का चुनाव लड़ने पर छाए संशय के बादल भी छंट गए हैं। फैसले के बाद उन्होंने कहा कि आज नहीं तो कल, सच की जीत तो होनी ही थी।
मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में राहुल को निचली अदालतों ने 2 साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'जब तक राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी।' सुनवाई की नई तारीख अभी नहीं बताई है।
कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले पर तीन सबसे जरूरी बातें कहीं
राहुल ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई 21 जुलाई को हुई। कोर्ट ने शिकायतकर्ता और राहुल से जवाब दाखिल करने को कहा। इसके बाद 2 अगस्त को फिर बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। इसके बाद 4 अगस्त तक फैसला सुरक्षित रख लिया।
राहुल गांधी ने 11 अप्रैल 2019 में बेंगलुरु के कोलार में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के दौरान मोदी सरनेम को लेकर एक बयान दिया था। इसके खिलाफ भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। सेशन कोर्ट में चार साल तक केस चला और फैसला इस साल 23 मार्च को आया था। मानहानि केस में राहुल को अधिकतम दो साल की सजा मिली। जिसके चलते उनकी सांसदी चली गई।
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