उदयपुर 21 अक्टूबर 2024। आरएनटी मेडिकल कॉलेज से जुड़े छह प्रमुख अस्पतालों में रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। 558 रेजीडेंट डॉक्टरों ने सोमवार से अपनी हड़ताल शुरू कर दी है, जिससे अस्पतालों में मरीजों को इलाज में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस हड़ताल से अस्पतालों की व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा गई हैं।
रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण आउटडोर में मरीजों की लंबी कतारें लग गई हैं। सीनियर डॉक्टरों के भरोसे मरीजों का इलाज किया जा रहा है, लेकिन रेजीडेंट डॉक्टरों की गैरमौजूदगी के चलते मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। सोमवार को करीब 70 ऑपरेशन टाल दिए गए, जिनमें छोटे और बड़े दोनों प्रकार के ऑपरेशन शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, आरएनटी मेडिकल कॉलेज और उससे जुड़े अस्पतालों के 260 सीनियर डॉक्टरों और 40 सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन इन अस्पतालों के वार्डों में मरीजों की देखभाल अब नर्सिंग स्टाफ के जिम्मे है।
इन अस्पतालों में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है। जिले में अब तक डेंगू के करीब 1000 रोगी सामने आ चुके हैं, जबकि मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में, इन बीमारियों के इलाज में सीनियर डॉक्टरों के लिए अतिरिक्त चुनौती उत्पन्न हो गई है।
आरएनटी के रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का मुख्य कारण कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना है। डॉक्टरों ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। रविवार को आरएनटी के रेजीडेंट डॉक्टरों ने एमबी अस्पताल के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की थी।
यह हड़ताल राज्यभर में फैल गई है और अन्य मेडिकल कॉलेजों के रेजीडेंट डॉक्टरों ने भी इसका समर्थन किया है। इस घटना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार को इस मामले में जल्द कदम उठाने होंगे ताकि चिकित्सा सेवाओं में कोई और संकट न आए और मरीजों को समय पर इलाज मिल सके।
रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल और उसके बाद की स्थिति
राज्यभर के रेजीडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल के माध्यम से अपनी नाराजगी जताई है और उन्होंने सुरक्षा के बेहतर उपायों की मांग की है ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। वे चाहते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहे कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति को उजागर किया है और डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है, जिसके समाधान के लिए राज्य सरकार और अस्पताल प्रबंधन को शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता है।
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