जल बचाने हर सूक्ष्म प्रयास के मंथन को उदयपुर में जुटे देशभर के जल चिंतक


जल बचाने हर सूक्ष्म प्रयास के मंथन को उदयपुर में जुटे देशभर के जल चिंतक 

उदयपुर वाटर फोरम, विद्या भवन पॉलिटेक्निक व पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय जल चिंतकों का समागम शुरू 

 
save water

जल है तो कल है और इसी कल के लिए जल की बूंद-बूंद बचाने के हर सूक्ष्म प्रयास पर मंथन करने के लिए देश भर के जल चिंतकों ने शनिवार को उदयपुर में मंथन शुरू किया। उदयपुर वाटर फोरम ( उदयपुर डेनमार्क शोध योजना), विद्या भवन पॉलिटेक्निक व पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय इस जल मंथन में देश के हर उस व्यक्ति के कार्य को जोड़ने की भी जरूरत महसूस की गई जो ठेठ ढाणी तक के स्तर पर भी जल के महत्व को समझाने के पुनीत कार्य में जुटा है, ताकि समग्र प्रयास संयुक्त होकर जल के संरक्षण के संकल्प को साकार कर सके। 

कार्यशाला के संयोजक विद्या भवन पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनिल मेहता ने बताया कि विभिन्न राज्यों से आए जल विशेषज्ञों ने जल की हर बूंद के संरक्षण के साथ जल को प्रदूषण से बचाने की जरूरत को प्रतिपादित किया। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक गोपाल आर्य ने कहा कि जन शिक्षण, जन सहभागिता व जन अभियान से ही जल का संरक्षण होगा। इसकी शुरुआत स्वयं से करनी होगी। 

केन्द्रीय जल आयोग के निदेशक शिवदत्त शर्मा ने कहा कि जल की हार्वेस्टिंग की तुलना में जलढांचों और जलमार्गों को दूषित होने से बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। यदि जलढांचों और जलमार्गों पर प्लास्टिक व अन्य रासायनिक अपशिष्ट घुलता रहेगा तो वह जल काम का ही नहीं रहेगा, ऐसे जल का भण्डारण किसी उपयोग का नहीं हो सकता। ऐसे में जल के भण्डारण के साथ उसे प्रदूषण से मुक्त रखने पर भी जागरूकता की आवश्यकता है। 

पहले दिन के विभिन्न सत्रों में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश जैन, जल शक्ति मंत्रालय के सलाहकार व राजस्थान रिवर बेसिन ऑथोरिटी के पूर्व अध्यक्ष श्रीराम वेदिरे, भूजल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक विपिन कुमार, नीर फाउंडेशन के अध्यक्ष नदीपुत्र के नाम से पुकारे जाने वाले रमनकांत त्यागी, नर्मदा नदी पर कार्यरत संस्था नर्मदा समग्र के सीईओ कार्तिक सप्रे, पर्यावरणविद एवं सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट पुनीत शोरण, पंजाब के जल विज्ञान के विशेषज्ञ डॉ. राकेश शारदा, कर्नाटक पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन समिति के अध्यक्ष डॉ. श्रीहर्षा, सीकर के डॉ. खेताराम कुमावत सहित हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि राज्यों के जल विशेषज्ञों ने कल के लिए जल पर आज के प्रयास विषय पर विचार रखे। कार्यशाला के दौरान उदयपुर के पानी बाबा डॉ. पीसी जैन ने जल संरक्षण को लेकर उनके द्वारा मेवाड़ी में लिखे गीत की भी प्रस्तुति की गई। 

देश भर के जल संरक्षण विशेषज्ञों का एक जीवंत सत्र बेदला की सुरतान बावड़ी पर भी रहा जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात में किया था। सभी विशेषज्ञ कॉलेज से साइकिल पर सवार होकर जल संरक्षण के नारे लगाते हुए सुरतान बावड़ी पहुंचे। बावड़ी को निखारने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले उदयपुर के आर्किटेक्ट सुनील लढ्ढा ने सभी जल विशेषज्ञों को बावड़ी के इतिहास से लेकर इसके संरक्षण तक की यात्रा का विवरण बताते हुए कहा कि इस बावड़ी का गंगाजल लाकर अभिषेक किया गया और आज यह बावड़ी स्थानीय निवासियों के लिए गंगाजी के समान पूजनीय है। समीप ही एक मंदिर के अनुष्ठान के दौरान इसी बावड़ी के जल का उपयोग किया गया। बावड़ी के प्रति पवित्र आस्था सभी के मन में स्थापित होने के बाद अब यहां के बच्चे भी यह ध्यान रखते हैं कि इसमें कोई कूड़ा-करकट न डाले। अब यह बावड़ी क्षेत्रवासी संभाल रहे हैं। अभी बावड़ी में जल भी भर गया है जिससे क्षेत्रवासियों में हर्ष है। इस अवसर पर क्षेत्रवासियों ने जल विशेषज्ञों का अभिवादन भी किया। 

पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से जल संरक्षण के सम्बंध में उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रदर्शनी लगाई गई जिसका उद्घाटन पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश जैन, जल शक्ति मंत्रालय के सलाहकार व राजस्थान रिवर बेसिन ऑथोरिटी के पूर्व अध्यक्ष श्रीराम वेदिरे ने किया। इनमें अर्पण सेवा संस्थान का देसी आरओ मटका, बाबा इंटरप्राइजेज का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, केन्द्रीय भूमिजल बोर्ड का रेन वाटर रिचार्जिंग सिस्टम, मारवी योजना, डेनिश  ह्यड्रोलॉजिकल  इंस्टिट्यूट, डवलपमेंट अल्टरनेटिव, महान संस्थान, जगुआर जल बचाने की तकनीक, सेवा मंदिर, अलर्ट आदि के जल संरक्षण प्रयासों ने ध्यान आकर्षित किया।  कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को सभी जल विशेषज्ञ फतहसागर पर श्रमदान करेंगे। दोपहर ढाई बजे खुला जल संवाद होगा, साथ ही जल संरक्षण की विभिन्न तकनीकों व शोधकार्यों की प्रदर्शनी आम जनता व विद्यार्थियों के देखने के लिए खुली रहेगी। 

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