उदयपुर का यह वैज्ञानिक केले से कैंसर की दवा बनाने पर कर रहा है शोध

उदयपुर का यह वैज्ञानिक केले से कैंसर की दवा बनाने पर कर रहा है शोध 

अब बना चूका है केले के वेस्ट 10 प्रोडक्ट्स 

 
Ashish Khatri Udaipur banana products

उदयपुर 21 मार्च 2023। केले का नाम सुनते ही हमें ध्यान में आता है उसका स्वादिष्ट स्वाद और उसकी गुणवत्ता। अपने इन्ही गुणवत्ताओं के चलते आप केले का नाम अक्सर बॉडी बिल्डर या जिम जाने वाले लोगों की डाइट चाट में सबसे ऊपर पाएंगे। 

क्या आप जानते हैं की केले के पेड़ पर एक बार फल आने के बाद उसके पौधे को काटकर फेंक दिया जाता है, और इसके बाद उसे शादी के मंडपों को सजाने या खाना परोसने के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है।  

लेकिन क्या आप सोच सकते है की उदयपुर का एक नौजवान केले को एक अनोखे रूप में इस्तेमाल कर उससे महत्पूर्ण चीजे बना रहा है और अपने इन अविष्कारों के चलते उन्हें राजस्थान सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया है। 

उदयपुर के ही रहने वाले युवा वैज्ञानिक आशीष खत्री ने साल 2004  में केले के पेड़ पर रिसर्च  करना शुरू किया था। और इसके बाद केले के पेड़ के तना, पत्ते, छाल सभी का इस्तेमाल कर कई प्रोडक्ट्स का ईजाद वह अब तक कर चुके है।

Banana Products

केले से कैंसर जैसी बीमारी की दवा बनाने पर कर रहें हैं शोध 

इसके अलावा आशीष अब कैंसर, किडनी रोग, स्टोन आदि जैसी गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए केले द्वारा दवाइयां तैयार करने पर शोध कर रहें है। 

उनका कहना है की केले में कई एंटीबायोटिक गन होते है और उन्ही का इस्तेमाल करके आशीष बड़ी बड़ी बीमारियों से निपटने के लिए दवाइयां बनाने की और काम कर रहे है, उनका कहना है की केले में इतनी एंटी बॉडी बनती है जो ज़हरीले सांप के जहर को भी बे असर करने की ताकत रखती है। 

उनका कहना है की दक्षिण भारत में केले का सेवन ज्यादा किया जाता है इसी लिए वहां किडनी में स्टोन की समस्या लोगों को ज्यादा नहीं होती। उनका कहना है की अभी तक उन्होंने केले के छिलके से अभी तक कई प्रोडक्ट बनाए है जिसमे हैंडीक्राफ्ट आइटम बैग्स, जूते, चप्पल, चटाई और बनाना सिल्क जैसी चीजें शामिल है। इसके साथ उन्होंने अपनी एक मशीन भी बनाई है जो केले के पेड़ को 2 हिस्सों में बांटने का काम करती है। 

अपने काम के लिए मिल चुके है कई पुरस्कार 

आशीष को साल 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम द्वारा राष्ट्रीय पुरूस्कार से सम्मानित किया गया था तो वहीँ साल 2010 में भारत सरकार की एनआरडीसी ने सम्मानित किया था। 

आशीष ने अपनी 10 सालों की मेहनत से केले के पेड़ से खाद बनाने का फार्मूला भी तैयार किया था जिसे सरकार द्वारा उनके नाम पर पेटेंट भी कर दिया गया जिसे 135 से ज्यादा देशों में मान्यता प्राप्त है।  


 

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