उदयपुर के RNT मेडिकल कॉलेज में सिकल सेल बीमारी पर इंडो-यूएस पार्टनरशिप

उदयपुर के RNT मेडिकल कॉलेज में सिकल सेल बीमारी पर इंडो-यूएस पार्टनरशिप

इस बीमारी से जुड़े दुनिया में 3-4 लाख बच्चे हर साल लेते हैं जन्म

 
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आरएनटी के प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल को लेटर ऑफ इंटेट दिया

उदयपुर के RNT मेडिकल कॉलेज में सिकल सेल बीमारी पर इंडो-यूएस पार्टनशिप की गई। अब RNT मेडिकल कॉलेज में पहली बार बच्चों की जन्मजात गंभीर बीमारी सिकल सेल बाल चिकित्सालय में निशुल्क इलाज हो सकेगा। आरएनटी में हुए सेमिनार में अमेरिका में प्रसिडेंशियल गोल्ड मेडल अवार्ड और केलिफोर्निया और न्यूयार्क राज्यों की सेनेट द्वारा इस कार्य के लिए मेडल ऑफ अवार्ड से नवाज़े गए डॉ. अक्षत जैन भी मौजूद रहे।

उन्होंने आरएनटी के प्राचार्य डॉ. लाखन पोसवाल को लेटर ऑफ इंटेट दिया। इसके तहत अब जो दवाइंया भारत में उपलब्ध नहीं है दवाएं आरएनटी को मिल चुकी है। पहली खेप में 40 बच्चों को इलाज के लिए दवाई मिली है। इसके बाद 100 बच्चों के इलाज के लिए दवा भेजी जाएंगी। 

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डॉ अक्षत और उनकी टीम ने ही सिकल सेल के सफल उपचार स्टेम सेल ट्रांसप्लांट और जीन थैरेपी की खोज की थी। लोमालिण्डा यूनिवर्सिटी केलिफार्निया के डॉयरेक्टर हिमेटोलॉजी एंड ऑन्कोलोजिस्ट डॉ अक्षत ने बताया कि सिकल सेल जन्मजात जेनेटिकल गंभीर बीमारी है। अगर इसका समय पर उपचार नहीं किया जाए तो बच्चे को खून की कमी और दर्द से परेशान होना पड़ सकता है। इसका आधुनिक निदान स्टेम सेल ट्रांसप्लांट और जीन थैरेपी के माध्यम से अमेरिका में किया जा रहा है, लेकिन भारत में इनका उपयोग इस बीमारी के उपचार में नहीं किया जा रहा है।

पूरी दुनिया में खून से जुड़ी इन बीमारियों के 3-4 लाख बच्चे हर साल जन्म लेते है। सिकल सेल एनिमिया और थैलेसिमिया जैसी गंभीर जन्मजात बीमारियों का सफल उपचार करके मरीज़ों की जान बचायी जा सकती है।   

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