उदयपुर, 21 नवंबर। । राजस्थान में सर्दी ने दस्तक दे दी है। ठंडी हवाओं से उदयपुर के दिन और रात के तापमान में गिरावट दर्ज हो रही है। शाम होते ही सर्दी बढ़ने लगती है, ऐसे में लोग जहां गर्म कपड़ों का सहारा लेकर बचाव कर रहे है, वहीं सर्दियों की दस्तक के साथ ही वन्यजीवों के रखरखाव में भी बदलाव किया जाता है।
उदयपुर स्थित सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में भी वन्यजीवों को ठंड से नुकसान न पहुंचे इसलिए लिए डाइट प्लान किया गया है। मौसम परिवर्तन सभी जीवों पर असर डालता है। यही कारण है की वन्यजीवों के लिए भी बायोलॉजिकल पार्क्स में कुछ बदलाव किए जाते है,ताकि उन्हे तकलीफ न हो और वे सेहतमंद रहे।
पिंजरों पर शाम होते ही पर्दे लगाए जा रहे हैं
क्षेत्रीय वन अधिकारी गणेशी लाल गोठवाल ने बताया कि सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में सभी पिंजरों पर शाम को ग्रीन नेट लगा दी जाती है। इसके साथ ही होल्डींग एरिया में सूखी घास डाली गई है। इससे वन्यजीव रात को सर्दी से बचकर आराम कर सकें। उन्होंने बताया कि भालू को आइसक्रीम देना बंद करने के साथ ही उबले हुए अंडे और गुड़ खिलाना शुरू कर दिया गया है। इधर हिरणों को हरी घास की जगह सूखी घास दी जा रही है। शाकाहारी जीवों को मौसमी फल दिए जा रहे हैं।
राजमा और मौसमी फल परिंदों को
इसी प्रकार बर्ड पार्क में मौजूद देशी-विदेशी प्रजातियों के पक्षियों को सर्दी से बचाने के लिए पिंजरों के चारों ओर ग्रीन नेट लगाई गई है। पिंजरों की छत पर हवा रोकने के प्रबंध किए गए हैं। पक्षियों के पिंजरों में सूखा चारा डाला गया है। हेलोजन बल्ब लगा दिए गए हैं, जो सर्दी बढ़नें पर जलाए जाएंगे। इससे पक्षी राहत ले सकेंगे। कुछ पक्षियों को खाने में चने की जगह राजमा और मौसमी फल दिए जा रहे हैं।
हर सप्ताह बदलती है घास
वन्यजीवों और पक्षियों के होल्डींग एरिया की प्रतिदिन सफाई की जाती है। इसके साथ ही गीली और खराब घास को बदला जाता है। जिन पिंजरों में घास खराब नहीं होती उनमें भी हर सप्ताह उसे बदला जाता है। यह सावधानी वन्यजीवों में किसी प्रकार का इंफेक्शन न हो इसके लिए रखी जाती है।
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