उदयपुर, 8 जनवरी सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक राज्य को क्षय रोग से मुक्त बनाने के प्रयासों में उदयपुर जिला कदम से कदम मिला रहा है। हाल ही में जारी निक्षय जिला प्रगति रिपोर्ट में उदयपुर जिले ने एक्टिव टीबी रोगियों की जांच में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश खराड़ी ने बताया कि जिले में क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की सामान्य जांच एवं उपचार की सुविधा उपलब्ध है जिसका संपूर्ण डाटा निक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
\राज्य सरकार द्वारा जारी गत वर्ष के जनवरी से नवंबर तक के आंकड़ों में उदयपुर जिले में टीबी के एक्टिव मरीजों का इलाज शुरू करने से पहले की जाने वाली आवश्यक जाँचे जैसे एचआईवी, शुगर इत्यादि में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। जिले के एक्टिव मरीजों में से 98% मरीजों की इलाज से पहले यह जांचे कर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
सीएमएचओ डॉ दिनेश खराड़ी ने बताया की किसी भी मरीज का क्षय रोग का उपचार शुरू करने से पहले एचआईवी एवं शुगर की जांच बहुत जरूरी है इन जांचों से ही रोगी मे क्षय रोग की प्रतिरोधकता का अनुमान लगाया जाता है जिससे रोगी का सही एवं उचित उपचार शुरू करने में मदद मिलती है।
प्रति एक लाख जनसंख्या पर 843 लोगों की हो रही जांच
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अंशुल मट्ठा ने बताया कि टीबी के सक्रिय मरीजों की पहचान हेतु स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर-घर सर्वे कर संभावित लक्षणों वाले लोगों को स्वास्थ्य केंद्रों पर लाकर टीबी की जांच करवाई जा रही है। राज्य स्तर से जारी आंकड़ों में उदयपुर जिले में प्रति एक लाख लोगों पर 843 लोगों की जांच कर चौथा स्थान प्राप्त किया है। डॉ मट्ठा ने बताया कि यदि सक्रिय रोगी की पहचान समय पर हो जाए तो रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही उपचार मिलने से इसके फैलने की संभावना ना के बराबर रहती है।
निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से हो रहा है भुगतान
क्षय रोग अधिकारी डॉ अंशुल मट्ठा ने बताया कि क्षय रोगियों को उपचार के दौरान पोषण की जरूरतों की पूर्ति हेतु निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत रोगी को 500 रुपय प्रति माह का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है। सामान्य क्षय रोगियों को यह राशि 6 माह की अवधि तक एवं प्रतिरोधक टीबी वाले रोगियों को उपचार जारी रहने तक इस राशि का भुगतान किया जाता है। उदयपुर जिले में इस योजना के अंतर्गत 72% रोगियों को भुगतान कर राज्य में चौथा स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा जनजातीय क्षेत्र के रोगियों को एकमुश्त दिए जाने वाले 750 रुपयों के भुगतान करने में भी जिले ने तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
आधुनिक मशीनों से हो रही है टीबी की जांच
डॉ मट्ठा ने बताया कि क्षय रोगीयो के बलगम जांच हेतु जिले में ट्रूनॉट एवं सीबीनॉट सहित अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं जो आरटीपीसीआर तकनीकी पर आधारित है। इन मशीनों द्वारा 1 घंटे में ही सामान्य से लेकर प्रतिरोधक टीबी का पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही इन मशीनों द्वारा बहुत ही कम समय मे टीबी के मल्टीड्रग रेजिस्टेंस के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal