उदयपुर। डामर सड़क के बारे में तो सभी जानते हैं। ये भी जानते हैं कि ये कितनी मरम्मत मांगती है। इसी का विकल्प तलाशने के लिए उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के कॉलेज ऑफ टेक्नोलोजी एंड इंजीनियरिंग के सिविल विभाग ने सिंगल यूज्ड पॉलीथिन बैग का उपयोग कर एक कंक्रीट रोड बनाई, खास बात ये है कि इस रोड को बने करीब चार साल का समय बीत गया, लेकिन इस पर एक भी क्रेक नहीं आया। प्रयोग सफल रहने पर विश्वविद्यालय ने भारत सरकार से इसका पेटेंट भी करा लिया है। सिविल विभाग के डीन डॉ. त्रिलोक गुप्ता ने बताया कि इस रोड को बनाने के लिए करीब 18 माह रिसर्च किया गया। इसे पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में अनूठा प्रयोग माना जा सकता है।
50 फीट लंबी और 10 फीट चौड़ी सड़क , क्षमता 4500 टन
यह रोड विश्वविद्यालय परिसर में ही बनाई गई है। जो अभी उपयोग में आ रही है। डॉ.गुप्ता ने बताया कि डामर रोड की तुलना में इसकी लाइफ दोगुनी होगी। करीब 50 फीट लंबी और 10 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण डीएसटी न्यू दिल्ली से आर्थिक सहायता प्राप्त कर किया था। पेटेंट होने के बाद इसकी पांच से दस प्रतिशत लागत कम हुई है। सड़क में करीब 4500 टन तक वजन सहन करने की क्षमता है।
एमपीयूएटी के कुलपति, डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया की सिंगल यूज्ड प्लास्टिक कंक्रीट बेस सड़क का निर्माण एमपीयूएटी में किया गया है। ये रोड मजबूत तो है ही साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में भी अच्छा कदम है। इस रोड पर अब तक कोई क्रेक नहीं है। भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस पर देश-प्रदेश में भी काम किया जा सकता है।
रोड बनाने के लिए यूं किया रिसर्च
सिविल विभाग ने अलग-अलग सामग्रियों की मात्रा को अलग-अलग अनुपात में बार-बार मिलाकर देखा। शुरुआत में कई बार प्रयास विफल हुए। लेकिन विभाग ने रिसर्च जारी रखा। इसमें तापमान सहन करने की क्षमता, भार सहन करने की क्षमता, लचीलापन आदि की जांच की गई। इसमें सिंगल यूज्ड प्लास्टिक, कंक्रीट, पांच से बीस प्रतिशत तक रेती और कम मात्रा में सीमेंट का मिश्रण कर इसको तैयार किया तो सारे पहलुओं पर ये रिसर्च सफल रहा। इसके बाद इसे अमली जामा पहनाया गया। रोड बनने के बाद कई मशीनों से इसकी तकनीकी जांच की गई।
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