उदयपुर, सरकारी नौकरी के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसका उदाहरण कृषि विभाग में देखने को मिला। सामान्य व्यक्ति दिव्यांगता का झूठा प्रमाण पत्र बनवाकर कृषि पर्यवेक्षक बन गया और उसने डेढ़ साल तक नौकरी भी कर ली। बड़ी बात यह है कि शिकायत के आधार पर विभाग ने जांच करवाई तब हकीकत सामने आई। यही नहीं, संबंधित व्यक्ति ने दुबारा हुई जांच में भी दिव्यांगता दर्शा दी, लेकिन तीसरी बार की जाँच में उजागर हो गया। विभाग ने नियुक्ति निरस्त की, वहीं उपनिदेशक की ओर से केस दर्ज कराया गया।
सूरजपोल थाना पुलिस ने बताया कि कृषि विस्तार संयुक्त निदेशक माधोसिंह चम्पावत ने रिपोर्ट दी। इसमें बताया कि जिला परिषद कार्यालय उपनिदेशक कृषि (विस्तार) में कृषि पर्यवेक्षक के तौर पर संजय रेगर ने 15 मार्च 2022 को कार्य ग्रहण किया। उसका चयन क्षेतिज आरक्षण के तहत एचआइ श्रेणी में हुआ। दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर चयन हुआ था।
दिव्यांगता प्रमाण पत्र में शिकायत मिलने पर 14 जून 2022 को चिकित्सा विभाग के जिलास्तरीय कार्यालय में परीक्षण और प्रमाण पत्रों की जांच करवाई गई। एमबी हॉस्पिटल की ओर से शारीरिक परीक्षण कर दिव्यांगता प्रमाण पत्र फिर से जारी किया गया, जिसमें 25 प्रतिशत दिव्यांगता अंकित किया गया जबकि संजय रेगर की ओर से पूर्व में पेश किए गए प्रमाण पत्र में 45 प्रतिशत दिव्यांगता दर्शायी गई थी। दूसरी बार सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर से जांच करवाई गई तो दिव्यांगता शून्य पाई गई।
यह था भर्ती का नियम
कृषि पर्यवेक्षक भर्ती में क्षेतिज आरक्षण में दिव्यांगता का 40.5 प्रतिशत या अधिक होने पर ही अभ्यर्थी भर्ती के लिए पात्र माना गया था। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड जयपुर की ओर से 7 मार्च 2022 के आदेश से अनुसूचित क्षेत्र में 2066 अन्यर्थियों का कृषि अधिनस्थ सेवा नियम और संशोधित में निहित प्रावधानों के तहत कृषि आयुक्तालय के आदेश से नियुक्ति की गई थी।
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