इस दिवाली मिट्टी के दीपकों से करे घरों को रोशन

इस दिवाली मिट्टी के दीपकों से करे घरों को रोशन

मिट्टी के दिए की तुलना की जाती है मनुष्य से शरीर से  

 
इस दिवाली मिट्टी के दीपकों से करे घरों को रोशन

पानी, मिट्टी, आग, हवा, तथा आकाश पांच तत्वों की भूमिका 

चाइना के माल का बाजार में बहिष्कार का असर देश के कुम्हार वर्ग पर देखने को मिल रहा है। इस दिपावली मिट्टी के दिपकों की शहर में खास डिमांड देखने को मिल रही है। बाजार में भी दिपकों की खरीद बढ़ी है। शहर में मिट्टी के दीपक और बर्तन का कारोबार दिपावली पर चमकता नजर आ रहा है। दिपावली का त्यौहार आते ही कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने और विक्रय के कारोबार में लगे हुए है। 

कोरोना जैसी महामारी के बाद कुम्हारों के कारोबार में एक उम्मीद की किरण देखने को मिली है..दिपावली की जगमग में परंपरागत मिट्टी के दीयों की मांग बरकरार है। मिट्टी के दीये में दीपक का विश्व में प्रभावशाली महत्व है। कुम्हारों को उम्मीद है कि इस दिवाली उनके कारोबार में इज़ाफा होगा। 

मिट्टी का दीया पांच तत्वों से मिलकर बनता है जिसकी तुलना मनुष्य के शरीर से की जाती है। जिन पांच तत्वों से मानव शरीर निर्मित  होता है उन्ही पांच तत्वों से मिट्टी के दिए का निर्माण कुम्हार के हाथों से किया जाता है। पानी, मिट्टी, आग, हवा तथा आकाश तत्व ही मनुष्य व मिट्टी के दिए मौजूद होते है। 

बाजार में तरह तरह के दीपक नजर आ रहे है..जो कि अलग अलग डिजाइनिंग किए हुए है। कहते है कि लक्ष्मीजी की पूजा अर्चना के लिए आज भी मिट्टी की दीपक ही जलाया जाता है। चायना के दीपक बाजार में होने के बाद भी मिट्टी की दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की अराधना की जाती है। 

दीपकों का उपयोग आप ज्यादा से ज्यादा तादाद में करे..कहा जाता है कि सरसों के तेल का दीपक जलाने से प्रदूषण कम होता है। वहीं घरों में मिट्टी का दीपक सरसों के तेल के साथ जलाने की मान्यता सदियों से चली आ रही है और अभी तक कायम है। 

उदयपुर जिले में रोटरी क्लब पन्ना एवं क्रियेशन के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यक्रम आयोजित कर आमजन को दीपावली के अवसर पर मिट्टी के दीयों का उपयोग करने का आव्हान किया ताकि इस कार्य से जुड़े स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकें। क्लब अध्यक्ष राजेश शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम में बताया गया कि कलात्मक दीयों के बजाय स्थानीय मिट्टी के दीयों का उपयोग करना चाहिये ताकि इस हमारी दीपावली के साथ-साथ कार्य से जुड़े लोगों की दीपावली भी अच्छी हो सकें। 

कोरोना के कारण इस कार्य से जुड़े लोग इस त्यौहार का इंतजार कर रहे थे ताकि उन्हें भी रोजगार मिल सकें। मिट्टी के दीयों से जहाँ प्रदुषण नहीं होता है वहीं  अन्य प्रकार के किटाणु भी नहीं पनपते है, दूसरी ओर मोम के दीयों सहित अन्य प्रकार की सामग्री से प्रदुषण को बढ़ावा मिलता है। हमें पटाखों का इस्तेमाल नहीं कर स्वच्छ एवं स्वस्थ दीपावली मनानी चाहिये।

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