शिल्पग्राम के दर्पण सभागार को पिछले कई दिनों से संवारा जा रहा है। इसी कड़ी में अब सभागार की दीवारों पर राजस्थान की लोकप्रिय चित्रशैली फड़ उकेरी जा रही है। इससे यहां आने वाले पर्यटकों को इस कला के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। इस कला में राजस्थान का पारंपरिक घूमर नृत्य और राजशाही सवारी दिखाई जाएगी। ये चित्र इस महीने के अंत तक बनकर तैयार हो जाएंगे।
घूमर नृत्यशैली लगभग तैयार हो चुकी है। 8 फीट लंबी और 16 फीट चौड़ाई में दीवार पर नृत्य करती हुईं महिलाएं और पुरुष अलग-अलग मुद्रा में हैं। सिर पर मटके, ताल, ढोल, बाजे, नगाड़े, ढोलक सब एक ही चित्र में नजर आ रहे हैं। वहीं राजशाही सवारी में भी पूरा ठाठ-बाठ उकेरा जाएगा। यह सभागार नृत्य और थिएटर के लिए जाना जाता है, इसलिए इसमें इन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। इन चित्रों को फड़ चित्रशैली के आर्टिस्ट छीतरमल जोशी तैयार कर रहे हैं। उन्होंने ही पिछले साल शिल्पग्राम के मुख्यद्वार पर फड़ चित्रशैली उकेरी थी।
पूरे भारत में फड़ चित्रशैली को प्रमोट कर रहे छीतरमल
भीलवाड़ा के रहने वाले छीतरमल पूरे देश में अलग-अलग शहरों में फड़ चित्रशैली को प्रमोट कर रहे हैं। 10 साल की उम्र से वे फड़ चित्रशैली पर काम कर रहे हैं। दरअसल, फड़ चित्रशैली में भीलवाड़ा क्षेत्र में कपड़े की पृष्ठभूमि पर लोक देवता देवनारायण, पाबूजी के जीवन पर आधारित और उनकी शौर्य गाथाओं पर बनाए जाने वाले पारंपरिक अनुष्ठानिक चित्र होते हैं। अभी सभागार में नृत्यरत कृतियां बनी हुई हैं। इनमें लॉर्ड शिवा और विनायक हैं। ये केरल की म्यूरल आर्ट शैली में बने हुए हैं। इन्हें केरल के ही दो आर्टिस्ट ने मिलकर तैयार किया है। वहीं सभागार के बाहर राजस्थानी शैली के मांडने भी बनाए जाएंगे।
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