मानसून में इस बार बिजली से जुड़ी शिकायतें भी ज्यादा हैं। आमजन ध्यान रखें कि कहीं ट्रांसफार्मर के बगल से कोई रास्ता है तो सावधान हो जाएं। गीली जमीन पर अर्थिंग के कारण वहां करंट लग सकता है। वजह यह है कि हमारे यहां पर ट्रांसफार्मर के चारों ओर सुरक्षा जाली लगाना तो दूर, इसका कोई नियम ही नहीं है। इस कारण स्वयं की सुरक्षा रखना भी जरूरी है।
8 फीट की ऊंचाई पर दो पोल के बीच ट्रांसफार्मर लगाने का नियम है
दरअसल, प्रदेश में जमीन से 8 फीट की ऊंचाई पर दो पोल के बीच ट्रांसफार्मर लगाने का नियम है। हालांकि वॉलसिटी और उपनगरीय इलाकों में कई जगह ट्रांसफार्मर की जमीन से दूरी कम है। ऐसे में सुरक्षा जाली जरूरी है ताकि एकाएक कोई ट्रांसफार्मर के पास न पहुंच पाए।
पड़ोसी राज्य गुजरात में हर ट्रांसफार्मर के चारों ओर सुरक्षा जाली लगाना अनिवार्य है। इसके उलट राजस्थान में ऐसा कोई नियम नहीं है। हालांकि अधिकारी यहां भी इसे एहतियातन जरूरी बता रहे हैं। काम चलाऊ व्यवस्था के नाम पर यहां सिर्फ खतरे वाले ट्रांसफार्मरों के आसपास जालियां तभी लगाई जाती है, जब कोई समाजसेवी या भामाशाह आगे आए।
डीपी-स्ट्रेस वायर से चिपककर मवेशियों के मरने की घटनाए भी बढ़ रही है
यानी बिजली निगम यह जेहमत उठाता नहीं है और खर्च उठाने वाला न मिले तो ट्रांसफार्मर बिना सुरक्षा जाली के ही रहते हैं। बता दें, जिले में अभी डीपी-स्ट्रेस वायर से चिपककर मवेशियों के मरने की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
जरूरत तो कम नहीं है, लेकिन नियम नहीं
गिरीश जोशी ,एसई, एवीवीएनएल ने बताया की ऐसा नियम तो नहीं है, लेकिन हमें जब किसी ट्रांसफार्मर से खतरा महसूस होता है, वहां भामाशाह के जरिए सुरक्षा जाली लगवाते हैं। कई जगह लगवाई भी हैं। वैसे इस संबंध में नियम होना चाहिए, ताकि आम लोगों की सुरक्षा बनी रहे।
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