डेढ़ साल बाद उदयपुर में बिना चीर-फाड़ के हो सकेगा मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की नसों का उपचार

डेढ़ साल बाद उदयपुर में बिना चीर-फाड़ के हो सकेगा मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की नसों का उपचार

डाॅ. केजी लोधा का एसएनआईएफ के लिए चयन

 
Dr K G Lodha

भारत में सबसे बड़ी फैलोशिप एसएनआईएफ के लिए आरएनटी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो सर्जन और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. केजी लोधा का चयन हुआ है। इस फैलोशिप के तहत वे डेढ़ वर्ष तक ट्रेनिंग लेंगे। इसके बाद उदयपुर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की नसों में आने वाली समस्याओं को बिना चीर-फाड़ के ठीक किया जा सकेगा। उपचार शुरू होने के साथ ही उदयपुर एसएमएस के बाद प्रदेश का दूसरा अस्पताल होगा जहां ब्रेन की एंजियोप्लास्टी हो सकेगी।

न्यूरोसर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. केजी लोधा का चयन एसएनआईएफ फैलोशिप इन न्यूरो इंटरवेंशन एंड स्ट्रोक में हुआ है। इसके तहत डॉ. केजी लोधा की ट्रेनिंग पार्को इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, वाटाकरा केरला एवं भारत के अन्य एसएनआईएफ सेंटर्स पर प्रख्यात इंटरवेंशनिस्ट डॉ. शाकिर हुसैन के मार्गदर्शन में होगी। 

डॉ. लाखन पोसवाल एवं डॉ. विपिन माथुर ने बताया कि आने वाले समय में तंत्रिका हस्तक्षेप एवं आघात (न्यूराेइंटरवेंशान एवं स्ट्राेक) का उपचार उदयपुर में संंभव हाे सकेगा, जाे कि सरकारी अस्पतालों में जयपुर के एसएमएस में ही है। निजी अस्पतालों में इस तरह का उपचार किया जा रहा है। 

इन बीमारियों का होगा उपचार

मस्तिष्क की रक्तवाहिनियों को फटना, रक्तवाहिनियों में रुकावट होना, रक्तवाहिनियों का सिकुड़ना या उनमें गुब्बारे (एनुरिज्म) बनना, गुच्छे बनना (एवीएम मालफोरमेशन) आदि गंभीर बीमारियों का उपचार बिना चीरफाड़ के ब्रेन की एंजियोप्लास्टी द्वारा किया जा सकेगा।

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