स्वच्छता रैंकिंग में गिरावट लेकसिटी के लिए निराशाजनक - उप महापौर

स्वच्छता रैंकिंग में गिरावट लेकसिटी के लिए निराशाजनक - उप महापौर 

पिछले वर्ष टॉप 50 में थी, गिर कर टॉप 100 में भी नहीं रही

 
udaipur ranking

झीलों की नगरी उदयपुर जो अपने सुन्दरता और सुहाद्र्पूर्ण वातावरण और अपनी झीलों की वजह से पुरे विश्व में प्रसिद्ध है वह हालही में जारी हुई स्वछता रैंकिंग में नीचे के पायदान पर हैं। जो की एक निराशा पूर्ण बात है और शहरवासियों के लिए एक  गंभीर विषय है। दरअसल देश के सबसे स्वच्छ शहरों की हाल ही में जारी सूची में उदयपुर की रैंकिंग नीचे गिरकर 122वें स्थान पर आ गई है।

उदयपुर के रैंकिंग जहां पिछले वर्ष टॉप 50 में थी अब वह गिर कर टॉप 100 में भी नहीं रही है बल्कि 122 पर पहुंच गई है। ऐसे में उदयपुर नगर निगम के उप-महापौर पारास सिंघवी ने प्रेस वार्ता कर कहा कि निगम की टीम द्वारा जो इस वर्ष किया गया था उसमें कई तरह की गलतियां हुई जिससे उदयपुर को रैंकिंग में स्थान नहीं मिल पाया। सिंघवी ने कहा कि उदयपुर शहर में जितने भी सार्वजनिक मूत्रालय बने हुए उनकी साफ-सफाई वक्त पर नहीं होना, शहर की सड़कों में हुई टूट फुट के बाद कोरोना काल के दौरान लेबर का सही समय पर नहीं लौट कर आने से सड़कों की साफ-सफाई नहीं हो पाना और शहर की जनता से फीडबैक नहीं मिल पाना उदयपुर के रैंकिंग में पिछड़ जाने का मुख्य कारण है।

उन्होंने कहा की नगर निगम ने रैंकिंग में सुधार के लिए नगर निगम द्वारा टेंडर देखकर हर वार्ड में दिन में दो वक़्त कचरा उठाने के लिए एजेंसी को दो करोड़ 55 लाख टेंडर दिया है जो हर वार्ड में दो बार सफाई करेगी वही डोर टू डोर कचरा के लिए भी गाड़ियों की व्यवस्था है जिससे शहर की स्वच्छता बनी रहेगी। सिंघवी ने कहा कि जो टीम निरीक्षण के लिए आई थी उन्हें उदयपुर निगम द्वारा जो कार्य करवाए गए वो उन लोगों को नजर नहीं आए और जिस कचरे से खाद बनाया जा रहा है और आधुनिक मशीनों से कचरा को उपयोग में लाया जा रहा है।  यह सब निरीक्षण करने वाली टीम को नहीं दिखा और उन्होंने निरीक्षण के बाद ज़ीरो नंबर दिये जिससे  रैंकिंग घट गई। सिंघवी ने कहा की वे  इस बार स्वच्छ भारत मिशन द्वारा दी गई लेकिन रैंकिंग से असंतुष्ट है और इसके बारे में केंद्र को पत्र लिखकर अवगत भी कराएंगे।  

इस दौरान उप महापोर् ने आवाज उठाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अधिकारी मामला नहीं दर्ज करवाते हैं। कई बार निगम के आयुक्त को पत्र लिखकर मामला दर्ज करवाने के लिए कहा जाता है लेकिन अभी तक कोई मामला नहीं दर्ज हुआ है। उन्होंने निगम की सफाई शाखा के उपलब्धियों के बार में बात करते हुए कहा की जहाँ 2019 से पहले इसका खर्चा 8 करोड़ 22 लाख रूपए था वहीँ 2019-20 में घटकर 3 करोड़,2020 -21 में 1 करोड़ तो वहीं 2021-22 में 33 लाख और 2022 सिर्फ 1 करोड़ हो गया है। उन्होंने बताया की निगम के 130 से भी अधिक टेम्पो ऐसे ही खड़े है जिसमे से 60 से 70 की हालत बिलकुल खस्ता है।

उन्होंने कहा की डोर तो डोर कचरा कलेक्शन का मॉडल नगर निगम के पूर्व आयुक्त रहे सिद्धार्थ सिहाग के कार्यकाल में शुरू हुआ था.उस समय इस मॉडल को सिर्फ 10 वार्डों के साथ शुरू किया गया था लेकिन इसकी सफलता देखते हुए अगले वर्ष 20 वार्डों के लिए और आगामी सालों में निगम के 70 वार्डों में शुरू कर दिया गया जिसका काम सुप्रीम, नागेन्द्र राइ प्राइवेट लिमिटेड सहित 4 कंपनियों को दे दिया गया है।  सिंघवी ने निगम के विभिन शाखाओं में  चल रहे घोटालों पर भी रौशनी डाली और अधिकरियों द्वारा इनके खिलाफ कार्यवाही करने की भी मांग की जिस से निगम में हो रहे भ्रष्टाचार पर नकेल लग सके और भ्रष्टाचार उजागर हो सके। 

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal