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भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत दो तीन महीनो में लांच होने वाले आदित्य L-1 सेटेलाइट पर उदयपुर स्थित उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी में देश भर के 75 से अधिक सौर वैज्ञानिको द्वारा आयोजित सौर कार्यशाला का समापन कल हुआ जिनमे वैज्ञानिको के दल ने तीन दिन तक मंथन किया। कार्यशाला के अंतिम दिन और भी विशेष हो गया जब सूचना मिली की उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी द्वारा तैयार हाई एनर्जी एल 1 ओर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) को आदित्य L-1 सेटेलाइट में जोड़ दिया गया है।
हाई एनर्जी एल 1 ओर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) नामक उपकरण सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य L-1 में जोड़े गए विभिन्न उपकरणों में से एक है, जो हार्ड एक्सरे का अध्ययन करेगा।
उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी (USO) में आयोजित "बहु स्तरीय सौर परिघटनाए:वर्तमान क्षमताए और भावी चुनौतियाँ (USPW-2023)" नामक एक सौर भौतिकी कार्यशाला के समापन के अवसर पर सौर वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला के निदेशक प्रोफेसर अनिल भारद्वाज ने फतहसागर झील के बीच स्थित सौर वैधशाला परिसर में मीडिया से वार्ता की।
वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि आदित्य L-1 में लगे सात अलग अलग उपकरण के ज़रिये अलग अलग प्रकार का डाटा उपलबध होगा। इन डाटा से मिलने वाली जानकारियों के आधार पर सूर्य से पृथ्वी की तरफ आने वाले पार्टिकल्स की जानकारी यथोचित समय पर मिल जाती है तो इन पार्टिकल्स से होने वाले संभावित नुकसान को कम किया जा सकता है। हालाँकि सूर्य से पृथ्वी की ओर आते हुए अधिकांश पार्टिकल्स तो अंतरिक्ष या वायुमंडल में ही नष्ट हो जाया करते है, और यह एक सतत प्रक्रिया है जो सौरमंडल में चलती रहती है।
उन्होंने बताया कि जिस प्रकार कनाडा में 1989 में सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स के कारण लगभग आधे कनाडाई भूभाग में बिजली गुल हो गई थी। उसी प्रकार भविष्य में सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स से नुकसान का अंदेशा बना रहता है। सूर्य से पृथ्वी की ओर आते हुए इन पार्टिकल्स को रोकना या उनकी दिशा बदलना तो मुमकिन नहीं लेकिन इनसे होने वाले संभावित नुकसान को कम किया जा सकता है या उस नुक्सान से बचा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स से ध्रुवीय क्षेत्र से स्थित देशो को अधिक खतरा है जबकि हमारा देश इक्वेटर के पास है इसलिए हमें नुकसान की आशंका कम है।
सौर वैज्ञानिक और अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला के निदेशक प्रोफेसर अनिल भारद्वाज ने बताया कि आदित्य L-1 चंद्रमा की दूरी के मुकाबले पृथ्वी से 4 गुणा दूरी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया की अगले दो तीन माह में अंतरिक्ष में स्थापित होने वाला पूर्णतः स्वदेशी मिशन आदित्य L-1 से प्राप्त होने वाले डाटा का लाभ सबसे पहले भारतीय विज्ञानं जगत को मिलेगा।
कार्यशाला संयोजक और उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी के प्रोफेसर भुवन जोशी ने बताया कि सूर्य से अधिक ऊर्जा वाली हाई एक्सरे के अध्ययन के लिए उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी की टीम ने हाई एनर्जी एल 1 ओर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) का प्रस्ताव दिया था। इसरो (ISRO) द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद हाई एनर्जी एल 1 ओर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) को बेंगलुरु के सेटेलाइट सेंटर के साथ संयुक्त रूप से तैयार किया गया।
कार्यशाला के मीडिया संयोजक डॉ रमित भट्टाचार्य ने बताया की कार्यशाला के अंतिम दिन देश भर से आये वैज्ञानिको और रिसर्चर को फतहसागर झील में बनी सौर वैधशाला का भ्रमण करवाया गया और सोलर लेबोरेटरी की उपयोगिता और कार्यप्रणाली की जानकारी दी गई।
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