उदयपुर 3 अप्रैल 2023 । लेकसिटी में आज से दो दिन के लिए यानि 3 अप्रैल से 5 अप्रैल तक देश भर के 75 शीर्ष सौर वैज्ञानिक जुटे है। सभी वैज्ञानिक उदयपुर के बड़ी रोड स्थित उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी (USO) में आयोजित "बहु स्तरीय सौर परिघटनाए:वर्तमान क्षमताए और भावी चुनौतियाँ (USPW-2023)" नामक एक सौर भौतिकी कार्यशाला में भाग लेने पहुंचे है।
कार्यशाला का उद्घाटन आज सुबह 9 बजे इसरो के पूर्व अध्यक्ष और प्रधानमंत्री विज्ञानं प्रौद्योगिकी नवाचार सलाहकार तथा अंतरिक्ष आयोग के सदस्य पदम् श्री ए एस किरण कुमार ने किया। कार्यशाला में अहमदाबाद की भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory) के निदेशक अनिल भारद्वाज, मौसम वैज्ञानिक डी पालम राजू, जियो साइंटिस्ट आर डी देशपांडे, उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी के प्रोफेसर शिबू मैथ्यू, डॉ रमित भट्टाचार्य, विद्या भवन के डॉ अनिल मेहता हिस्सा लेंगे।
इसरो के पूर्व अध्यक्ष और प्रधानमंत्री विज्ञानं प्रौद्योगिकी नवाचार सलाहकार तथा अंतरिक्ष आयोग के सदस्य पदम् श्री ए एस किरण कुमार ने उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी की तारीफ़ करते हुए बताया की उदयपुर की सौर वैधशाला देश की सौर प्रयोगशालाओ में अग्रणी भूमिका निभाता है। आने वाले दिनों में यहाँ और भी तरंगो का अध्ययन किया जाएगा, उन्होंने बताया की देश का महत्वपूर्ण मिशन आदित्य L-1 को अंतरिक्ष में ऐसे स्थान पर स्थापित किया जाएगा जहाँ से सूर्य को 24 घंटे अध्ययन किया जा सके। आदित्य L-1 की कक्षा पृथ्वी और सूर्य के बीच दूसरी की तुलना में पृथ्वी से 1 प्रतिशत की दूसरी पर रहेगी तो सूर्य से 99 प्रतिशत की दूरी पर रहेगी। उन्होंने कहा की सूर्य से आने वाली रेडियो विकिरणों का ऑब्जरवेशन इसी वैधशाला (उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी) के माध्यम से किया जाएगा। इस प्रकार मिशन आदित्य L-1 मे उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी एक बहुत अहम् भूमिका निभाएगा।
फिज़िकल रीसर्च लेबोरेटरी के निदेशक अनिल भारद्वाज ने बताया कि उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी में आयोजित होने वाली पहली ऐसी कार्यशाला है जिसमें सूर्य पर होने वाले अध्ययन और आगे आने सोलर मिशन और उनसे मिलने वाली जानकारियों पर विस्तृत चर्चा होगी। देश भर से इकट्ठे हुए 75 वैज्ञानिक आदित्य एल 1 मिशन से मिलने वाली जानकारियों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने बताया की आदित्य L-1 मिशन अगले दो माह में कम्प्लीट हो जाएगा।
फिज़िकल रीसर्च लेबोरेटरी के निदेशक अनिल भारद्वाज ने अपने स्वागत उद्बोधन में उदयपुर को सोलर ऑब्जर्वेटरी की उपलब्धियों एवं आने वाले विस्तार के बारे में जानकारी देते हुए बताया की लद्दाख की पेंगोंग झील में स्थापित होने वाली प्रयोगशाला को तैयार करने की आरंभिक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी को दी गई है।
कार्यशाला के संयोजक डॉ रमित चटटाचार्य ने बताया कि कार्यशाला में सूर्य की वर्तमान स्थिति, बदलाव पर गहन वैज्ञानिक चर्चा होगी। वहीँ सौर मिशन आदित्य L-1 सहित भारत के भविष्य के अन्य सौर मिशनों पर एक विज़न दस्तावेज़ तैयार किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला में युवा सौर शोधकर्ताओं को सोलर फिजिक्स के सीनियर रीसर्चर के साथ चर्चा करने का मंच मिलेगा जिससे सौर वैज्ञानिको को भविष्य के अनुसन्धान लक्ष्यों के अनुरूप उनकी रूचि बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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