गर्मी का मौसम आते ही जानवर के लिए सबसे बड़ी समस्या पानी की होती है। राजस्थान का दक्षिणी क्षेत्र हमेशा से सूखे से प्रभावित रहा है। गर्मी के मौसम में सभी जल स्रोत सूखने लगते हैं. जिससे जंगली जानवर पानी की तलाश में आबादी वाले इलाके में रुख करते हैं। जिससे ग्रामीणों और जानवर दोनों के लिए समस्या होती है। गर्मी के मौसम में जंगली जानवरों को पानी के लिए इधर उधर न भटकना पड़े, इसे लेकर उदयपुर और सलूंबर वन विभाग नए वाटर हॉल तैयार कर रहा है।
उदयपुर और सलूंबर के वन क्षेत्र में जंगली जानवरों को पानी की सुविधा के लिए नई तकनीक पर काम हो रहा है। यहां वन्यजीवों में पैंथर, चीतल, सांभर, चिंकारा, जंगली सूअर, जरख, सियार, लोमड़ी, सिवेट, सेही, अजगर, खरगोश, लंगूर, जंगल कैट, नीलगाय माैजूद है। पक्षियों में पेंटेड फ्रेंकोलिन और सेंडग्राउज भी यहां काफी तादाद में हैं। .जिनके लिए जल स्त्रोत के लिए खास तौर पर विशेष तकनीक से कार्य किया जा रहा है।
प्राकृतिक और नए जल स्त्रोत का हो रहा निर्माण
उप वन सरक्षक वन विभाग मुकेश सैनी ने बताया कि उदयपुर और सलूंबर जिले के जंगल में वन्य जीवों को पानी की सुविधा हेतु खास तौर प्राकृतिक जल स्त्रोत और नए वॉटर हॉल से पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। जगह का चयन कर निर्माण कार्य शुरु कर दिया गया है। इन सभी वॉटर हॉल में समाज सेवियों और वन विभाग द्वारा टैंकर के माध्यम से पानी डाला जायेगा। केवड़ा वन क्षेत्र में 6 जगह वॉटर हॉल बन गए है।
ग्रामीण क्षेत्रों में चले जाते थे जंगली जानवर
सैनी ने बताया कि पहले ग्रामीण क्षेत्रों से शिकायत आती थी। वाटर हाल में पानी नहीं मिलने से पानी की तलाश में जंगली जानवर ग्रामीण क्षेत्रों में चले जाते थे। इसमें सबसे ज्यादा पेंथर पानी के लिए ग्रामीण इलाकों में जाते थे। इस सुविधा के बाद जंगली जानवर पानी की तलाश में भटकते हुए आबादी क्षेत्र में नही आएंगे।
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