उदयपुर, 22 मार्च। जल है तो कल हैं। हम सभी जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते हैं। वर्तमान में जल के महत्व को देखते हुए उन्नत भारत अभियान के तहत गीतांजली इन्स्टिटियूट ऑफ टेक्नीकल स्टडीज के सिविल इन्जिनियरिंग विभाग द्वारा विश्व जल दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘‘विश्व शान्ति के लिए जल’’ था। इस कार्यक्रम में डबोक व आस पास के ग्राम पंचायत के विभिन्न सरपंच एवं किसान शामिल होकर जल के महत्व को समझा।
संस्थान के निदेशक डाॅ. एन. एस. राठौड ने बताया कि जल हम सभी के लिए प्रकृति द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार हैं। इसको हमें बहुत सुझबुझ के साथ उपयोग करना होगा। कहने को इस धरा पर तीन चौथाई जल है पीने योग्य जल सिर्फ तीन% ही हैं। इसलिए हम सभी को जल के महत्व को समझना होगा तथा सभी लोगों को इसके बारे में जागरूक करना होगा। सिर्फ जल संरक्षित करने से ही काम नही होगा।
बल्कि इसको प्रदुशित करने से भी बचाना होगा। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आज तालाब, नदियां व भूमिगत जल भी प्रदुषण के चपेट में आ गये हैं। आज आलम यह हैं कि विश्व के इस चैथे व्यक्ति को स्वच्छ जल नहीं मिल पा रहा हैं। साथ ही हमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग, इक्यूफर रिचार्ज के साथ इरिगेशन मेनेजमेंट तथा ड्रेनेज मेनेजमेंट पर सही दिशा में काम करना होगा। आने वाली भावी पीढ़ी को स्वच्छ जल प्रदान करवाना हमारी ही जिम्मेदारी हैं।
जल की कमी और जल संसाधनों पर विवाद दुनिया भर के संघर्षों के महत्वपूर्ण कारक रहे हैं। बहुत से क्षेत्रों में साफ पानी की पहुंच सीमित होती हैं, जिससे समुदायों, राज्यों और दो देशों के बीच तनाव बरकरार रहता हैं। राठौड ने इजराइल ने अरब देशों के जल संरक्षण व जल के शुद्धिकरण के तकनीक को भी लोगों के साथ साझा किया।
सिविल विभागाध्यक्ष डाॅ. मनीष वर्मा के अनुसार इस कार्यक्रम का उदेश्य सभी को जल संरक्षण तथा जल प्रदुषण के प्रति सचेत करना था। जिससे सभी के मन में जल संरक्षण की भावना उत्पन हो सके। क्योंकि जल की कमी भविष्य में भयानक संघर्षों में बदल सकती हैं।
इस कार्यक्रम में डाॅ. संगीता चौधरी द्वारा वैज्ञानिक पद्धति से अशुद्ध जल को शुद्ध जल में बदलने का तरीका समझाया गया। वित्त नियंत्रक बी.एल. जांगिड ने कहा कि सार्वजनकि स्वास्थ्य सुनिश्चिित करने के लिए जल की भूमिका को समझना होगा तथा जल प्रदुषण के विभिन्न कारकों पर रोक लगाना होगा।
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