उदयपुर,27 सितम्बर 2023। जिला परिषद की ओर से छह महीने पहले बाबुओं की जारी पदोन्नति सूची में सरकारी पेंच फंस गया है। जिला परिषद उदयपुर ने मेरिट को बेस मानते हुए इसी साल 20 मार्च को 70 बाबुओं को पदोन्नति देकर सूची जारी कर दी।
इसके बाद जुलाई माह में पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त आयुक्त कैलाशचंद्र शर्मा ने स्थायीकरण की तारीख से वरिष्ठता सूची तैयार करने के आदेश जारी कर दिए। अब जिला परिषद को 6 बाबुओं की दूसरी पदोन्नति सूची जारी करनी है, बाकी बचे तीन पद रिक्त नहीं हैं। ऐसे में 3 पदों पर सीट खाली होने के बाद पदोन्नति होगी। ऐसे में वह नियमों में उलझ गई है। परिषद अब सरकार से मार्गदर्शन मांग रही है कि स्थायीकरण की तारीख को ही आधार मानना है तो पुरानी पदोन्नति सूची का क्या करें?
इसे निरस्त कर नए सिरे से सूची बनाई जाए या फिर नए आदेश को नई वरिष्ठता सूची पर ही लागू करें। इसके चलते पहले पदोत्रत हुए कनिष्ठ लिपिकों के मामले में भी असमंजस की तलवार लटकी हुई है। अगर मेरिट बेस की जगह स्थायीकरण की डेट से पदोन्नति का मार्गदर्शन मिला तो कम से कम 10 बाबुओं का वरिष्ठ की जगह वापस कनिष्ठ लिपिक बनना पड़ सकता है।
बता दें कि वर्ष 2013 में जिला परिषद में हुई सीधी भर्ती के दौरान टीएसपी के 415 और नॉन टीएसपी के 196 कनिष्ठ सहायकों को ज्वॉइनिंग दी गई थी। इसमें रिक्त हुए पदों पर पदोन्नति को लेकर टीएसपी के रिक्त 59 पदों में 53 को पदोन्नति दी गई थी । इसके बाद नॉन टीएसपी के 20 रिक्त पदों पर 17 की पदोन्नति सूची जारी की गई थी। वर्तमान में पदोन्नति वाले खाली पदों को लेकर जिला परिषद नई सूची तैयार कर रहा है।
7 जुलाई को जारी आदेश ने बढाई उलझन
15 नवंबर 2022 को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की निदेशक डॉ. प्रतिभा सिंह ने आदेश दिया कि यदि दो या अधिक व्यक्ति एक ही आदेश या एक ही तारीख के अधीन समान श्रेणी या प्रवर्ग के हैं तो उनकी की पदोन्नति उसी क्रम होगी, जिस हिसाब से जिला स्थापना समिति की सूची में उनके नाम शामिल है। इसके बाद 25 नवंबर 2022 को तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त राजेश वर्मा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़े आदेश जारी किए।
इसमें कहा कि कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती 2013 के तहत नियुक्ति पाने वाले कार्मिकों की वरिष्ठता सूची कार्यग्रहण तिथि अथवा मेरिट के आधार पर करनी है। इसमें राजस्थान पंचायत राज नियम 1996 के नियम 285 (1) का हवाला दिया गया था। उधर, 17 फरवरी 23 को अतिरिक्त ने नियम 285 के अनुरूप वरिष्ठता निर्धारित करने को कहा था, लेकिन 7 जुलाई को अतिरिक्त आयुक्त के नए आदेश से जिला परिषद उलझ गया है। इस आखिरी आदेश में लिखा है की पदोन्नति को लेकर अलग-अलग दिनांक को जारी आदेश के हवाले जिला स्थापना समिति ने उनके कार्मिकों की अलग-अलग सूची बनाई है। इसलिए वरिष्ठता का निर्धारण भी कार्मिकों के कार्यग्रहण दिनांक के हिसाब से जारी की जा रही है। इसलिए 285 को आधार मानकर स्थायीकारण के आधार पर सूची बनाई जाए।
नियम-285 के तहत कनिष्ठ श्रेणी या प्रवर्ग में वरिष्ठता उस श्रेणी या प्रवर्ग में किसी पद पर स्थायीकरण की तारीख से मानी जाएगी। पदोन्नति से भरे जाने वाले ऊंचे पद नियमित चयन की तारीख से निर्धारित होगी। इस नियम का एक बिंदु कहता है कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक आदेश और एक ही तारीख के आदेशों के अधीन समान श्रेणी या प्रवर्ग की नियुक्ति की जाती है तो वरिष्ठता उसी क्रम में होगी, जो नाम समिति की ओर से तैयार सूची में आए हैं।
मार्गदर्शन के बाद निर्णय लिया जाएगा: एसीईओ
उदयपुर के जिला परिषद एसीईओ, विनय पाठक ने कहा की मार्च में जारी सूची में पदोन्नति का आधार मेरिट को माना गया था । नियम 285 (1) के हिसाब से पदोन्नति और पदभार ग्रहण भी कराया गया है।सरकार का नया आदेश मिला है। उसकी पालना से पहले एक बार फिर मार्गदर्शन मांगा गया है।
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