होली के अवसर पर एक नवाचार करते हुए उदयपुर पेंशन कार्यालय में इस वर्ष फूलों से होली खेली गयी। पेंशन कार्यालय की अतिरिक्त निदेशक भारती राज ने बताया की पर्यावरण और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने उक्त नवाचार किया जहाँ सभी पेंशन कर्मियों ने एक दूसरे पर गुलाल और पानी की बजाय फूलो से होली खेली।
पेंशन कार्यालय में अतिरिक्त निदेशक के पद पर आसीन भारती राज अपने नवाचारों के लिए जानी जाती है। आकर्षक व्यक्तित्व की धनी भारती राज ने अपने कार्यालय में एक प्रकार से कॉर्पोरेट कल्चर डेवलप की है। जिनका अहसास पेंशन कार्यालय जाने पर स्वतः ही हो जाता है, अमूमन सरकारी कार्यालयों की छवि यहाँ वहां बिखरी फाइलों और अव्यस्थित फर्नीचर और विशेषकर फाइलों और कागज़ो के ढेर के बीच बैठे अफसरों और बाबुओं की उभरती है। जहाँ टेबल पर फाइलों और कागज़ो का ढेर तो होता है लेकिन कुर्सियां खाली पाई जाती है। लेकिन पेंशन कार्यालय में सब कुछ व्यवस्थित पाया जाता है।
अतिरिक्त निदेशक श्रीमती भारती राज ने बताया की उदयपुर संभाग के सेवानिवृत कार्मिकों को पेंशन, ग्रेच्यूटी एवं पेंशन रूपान्तरण आदि सुविधाएं व सेवाएं समय पर उपलब्ध कराने के लिए उदयपुर में पेंशन विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय सतत प्रयासरत रहता है। श्रीमती भारती राज के निर्देशन में हर अधिकारी-कार्मिक पेंशनर्स की सेवा के लिए तत्पर रहते है और इनके सकारात्मक सहयोग के कारण कई प्रकरणों में पेंशनर्स को बड़ी राहत प्राप्त हुई है।
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पेंशनर समाज उदयपुर द्वारा विज्ञान समिति उदयपुर में महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान उदयपुर द्वारा वरिष्ठ महिलाओं का सम्मान समारोह में पेंशनरों के हितार्थ कार्य करने हेतु पेंशन कार्यालय की अतिरिक्त निदेशक भारती राज को सम्मानित किया गया था।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पेंशन कार्यालय उदयपुर में अतिरिक्त निदेशक भारती राज की अध्यक्षता में एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमे कार्यालय के समस्त स्टाफ द्वारा अलग-अलग ग्रुप में स्त्री व पुरूष में भेदभाव न रखकर दोनों को एक समान मानते हुए महिलाओं के अधिकारों एवं संवेदनशीलता पर विचार प्रकट किए गए।
सेवा से भरें इस होली बुजुर्गों के जीवन मे रंग
होली के अवसर पर श्रीमती भारती राज ने समाज में बुज़ुर्गो की स्थिति ओर चिंता जताते हुए कहा की एकल परिवारों के बढ़ते प्रचलन, रोजमर्रा की आपधापी और स्व केंद्रित आचार व्यहवार ने व्यक्तिगत, सामाजिक एवं व्यावसायिक जीवन मे आपसी संबंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है। घर, परिवार, दफ्तर, कार्य व व्यवसाय स्थल पर व्यक्ति जैसे ही बुजुर्गावस्था मे पंहुचता है, उनके साथ प्राय : उपेक्षा का व्यहवार होने लगता है।
उन्होंने बताया की ज्ञान व अनुभव से परिपूर्ण हमारी बुजुर्ग पीढी से सफल, शांत व खुशहाल जीवन के तौर तरीके व माध्यमो तथा जटिल समस्याओं के सरल समाधानों को जानने व सीखने के बजाय हम इंटरनेट व सोशल मीडिया की आभासीय दुनिया मे ज्यादा वक्त बिता रहे हैं। इसी कारण हमारे खून के रिश्तों के अथवा व्यवसायिक रिश्तों के बुजुर्ग अकेलेपन, अवसाद व उपेक्षा के वातावरण मे सिमट कर रह गए है। उनके जीवन एकाकी व रंगहीन होते जा रहे हैं।
उन्होंने बताया की रंगों के पावन पर्व पर हमे हमारे घर, परिवार, समाज सहित व्यवसाय स्थल, कार्यालय स्थल, संस्थान स्थल पर हमसे जुड़े बुजुर्गो, वरिष्ठ नागरिकों से मिल, उन्हे स्नेह, सेवा व आदर के रंगो से सराबोर करना है। हमारे रोजमर्रा के जीवन मे उनकी सहूलियत, उनकी भावनाओं, उनकी सहज अपेक्षाओं का ध्यान रखें व मन मे सेवा भाव के संकल्प का एक भाव सदैव बनाये रखना होगा। इसी से हमारा अपना जीवन, हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन सदैव समृद्धि के चमकीलें चटक रंगो से भरा रहेगा। हर पल, हर दिन होली सा रंग भरा व उत्साह एवं उमंग से परिपूर्ण होगा।
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