उदयपुर के अक्षय सिंह राव ने गुलाब बाग में बनी 9 ऐतिहासिक बावड़ियों के जीणोद्धार का काम करके उन्हें नया जीवन प्रदान करने का काम किया है। अक्षय और उनकी टीम को इस कार्य के लिए 3 महीने का समय लगा।
अक्षय का ये भी दावा है की ये विश्व की पहली जगह है जब एक ही बाग में एक दर्जन के करीब बावड़ियाँ एक साथ मौजूद हो और वो भी सभी बावड़ियों में से अभी भी पानी आ रहा हो।
पेशे से एक टूरिस्ट गाइड अक्षय का कहना है की उनका हमेशा से ही प्रकृति की तरफ रुझान रहा है, अक्षय अपनी सेहत के प्रति भी विशेष ध्यान देते है और इसी के चलते वो पिछले कई सालों से रोज सुबह गुलाब बाग़ में जॉगिंग के लिए जाते है। इसी दौरान उनका इन बावड़ियों की तरफ भी ध्यान जाता रहा लेकिन समय की कमी के चलते वो रोज वहां जाते और फिर जॉगिंग कर घर लौट जाते।
उदयपुर टाइम्स की टीम से बात करते हुए अक्षय ने बताया की करीब 3 महीने पहले रोज की तरह एक सुबह जब वो जॉगिंग के लिए गुलाब बाग गए तो उन्होंने इन बावड़ियों के पास कुछ समय बिताया एवं पास बैठे तो उन्हें ऐसा महसूस हुआ की जैसे ये हमारे वो बूढ़े माता पिता की तरह है जिन्होंने हमारा जरुरत के वक़्त ध्यान रखा, पीने के लिए पानी उपलब्ध करवाया, लेकिन जब घरो तक पानी पहुँचने लगा तो हम इन माता पिता के सामान बावड़ियों को भूल गए और उनको बुरे हाल में ख़राब होने के लिए छोड़ दिया।
अक्षय ने बताया की बस वो ही पल था जब उन्होंने इन बावड़ियों की सफाई करने की ठानी, उन्होने अपने दोस्त प्रदीप सेन से इस बारे में बात की और अगले ही दिन इस अभियान की शुरुआत हो गई, 3-4 लोगो ने जिस अभियान को शुरू किया था, वो धीरे- धीरे 12 लोगों की एक टीम बन गई जिसने एक के बाद एक बावड़ियों के सौंदर्यीकरण का काम किया।
अक्षय ने बताया ये सभी बावड़ियां अपना ऐतिहासिक महत्व रखती है, लेकिन हम अपनी आने वाली नस्लों को इस भव्य और सुन्दर इतिहास से कैसे वाकिफ करवाएंगे। बस इसी सोच के साथ उन्होंने और उनकी टीम ने 12 में से 9 बावड़ियों का कायाकल्प कर डाला ताकि लोग उनकी सौंदर्यता को निहारने व उसे देखने आ सकें।
अक्षय ने बताया की उनकी इस 3 महीने लम्बे सफर में उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा, कई बार सफाई के दौरान कुछ बावड़ियों में उतरने में भी दिक्कत आती थी फिर भी वो और उनकी टीम एक दूसरे का हौंसला बढ़ाते रहे और यही कारण है की आज उन्होंने महज 3 महीने के समय में 9 बावड़ियों का कायाकल्प कर दिखाया और काम अब भी जारी है। उनका कहना है इस कार्य के दौरान उन्हें इन खामोश पड़ी बावड़ियों में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक की थैलियां, शादी के कार्ड, कपडे में लिपटे हुए नारियल, बच्चो के डायपर और शराब की बोतले वगैरह मिली।
अक्षय रोज सुबह अपनी टीम के साथ गुलाब बाग पहुँचते है और अपना सफाई अभियान शुरू कर देते है । अब तक 9 बावड़ियों को नया जीवन मिल चूका है और उनका ये अभियान अभी भी जारी है। उनका कहना है की उदयपुर ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों से भरा हुआ शहर बस सभी को इन धरोहरों को संजोने की एक सोची बनानी होगी। अक्षय अपनी पूरी टीम को धन्यवाद देते हुए प्रशासन से भी इन बावड़ियों पर विशेष ध्यान देने और इनके आगे से इनके रख रखाव के बेहतर इंतजाम करने की बात भी कहते है।
अक्षय ने अपनी टीम के सदस्यों प्रदीप सेन, कैलाश मोड़, कैलाश सोनी, संदीप सोनी, शंकुल सेन, हार्दिक सेन, भरत कुमावत, अरविन्द चौहान, दानिएल सिंह राजपूत, गणपत सोनी, विनोद पालीवाल और गिरीश शर्मा सहित इस मुहीम को क्लीन उदयपुर मूवमेंट का नाम दिया है और वो अपने इस मूवमेंट के तहत मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहरों के जीणोद्धार का काम जारी रखेंगे।
अक्षय कहंते है की ये न सिर्फ उनका बल्कि मेवाड़ के हर एक व्यक्ति का फर्ज है की वो यहाँ की धरोहरों का ध्यान रखे और उन्हें ख़राब होने से बचाये।
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