राजस्थान रॉयल्स के फील्डिंग कोच दिशांत याग्निक से उदयपुर टाइम्स की बातचीत


राजस्थान रॉयल्स के फील्डिंग कोच दिशांत याग्निक से उदयपुर टाइम्स की बातचीत

राजस्थान रॉयल्स के पूर्व विकेटकीपर बैट्समैन रह चुके दिशांत याग्निक वर्तमान में राजस्थान रॉयल्स के फील्डिंग कोच है

 
Dishant Yagnik with UdaipurTimes

उदयपुर 1 जून 2022। फटाफट क्रिकेट की सबसे बड़ी लीग आईपीएल का सीज़न समाप्त हो चूका है।  टूर्नामेंट की दूसरी सबसे सफल टीम राजस्थान रॉयल्स चैंपियन बनने से बस एक कदम दूर रह गई। आज हम उदयपुर टाइम्स के पाठको को राजस्थान रॉयल्स के फील्डिंग कोच दिशांत याग्निक से रूबरू करवाने जा रहे है। 

22 जून 1983 को उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा जिले में जन्मे दिशांत याग्निक विकेटकीपर बैट्समैन के रूप में राजस्थान टीम, और आईपीएल की राजस्थान रॉयल्स टीम के लिए भी खेल चुके है। 2013 में राजस्थान रॉयल्स से खिलाडी के तौर पर जुड़ने के बाद आज वह राजस्थान रॉयल्स के फील्डिंग कोच के रूप में टीम को अपनी सेवाएं दे रहे है। 

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दिशांत ने बताया की कभी क्रिकेट में दो ही तरह की स्किल्स सेट हुआ करती थी। बोलिंग या बैटिंग। फील्डिंग के लिए उतना स्टैण्डर्ड सेट नहीं हुआ करता था। लेकिन आज क्षेत्ररक्षण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। खासकर छोटे फॉर्मेट में जहाँ एक खिलाडी अपनी बेहतरीन फील्डिंग से यदि 10 से 15 रन रोक ले या असंभव से दिखने वाले कैचेज़ लपक ले तो टीम के उनका प्रदर्शन महत्वपूर्ण हो जाता है। वहीँ कई बार खराब फील्डिंग और ड्राप कैचेज़ जीती हुई बाज़ी को हार में तब्दील कर लेती है। 

राजस्थान रॉयल्स v/s गुजरात टाइटंस के बीच खेले गए फाइनल मैच में गुजरात की पारी के पहले ओवर में स्टार प्लेयर चहल के हाथो शून्य पर खेल रहे शुभमन गिल का कैच छूटने पर दिशांत ने बताया की हालाँकि चहल एक अच्छे फील्डर है। लेकिन मैच हारने का यह कोई कारण नहीं था। हमने पहली पारी में सिर्फ 130 रन ही बनाये थे। क्रिकेट में कभी एक दिन पूरी टीम के लिए ख़राब होता है। और इसी वजह से हम कप जीतने में चूक गए।  कैचेज़ विन मैचेस काफी इम्पोर्टेन्ट है। 

अगले सीज़न की तैयारी अभी से 

आईपीएल के अगले सत्र की तैयारियों पर बात करते हुए दिशांत ने बताया की अगले दो तीन में ही पुनः तैयारियाँ शुरू हो जाएगी। पूरा एनालिसिस किया जाएगा की कहाँ कहाँ टीम से चूक हुई और किस दिशा में हम और काम कर सकते है। इसके लिए अगले ऑक्शन पर नज़र रहेगी। 

रॉयल्स की टीम में अच्छे आलराउंडर की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा की रविचंद्रन अश्विन ने रॉयल्स के लिए एक बेहतरीन आलराउंडर की भूमिका का निर्वाह किया है। न सिर्फ अपनी गेंदों से बल्कि बल्ले से भी अश्विन का प्रदर्शन शानदार रहा है। हालाँकि अगले ऑक्शन में राजस्थान की नज़र एक आलराउंडर पर ज़रूर रहेगी। 

सबके साथ तालमेल बैठाना चैलेंजिंग जॉब है   

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जोस बटलर, शिमरॉन हेटमायर, संजू सेमसन, रविचंद्रन अश्विन, युजवेंद्र चहल और जिम्मी नीशम जैसे स्टार क्रिकेटरों को फील्डिंग के लिए कोचिंग देने का दिशांत ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया की सभी प्लेयर्स अलग अलग क्षेत्रो से आते है। सबसे पहले तो भाषा का सामंजस्य बैठाना पड़ता है। सभी खिलाड़ियों का अपना अपना अलग स्किल्स होता है। उन सबके साथ तालमेल बैठाना पड़ता है। मैच के अनुरूप, पिच के अनुरूप, पेस के अनुरूप फील्डिंग कोच देनी पड़ती है।  जो की काफी चैलेंजिंग रहता है और मुझे चैलेंजिंग जॉब पसंद है। 

रियान पराग रॉयल्स के लिए भविष्य में स्टार प्लेयर बनकर उभरेगा 

दिशांत ने राजस्थान रॉयल्स के सर्वश्रेष्ठ तीन फील्डरों की पायदान पर पहले स्थान पर जोस बटलर, दुसरे स्थान पर रियान पराग और तीसरे स्थान पर संजू  सेमसन को रखा।  रियान पराग पर उठते सवालों के बारे में बातचीत करते हुए दिशांत ने बताया की आने वाले समय में रियान रॉयल्स के लिए स्टार प्लेयर बनकर उभरेगा। उसमे काफी क्षमता है। छोटे फॉर्मेट में सातवे नम्बर पर आकर बल्लेबाज़ी करना उतना आसान नहीं होता।  

टीम इण्डिया की कोचिंग अगला लक्ष्य 

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दिशांत ने अपने बारे में बात करते हुए बताया की उनकी इच्छा थी की वह भी नीली जर्सी पहनकर टीम इंडिया के लिए प्रदर्शन करते लेकिन थोड़े मार्जिन से रह गए। 2013 में 25 चयनित खिलाडियों में नाम था। हालाँकि वह कोशिश में है की अगर मौका मिला तो टीम इण्डिया के लिए फील्डिंग कोच बनने का सपना ज़रूर पूरा करेंगे।    

युवाओ को सन्देश -  Suffer को आसानी से झेल लिया तो कॅरियर का सफर आसान हो जायेगा

युवा क्रिकेटरों को सन्देश देते हुए कहा की इंग्लिश वाला suffer और हिंदी वाला सफर साथ चलता है। सभी खिलाड़ियों को चाहे वह जोस बटलर हो या विराट कोहली हो।  इंग्लिश वाला suffer सभी को झेलना पड़ता है।  suffer को आसानी से झेल लिया तो कॅरियर का सफर आसान हो जायेगा। अपना कोचिंग अनुभव बताते हुए दिशांत ने बताया की एक एक खिलाडी के साथ समय देना पड़ता है। सबका अलग अलग स्टैण्डर्ड होता है। सबके साथ अलग अलग मेहनत करती पड़ती है।  कोच अगर एक गुणा मेहनत करता है तो खिलाड़ियों को बारह गुणा मेहनत करनी पड़ती है। अपने आप से आत्मविश्वास रखना पड़ता है। और आत्मविश्वास कड़ी मेहनत से ही आ सकता है। 

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