जाने MLSU कुलपति अमेरिका सिंह के बारे में कुछ अनकही


जाने MLSU कुलपति अमेरिका सिंह के बारे में कुछ अनकही

राजनैतिक कारणों से विवाद में ज़रूर रहे लेकिन उपलब्धियां भी कम नहीं 

 
amerika singh

मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर अमरिका सिंह उच्च एवं तकनीकी शिक्षा जगत में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं। चाहे वह नाथद्वारा बिलोता में  बिना एक भी पैसा खर्च किए राज्य सरकार से 60 बीघा जमीन आवंटित करवाना, जहां नॉर्थ कैंपस बन रहा है। या अगले साल आयोजित होने वाला 108वीं साइंस कांग्रेस का महाकुंभ। लेकिन दुर्भाग्य से प्रोफेसर अमेरिका सिंह की चर्चा उपरोक्त कार्यो से न होकर दलगत राजनीति और यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध निजी कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के वित्त विभाग के बीच जीएसटी के मुद्दे पर हुए विवाद में घसीटे जाने को लेकर होती है। 

दरअसल, जब उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत से इंजीनियरिंग पढ़ने ज्यादातर छात्र कर्नाटक-तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में जाया करते थे उस समय प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने उत्तर प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम करते हुए कई दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित करवाए, जहां कम से कम खर्चे में छात्रों के लिए इंजीनियरिंग और टेक्निकल एजुकेशन सुविधा उपलब्ध हो रही है। 

प्रोफेसर अमेरिका सिंह के उसी ज्ञान और अनुभव का फायदा आज मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी को मिल रहा है जहां आर्किटेक्चर और इंजीनियरिंग कॉलेज खुल चुका है साथ ही नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज तथा अन्य कई रोजगारपरक तकनीकी कोर्सेज पाइप लाइन में चल रहे है। पहले जहां सुखाडिया यूनिवर्सिटी में जमीनें बेची जा रही थी, वहीं अब यूनिवर्सिटी का विस्तार हो रहा है। बिना एक भी पैसा खर्च किए राज्य सरकार से नाथद्वारा हाईवे पर यूनिवर्सिटी से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर बिलोता में 60 बीघा जमीन आवंटित कराई है जहां नॉर्थ कैंपस बन रहा है। 

हालाँकि इस दौरान कुलपति पर वित्तीय अनियमितता का आरोप भी लगा है। लेकिन सोचने वाली बात है कि यहां खुलने वाले कॉलेज और कोर्सेज से लाभन्वित होने वाले अधिकांश बच्चे उदयपुर और मेवाड़ के ही होंगे। इसी तरह निंबाहेड़ा में स्थापित प्राइवेट श्रीकल्लाजी वैदिक यूनिवर्सिटी जब वित्तीय संकट में आई तो उन्होंने प्रो अमेरिका सिंह के कार्यकाल में ही 50 बीघा जमीन में बना हुआ भव्य परिसर लगभग 100 करोड रुपए की लागत का, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय को निशुल्क देने का फैसला किया। 

इधर यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस के लिए भी देवस्थान विभाग से जमीन लेने का प्रयास किया जा रहा है जिसमें मेडिकल एजुकेशन फैकेल्टी खोली जाएगी। उदयपुर में प्राइवेट कोलेज लाखों करोड़ों रुपए लेकर मेडिकल की सीटे बेच रही है रही है वहाँ हमारी स्टेट यूनिवर्सिटी अपना मेडिकल कॉलेज खोलने के प्रयास कर रही है, इसे समर्थन दें या इसकी निंदा करें।  
 
सारे केंपस और कोर्स यूनिवर्सिटी के एक्ट और नियमों के अनुसार ही खोले जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी का मोटिव है शिक्षा का विस्तार और नवाचार। यूनिवर्सिटी में नए केंपस, फैकल्टी और नई डिपार्टमेंट खोलने के लिए तारीफ करने की बजाय राजनैतिक कारणों से निंदा की जा रही है। 

उदयपुर में अगले साल 108वीं साइंस कांग्रेस का महाकुंभ होने जा रहा है जिसमें लगभग 30-35 हजार वैज्ञानिक और दर्जनों नोबेल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक आयेंगे। साइंस कांग्रेस का आयोजन कराने के लिए बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में कड़ी टक्कर रहती है, प्रोफेसर अमेरिका सिंह की सामर्थ्य है की राजस्थान प्रदेश और मेवाड़ की धरती पर साइंस कांग्रेस का आयोजन होने जा रहा है। 

सेवाकाल समाप्त होते ही कुलपति तो कुछ दिनों बाद वापस चले जाएंगे लेकिन मेवाड़ के इतिहास में उच्च शिक्षा जगत में इनके प्रयासों और ऐतिहासिक कामों के लिए याद किये जाते रहेंगे। वैसे भी प्रोफेसर अमेरिका सिंह का विरोध होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, इस यूनिवर्सिटी की ऐसी ही परिपाटी है। इस यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए सुखाडिया जी की प्रार्थना पर उदयपुर आने वाले इंटरनेशनल पर्सनेलिटी और ग्रेटेस्ट प्रोफेसर जीएस महाजनी साहब (1963-1972) को भी यहाँ लांछित करने का प्रयास किया गया था जिसके नाम पर पूना में प्रमुख सड़क का नाम है तो  प्रो. अमरीका सिंह किस खेत की मूली है। 

जिस जमाने में पास होना एक चुनौती होती थी उस जमाने में प्रो. अमरीका सिंह का पूरा शैक्षणिक कैरियर थ्रू आउट फर्स्ट डिवीजन वाला है। प्रो सिंह ने 1976 में विज्ञान वर्ग से प्रथम श्रेणी में हाई स्कूल, 1978 में विज्ञान वर्ग से प्रथम श्रेणी में ही इंटरमीडिएट, 1981 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से प्रथम श्रेणी में केमिस्ट्री में बीएससी ऑनर्स, 1986 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से प्रथम श्रेणी में ही ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में एमएससी की डिग्री हासिल की है। प्रोफ़ेसर अमेरिका सिंह ने 1986 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. की डिग्री हासिल की और शिक्षा जगत में प्रवेश किया । 

अमेरिका सिंह इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी- उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी  में 20.10.2007 से दिनांक 01.02.2020 को रिटायर होने  तक प्रोफेसर पद पर कार्य करते रहे है। विश्वविद्यालय में अपनी सेवा अवधि के दौरान प्रोफेसर अमेरिका सिंह ने अध्यक्ष, अप्लाइड साइंस विभाग, कन्वीनर -बोर्ड ऑफ स्टडीज, डीन- स्टूडेंट वेलफेयर, चीफ वार्डन, प्राक्टर तथा डीन-स्पॉन्सर्ड रिसर्च जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवायें प्रदान की हैं। 

यदि किसी माननीय या जनप्रतिनिधियों की कुलपति से कोई वैमनस्यता है, कोई काम पसंद नहीं आ रहा तो उन्हें बुलाकर, संवाद के माध्यम से विवाद को हल करना चाहिए। इस यूनिवर्सिटी को केवल राजनीति का अड्डा बनाने से किसी समस्या का हल नहीं हो सकता। 

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