कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित

कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित

यूनिवर्सिटी मलेशिया केलंतन और डीएचएस फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया

 
Shiv singh Sarangdevot

उदयपुर । जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत को यूनिवर्सिटी मलेशिया केलंतन, मलेशिया और डीएचएस फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान शिक्षा में नवीन पद्धतियों और नवाचारों का अन्वेषण कर उनके संवर्धन में अनुपम अवदान हेतु प्रदान किया गया। 

हाल ही में प्रो. सारंगदेवोत ने कुलपति के पद पर 10 वर्ष पूर्ण कर 11वें वर्ष में प्रवेश किया है। कुलपति से पूर्व वे जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के रजिस्ट्रार और कंप्यूटर विज्ञान तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक पर भी कार्य कर चुके हैं। 

उनके विशिष्ट कार्यों में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ की गरिमा को पुनर्स्थापित करना, नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्राप्त कर लेना, सभी पाठ्यक्रमों की यूजीसी से मान्यता लेना, विद्यापीठ का आईआईआरएफ व यूनिरैंक में उदयपुर में प्रथम व राज्य में तृतीय स्थान प्राप्त कर पाना, राष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन तथा विद्यापीठ का एक रिकॉर्ड स्वीकृत होना शामिल हैं। 

प्रो. सारंगदेवोत के उच्च आदर्शों, उत्कृष्ट अकादमिक कार्यों, नैतिक मूल्यों, कुशल प्रशासन क्षमता, निष्णात शोध कार्यों, कर्तव्य परायणता की भावना तथा समाज के आर्थिक रूप से विपन्न वर्ग, वंचित वर्ग, प्रौढ़ शिक्षा, कौशल-आधारित शिक्षा के उत्थान, ग्रामीण उत्थान आदि कार्यों को दृष्टिगत करते हुए यह सम्मान प्रदान किया गया है। 

वे भारतीय सामाजिक विज्ञान परिषद में सलाहकार हैं तथा नैक की कु्छ विज़िटिंग टीम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न शोध पत्रिकाओं एवं सम्मेलन कार्यवाहियों में 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।  वे अनेक आमंत्रित व्याख्यान दे चुके हैं। उनकी 10 पुस्तकें और 5 मोनोग्राफ प्रकाशित हो चुके हैं और उन्होंने अपने नाम से 25 पेटेंट्स का पंजीकरण करवाया है। आपके मार्गदर्शन में 38 शोध ग्रन्थ (पीएच.डी.) जमा हो चुके हैं  और 9 शोधकर्ता अभी पीएच. डी. कर रहे हैं।

प्रो. सारंगदेवोत द्वारा कोविड महामारी के समय में किए गए कार्य भी उल्लेखनीय हैं। इस आपदा काल में उन्होंने कुशल ऑनलाइन शिक्षण, वेबिनार्स व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त आयुष मंत्रालय की दवाइयों का घर-घर वितरण, टीकाकरण, मास्क व राशन वितरण आदि कई कार्य करवाए।  

अपनी गहन प्रतिबद्धता से 100 से अधिक संगोष्ठियाँ, 50 से अधिक वेबिनार, 2014-15 में संस्थानों और विश्वविद्यालयों श्रेणी में पेटेंट फाइलिंग में IIT के बाद दूसरा स्थान प्राप्त करना, 13 शोध पत्रिकाओं का प्रारंभ और संचालन, शोध प्रयोगशालाओं की स्थापना, मीरा, महाराणा प्रताप और राव मोहन सिंह पीठ की स्थापना, संकाय सदस्यों को आर्थिक प्रोत्साहन, आधारभूत संरचना की सशक्तता, पुस्तकालयों का डिजिटलीकरण, उत्कृष्ट परीक्षा सुधार, प्रगतिशील शोध कार्य, कई कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ, आदि कार्य करवाए। 

अपने कार्यकाल में प्रो. सारंगदेवोत ने न केवल कई नये अकादमिक और कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किया वरन दो कन्या महाविद्यालयों की स्थापना भी की और सांयकालीन महाविद्यालय को पुनर्जीवित किया। नवाचार करते हुए आपने ज्योतिष, वास्तुशास्त्र व योग आधारित पाठ्यक्रमों को भी अपने विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया, जिन्हें इस सम्मान में भी रेखांकित किया गया है।

इससे पूर्व प्रो. सारंगदेवोत की श्रेष्ठ शैक्षणिक एवं प्रशासनिक उपलब्धियों को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2014 में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा चंपारण महोत्सव में 1,00,000/- नगद रुपये का प्रतिष्ठित “महर्षि वाल्मीकि सम्मान” प्रदान किया गया। 2014 में ही उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा प्रतिष्ठित “जौहर सम्मान” प्रदान किया गया। वर्ष 2017 में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा कर्नल की उपाधि से अलंकृत हुए। इनके अतिरिक्त प्रो. सारंगदेवोत उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने तथा सामजिक उत्थान की गतिविधियों हेतु कई बार पूर्व में भी सम्मानित हुए हैं।

उदयपुर । जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत को यूनिवर्सिटी मलेशिया केलंतन, मलेशिया और डीएचएस फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान शिक्षा में नवीन पद्धतियों और नवाचारों का अन्वेषण कर उनके संवर्धन में अनुपम अवदान हेतु प्रदान किया गया। 

हाल ही में प्रो. सारंगदेवोत ने कुलपति के पद पर 10 वर्ष पूर्ण कर 11वें वर्ष में प्रवेश किया है। कुलपति से पूर्व वे जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के रजिस्ट्रार और कंप्यूटर विज्ञान तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक पर भी कार्य कर चुके हैं। 

उनके विशिष्ट कार्यों में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ की गरिमा को पुनर्स्थापित करना, नैक द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्राप्त कर लेना, सभी पाठ्यक्रमों की यूजीसी से मान्यता लेना, विद्यापीठ का आईआईआरएफ व यूनिरैंक में उदयपुर में प्रथम व राज्य में तृतीय स्थान प्राप्त कर पाना, राष्ट्रीय स्तर के खेलों का आयोजन तथा विद्यापीठ का एक रिकॉर्ड स्वीकृत होना शामिल हैं। 

प्रो. सारंगदेवोत के उच्च आदर्शों, उत्कृष्ट अकादमिक कार्यों, नैतिक मूल्यों, कुशल प्रशासन क्षमता, निष्णात शोध कार्यों, कर्तव्य परायणता की भावना तथा समाज के आर्थिक रूप से विपन्न वर्ग, वंचित वर्ग, प्रौढ़ शिक्षा, कौशल-आधारित शिक्षा के उत्थान, ग्रामीण उत्थान आदि कार्यों को दृष्टिगत करते हुए यह सम्मान प्रदान किया गया है। 

वे भारतीय सामाजिक विज्ञान परिषद में सलाहकार हैं तथा नैक की कु्छ विज़िटिंग टीम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न शोध पत्रिकाओं एवं सम्मेलन कार्यवाहियों में 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।  वे अनेक आमंत्रित व्याख्यान दे चुके हैं। उनकी 10 पुस्तकें और 5 मोनोग्राफ प्रकाशित हो चुके हैं और उन्होंने अपने नाम से 25 पेटेंट्स का पंजीकरण करवाया है। आपके मार्गदर्शन में 38 शोध ग्रन्थ (पीएच.डी.) जमा हो चुके हैं  और 9 शोधकर्ता अभी पीएच. डी. कर रहे हैं।

प्रो. सारंगदेवोत द्वारा कोविड महामारी के समय में किए गए कार्य भी उल्लेखनीय हैं। इस आपदा काल में उन्होंने कुशल ऑनलाइन शिक्षण, वेबिनार्स व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं के अतिरिक्त आयुष मंत्रालय की दवाइयों का घर-घर वितरण, टीकाकरण, मास्क व राशन वितरण आदि कई कार्य करवाए।  

अपनी गहन प्रतिबद्धता से 100 से अधिक संगोष्ठियाँ, 50 से अधिक वेबिनार, 2014-15 में संस्थानों और विश्वविद्यालयों श्रेणी में पेटेंट फाइलिंग में IIT के बाद दूसरा स्थान प्राप्त करना, 13 शोध पत्रिकाओं का प्रारंभ और संचालन, शोध प्रयोगशालाओं की स्थापना, मीरा, महाराणा प्रताप और राव मोहन सिंह पीठ की स्थापना, संकाय सदस्यों को आर्थिक प्रोत्साहन, आधारभूत संरचना की सशक्तता, पुस्तकालयों का डिजिटलीकरण, उत्कृष्ट परीक्षा सुधार, प्रगतिशील शोध कार्य, कई कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ, आदि कार्य करवाए। 

अपने कार्यकाल में प्रो. सारंगदेवोत ने न केवल कई नये अकादमिक और कौशल विकास आधारित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किया वरन दो कन्या महाविद्यालयों की स्थापना भी की और सांयकालीन महाविद्यालय को पुनर्जीवित किया। नवाचार करते हुए आपने ज्योतिष, वास्तुशास्त्र व योग आधारित पाठ्यक्रमों को भी अपने विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किया, जिन्हें इस सम्मान में भी रेखांकित किया गया है।

इससे पूर्व प्रो. सारंगदेवोत की श्रेष्ठ शैक्षणिक एवं प्रशासनिक उपलब्धियों को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 2014 में बिहार के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा चंपारण महोत्सव में 1,00,000/- नगद रुपये का प्रतिष्ठित “महर्षि वाल्मीकि सम्मान” प्रदान किया गया। 2014 में ही उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा प्रतिष्ठित “जौहर सम्मान” प्रदान किया गया। वर्ष 2017 में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय द्वारा कर्नल की उपाधि से अलंकृत हुए। इनके अतिरिक्त प्रो. सारंगदेवोत उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने तथा सामजिक उत्थान की गतिविधियों हेतु कई बार पूर्व में भी सम्मानित हुए हैं।

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