गुड्डू भाई रबड़ी वाला - पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है रबड़ी बनाने का काम

गुड्डू भाई रबड़ी वाला - पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है रबड़ी बनाने का काम

आज उदयपुर टाइम्स आपको ऐसे ही जायके से रुबरु करा रहा है

 
guddu bhai rabdi wala

डायबिटीज जैसी बीमारी होने वालों के लिए फीकी रबड़ी भी आपको गुड्डु भाई के यहां मौजूद

दूध से बनी रबड़ी का नाम आते ही हर किसी के भी मुंह में पानी आ जाता है। यह ऐसी मिठाई है, जिसको आमतौर पर सर्दी के दिनों में ज्यादा खाई जाती है लेकिन रबड़ी का स्वाद लोगों को इतना भाने लगा है कि अब 12 महीने ही इसे शौक से खाया जाता है। आज उदयपुर टाइम्स आपको ऐसे ही जायके से रुबरु करा रहा है। मास्टर कॉलोनी में स्थित गुड्डु भाई रबड़ी वाले जहां कढ़ाही में बनती हुई गर्मागर्म ताजी लच्छेदार रबड़ी खिलाई जाती है। इस रबड़ी की खासियत ही कुछ इस तरह है कि मुंह में जाते ही स्वाद का आनंद घोल देती है । साथ ही जिन लोगों को डायबिटीक लोगो के लिए फीकी रबड़ी भी आपको गुड्डु भाई रबड़ी वाले के यहां मिलेगी।

पीढ़ी दर पीढ़ी जारी है रबड़ी बनाने का काम

शहर को रबड़ी का जायका चखा रहे है गुड्डु भाई रबड़ी वाले। रबड़ी की तरह ही इनका मिज़ाज है कहें तो एक दम मीठा। जब हमने गुड्डु भाई रबड़ी वालो से बात की तो उन्होने बताया कि उनके दादाजी के वक्त से। उनके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी यह क्रम जारी है। गुड्डु भाई उदयपुर में अपनी रबड़ी से फेमस होने के साथ सोशल मिडिया पर भी कुछ इस तरह ही फेमस है। गुड्डु भाई की रबड़ी बनाते हुए विडियो को काफी लोगों ने लाइक किया है। सोशल मिडिया पर उनकी कई विडियो है जिनमें वह डांस करते हुए तो कभी किस ओर अंदाज में रबड़ी बनाते हुए नजर आ रहे है।  

गुजराती लोगों की पसंद बन चुकी है गुड्डु भाई की रबड़ी

स्वादिष्ट और लच्छेदार रबड़ी के लिए उदयपुर के लोग ही नहीं इसका ज़ायका लेते है बल्कि गुजरात तक गुड्डु भाई की रबड़ी का स्वाद फेमस है। दूर दूर से लोग रबड़ी का ज़ायका लेने आते है।

किस तरह बनती ही लच्छेदार रबड़ी

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रबड़ी बनाने के लिए दूध होना बेहद जरुरी है। सबसे पहले दूध को कढ़ाही में गर्म होने के लिए रखा जाता है। और गैस की कम आंच पर धीरे धीरे पकाया जाता है। तेज आंच होने से दूध चिपक जाता है। एक उबाल आने तक दूध को खोचे से चलाया जाता है। गैस की कम आंच पर इसके पकाया जाता है। थोड़ी-थोड़ी देर में दूध में आ रहे लच्छे चम्मच से एक तरफ किए जाते है। इस दौरान दूध को बिल्कुल नहीं चलाया जाता है। जब दूध गाढ़ा होकर बदामी रंग का हो जाता है। तब उसमें स्वाद अनुसार शक्कर डाली जाती है। इस तरह आपकी ज़ायकेदार रबड़ी तैयार हो जाती है।

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