बोहरा रिफॉर्म मूवमेंट के अगुआ और गोधरा के मशहूर समाजसेवी, ज़ैनुद्दीन वली की, आज 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। ताउम्र मानवता की सेवा करने वाले डॉ ज़ैनुद्दीन वली ने मरने के बाद भी अपनी देह का दान कर, न सिर्फ समाज सेवा का अपना जज़्बा क़ायम रखा, बल्कि दाऊदी बोहरा समाज में मृत्यु के पश्चात अपनी देहदान कर एक मिसाल कायम की है, जो की बोहरा समाज में देखने को नहीं मिलती। वर्ष 2018 में पहले डॉ ज़ैनुद्दीन वली की पत्नी ज़ुबैदा बाई वली की भी मृत्यु के पश्चात् देहदान की गई थी। बोहरा समाज के यह पहले दम्पति है जिन्होंने अपनी देहदान की है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के पूर्व वाईस चैयरमैन और ज़ोनल सेक्रेटरी और बोहरा यूथ एसोसिएशन, गोधरा के अध्यक्ष रह चुके ज़ैनुद्दीन वली, ताउम्र बोहरा सुधारवादी आंदोलन से जुड़े रहे है। वर्ष 2018 में अपनी पत्नी ज़ुबैदा बाई वली के निधन के बाद धार्मिक मान्यताओं और समाज की परम्परा से आगे निकलकर अपनी पत्नी की मृत्यु के पश्चात् देहदान किया था। आज उनके निधन के पश्चात्, उनकी इच्छा के अनुसार उनके परिवार ने ज़ैनुद्दीन वली की देह को दान कर एक मिसाल कायम की है।
ज़ैनुद्दीन वली के सुपुत्र डॉ सरवर वली ने बताया कि गोधरा के मेडिकल कॉलेज एन्ड हॉस्पिटल में कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने पर मरहूम ज़ैनुद्दीन वली की देह को ज़ायडस (Zydus) मेडिकल कॉलेज एन्ड हॉस्पिटल दाहोद में दान किया गया। ज़ैनुद्दीन वली अपने पीछे दो पुत्र और दो पुत्रियों का परिवार छोड़ कर गए है।
20 मार्च 1933 को गोधरा (गुजरात) में जन्मे ज़ैनुद्दीन वली बोहरा सुधारवादी आंदोलन से जुड़ने वाले गोधरा के पहले व्यक्ति थे। पेशे से व्यापारी, ज़ैनुद्दीन वली को बोहरा सुधारवादी आंदोलन से जुड़ने के बाद सामाजिक बहिष्कार का दंश भी झेलना पड़ा। अपने बच्चो की शादी से लेकर, सभी तरह के धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर पाबंदियों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक की उनके परिवार के सदस्यों को मृत्यु के पश्चात समाज के कब्रिस्तान में जगह नहीं मिली।
समाजसेवी ज़ैनुद्दीन वली ने सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलते हुए, न सिर्फ बोहरा समाज, बल्कि अन्य समाज और वंचित वर्ग के लोगो के लिए भी गोधरा में लगातार काम करते रहे। 1975 से गोधरा के लायंस क्लब प्रमुख के रूप में जुड़कर अनेक समाजोपयोगी कार्य किये।
25 साल से स्कूल भी चला रहे थे
ज़ैनुद्दीन वली के सुपुत्र डॉ शुजात वली ने बताया कि उनके पिता 25 साल से गोधरा में गरीब बच्चों के लिए नवरचना माध्यमिक एवं सेकण्ड्री स्कूल संचालित कर रहे थे, जिनमे अभी वर्तमान में करीब 1200 बच्चे अध्ययनरत है। इसी प्रकार उन्होंने करीब 600 महिलाओ को शिक्षित किया। इसके अतिरकित वे गोधरा में मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी की सदस्य थे, जो कि मुस्लिम और अन्य समाज के बच्चो को शिक्षित करने में अहम् भूमिका अदा करती है।
सामजसेवी ज़ैनुद्दीन वली के सुपुत्र डॉ सरवर वली ने बताया कि उनके पिता जनसेवा एजुकेशन सोसायटी ट्रस्ट के फाउंडर मेंबर थे। वहीँ उन्होंने हैदरी को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की भी स्थापना की थी जिसके तहत माध्यम वर्ग को घर और मकान दिलवाने में मदद करती है। मरहूम ज़ैनुद्दीन वली गोधरा की रेडक्रॉस सोसायटी के आजीवन सदस्यों में से एक थे।
समय समय पर वह बोहरा रिफॉर्म मूवमेंट से जुड़े लोगो का निरन्तर मार्गदर्शन करते रहे और जब जब रिफॉर्म मूवमेन्ट को आवश्यकता पड़ी है, तो उन्होंने वित्तीय सहायता भी की है। इस अतिरिक्त वह वह गुजरात के पंचमहल मुस्लिम रेस्क्यू सोसायटी के आजीवन सदस्य थे। इस संस्था से जुड़कर उन्होंने 2002 के गुजरात दंगो में विस्थापित मुस्लिम परिवारों की भरपूर मदद की।
उदयपुर के बोहरा यूथ मेडिकल रिलीफ सोसायटी के अध्यक्ष अनीस मियांजी ने बताया कि ज़ैनुद्दीन वली मेडिकल को हर माह एक निश्चित रकम डोनेट करते थे, और उदयपुर के बोहरा यूथ मूवमेंट से पहले दिन से जुड़े हुए थे। उनके निधन से बोहरा सुधारवादी आंदोलन और उदयपुर बोहरा यूथ से जुड़े लोगो में शोक की लहर व्याप्त है।
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