कहते है हिम्मत और हौसला बुलंद हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है नारायण सेवा संस्थान द्वारा आयोजित 21वी नेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में हिस्सा ले रहे सतेंद्र सिंह की।
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) निवासी 34 वर्षीय सतेंद्र सिंह लोहिया का जन्म वेसली नदी के किनारे एक गाता गाँव (जिला-भिंड) में हुआ। बचपन में दोनों पैरों से बामुश्किल चल पाते थे। स्कूल ख़त्म होने के बाद घंटो तक वेसली नदी में तैरते रहते। गाँव वाले दिव्यांगता पर ताने मारते थे लेकिन निराश होने के बजाय उन्होंने निश्चय किया कि वह दिव्यांगता को कभी अपने राह का रोड़ा नहीं बनने देंगे।
सन 2007 में डॉ वी.के.डबास के संपर्क में आए तो उन्होंने सतेंद्र को पैरा तैराकी के लिए मोटिवेट किया, इससे सतेंद्र के जीवन को नई दिशा मिली। 2009 में कलकत्ता में राष्ट्रीय पैरालीम्पिक स्विमिंग चैंपियनशिप में पहली बार ब्रोंज जीता। इस जीत ने उन्हें इतना अधिक मोटीवेट किया कि वह राष्ट्रीय पैरालम्पिक में एक के बाद एक 24 गोल्ड मैडल जीते। उन्होंने जून 2018 को अपनी पैरा रिले टीम के माध्यम से इग्लिश चैनल को तैरकर पार किया।
इतना ही नहीं उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैरालिम्पिक तैराक चैंपियनशिप में एक गोल्ड के साथ तीन मेडल हासिल किये है। वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें विक्रम अवार्ड से नवाज़ा। 3 दिसम्बर वर्ष 2019 को सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के पुरुस्कार से महामहिम उपराष्ट्रपति ने सम्मानित किया।
वर्ष 2020 में महामहिम राष्ट्रपति द्वारा तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार पहली बार किसी दिव्यांग पैरा तैराक खिलाडी को दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इनकी प्रतिभा की तारीफ़ की है। वर्तमान में अब इंदौर में कमर्शियल टैक्स विभाग के अधीन कार्यरत है |
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