दिवंगत न्यायमूर्ति एच सुरेश को द्धितीय डॉ. असगर अली इंजीनियर मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा


दिवंगत न्यायमूर्ति एच सुरेश को द्धितीय डॉ. असगर अली इंजीनियर मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा

बॉम्बे हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस होसबेट कई दशकों से भारत में हाशिए पर रहने वाले लोगों की आवाज़ थे। सेवानिवृति के बाद भी वे देश के वंचित लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आजीवन अडिग रहे।
 
दिवंगत न्यायमूर्ति एच सुरेश को द्धितीय डॉ. असगर अली इंजीनियर मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा
डॉ. असगर अली इंजीनियर मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड की स्थापना सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्युलरिज़्म, इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज़  और बोहरा यूथ संस्थान द्वारा डॉ. इंजीनियर के सांप्रदायिक सद्भाव, दाऊदी बोहरा के भीतर प्रगतिशील सुधार और लैंगिक न्याय के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। जिसमें 25 हज़ार रूपये नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।  

उदयपुर, 16 जुलाई. दिवंगत न्यायमूर्ति होसबेट सुरेश को मरणोपरांत द्धितीय  डॉ. असगर अली इंजीनियर मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। 

सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाउदी बोहरा कम्युनिटी के अध्यक्ष मंसूर अली बोहरा ने आज प्रेस वेबवार्ता के दौरान बताया कि बॉम्बे हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस होसबेट कई दशकों से भारत में हाशिए पर रहने वाले लोगों की आवाज़ थे। सेवानिवृति के बाद भी वे देश के वंचित लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आजीवन अडिग रहे।

न्यायमूर्ति सुरेश ने हाशिए पर रहने वाले समुदायों के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर अनेक जन न्यायाधिकरणों का नेतृत्व किया  जिनमें बैंगलोर दंगे (1991) - कावेरी जल विवाद के बाद; बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगों पर पीपुल्स वर्डिक्ट (1993); "जबरन साक्ष्य - मुंबई में फुटपाथ और स्लम डवेलर्स होम्स के क्रूर विध्वंस में एक भारतीय पीपुल्स ट्रिब्यूनल जांच" (1995) आदि प्रमुख है। तथ्यों और गवाही के एक जटिल संकलन के स्वरूप उनकी रिपोर्ट्स को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की कार्यवाही में अक्सर उद्धृत किया जाता है। इसी तरह उन्होंने पूर्वी तट पर झींगा पालन के हानिकारक प्रभावों के बारे में रिपोर्ट संकलित की, फलस्वरूप सर्वोच्च न्यायालय को वर्ष 1995 झींगा की खेती पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। 

उन्होंने प्रेस वार्ता में बताया कि जस्टिस सुरेश उस आयोग का भी हिस्सा थे जिसने तमिलनाडु पुलिस (1999) द्वारा दलितों के डूबने की जाँच की थी; देवास, मध्य प्रदेश (1999) में आदिवासियों की शूटिंग; और 2002 के गुजरात दंगों की जांच जिसमें "मानवता के खिलाफ अपराध" नामक एक शक्तिशाली रिपोर्ट में शातिर हिंसा का परिसीमन हुआ।

जस्टिस सुरेश  बॉम्बे हाई कोर्ट सेवानिवृति के लगभग तीन दशक बाद तक भी न्यायमूर्ति सुरेश निडर होकर कई नागरिक समाज संगठनों के साथ न्याय के लिए लड़ने के लिए आम लोगों के साथ खड़े। अपने पूरे जीवन में, वह अंतरात्मा और सच्चाई की आवाज थे। न्याय के लिए उनकी विनम्रता और खोज ने कई नागरिक सामाजिक संगठनों, मानवाधिकार रक्षकों और कानूनी बंधुत्व को समाज के हाशिए और उत्पीड़ित वर्गों के संघर्षों के लिए प्रेरित किया।

डॉ. असगर अली इंजीनियर मेमोरियल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड की स्थापना सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्युलरिज़्म, इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज़  और बोहरा यूथ संस्थान द्वारा डॉ. इंजीनियर के सांप्रदायिक सद्भाव, दाऊदी बोहरा के भीतर प्रगतिशील सुधार और लैंगिक न्याय के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य को बढ़ावा देने हेतु प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है। जिसमें 25 हज़ार रूपये नकद और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।  

वर्ष 2019 में, यह पुरस्कार भारत में सांप्रदायिक सौहार्द और समन्वयवादी परंपराओं के लिए काम करने वाले प्रमुख साहित्यकार के पी रमानुन्नी को सम्मानित लेखक के रूप में प्रदान किया गया था। 

सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाउदी बोहरा कम्युनिटी के जोनल सेक्रेटरी नासिर जावेद ने बताया की इस वेब प्रेस वार्ता में प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता तिस्ता सीतलवाड़, डॉ. राम पुनियानी और इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज़ के प्रबंध न्यासी इरफ़ान इंजीनियर भी उपस्थित थे।  

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