तस्वीर में कलाकार खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं

तस्वीर में कलाकार खुद को उजागर करता है कलाकृति को नहीं

उदयपुर की कला बनी विदेशियों की पसंद 

 
UdaipurTimes Exclusive Th Art Story of Udaipur, Paintings in Udaipur, Rajasthani Paintings in Udaipur

राजस्थान में कला का सबसे अधिक प्रचलन है फिर वह हाथ द्वारा निर्मित की गई हो या किलों पर की गई कारीगरी हो। राजस्थान अपनी कला के लिए बेहद जाना जाता हैं। राजस्थान के कई शहरो में सुरम्य पेन्टिंग का चलन है जिसमें उदयपुर भी अपनी पहचान रखता हैं। लेकसिटी अपने कई खूबसूरत स्थलों, झीलों, किलों के लिए तो देशी-विदेशी सैलानियों पसंद आता ही है इसके साथ ही यहां कला भी उनके दिल पर राज़ किए हुए हैं। जी हां उदयपुर के कारीगरों द्वारा की गई कला विदेशों में अपनी छाप छोड़ रही हैं।

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उदयपुर के पास सुंदर झीले ही नहीं पेन्टिंग का खजाना भी हैं। उदयपुर के ऑल्ड सिटी में स्थित अशोका आर्ट्स में कई तरह की पेन्टिंगस मौजूद हैं। जिसमें कई पेंन्टिंग 16वीं शताब्दी को दर्शाती हैं। इन पेंन्टिंगस में महाराणाओं और मुगलों का रहन सहन को दर्शाया गया हैं। इसके साथ ही इस कलेक्शन में हिंदु देवी-देवताओं, राम सीता, गणेश, मुगलों में बहादुर शाह ज़फर, अकबर, औरंगज़ेब की जीवनी का जिक्र किया गया हैं। इन पेंन्टिंगस को बनाने के लिए कई खूबसूरत रंगो का इस्तेमाल किया जाता हैं जो इन पेन्टिंगस को बनाते समय अलग ही रुप देते हैं। यह रंग प्राकृतिक तरीके से और फूलों से निर्मित किए जाते हैं। तो आइए जानते है किस तरह पेन्टर्स अपनी कला को एक कागज़ पर किस तरह उकेरता हैं।

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अशोका आर्ट्स के मालिक अशोका मेहता बताते है कि पेन्टिंग को बनाने के लिए कला को कपड़े पर उकेरना सरल होता हैं। पेन्टिंग सिल्क और कॉटन के कपड़े पर ज्यादा बनाई जाती हैं। 100 सालों से ज्यादा पुराने कागज़ और कुछ नए कागज़ का उपयोग करके भी पेन्टिंग बनाई जाती हैं। आज के चलन में मार्बल, लकड़ी और दिवारों पर भी पेन्टर्स अपनी कला को उकेर रहे हैं।  वो कहते है कि उनके दादा ने अशोका आर्ट्स के समय तांत्रा मंत्रा से पेन्टिंग की शुरुआत हुई थी फिलहाल अभी इस कला को कोई नहीं जानता हैं।

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अशोका आर्ट्स  के संचालक बताते है कि उनके पिता अक्षय मेहता ने अशोका आर्ट्स गैलरी की शुरुआत तरह-तरह की पेन्टिंग्स बना कर की। कारोबार धीरे-धीरे इतना बढ़ गया की आज अशोका आर्ट्स गैलरी में 100 से अधिक पेन्टर्स कार्य करते हैं और राजस्थान के सभी ज़िलों की पेन्टिंग्स को बनाते हैं। 

राजस्थान के अनेक ज़िले अपनी कला की अलग अलग पहचान रखते हैं जैसे किशनगढ़ शैली, बूंदी स्कूल, कोटा स्कूल सभी तरह की पेन्टिंग्स अशोका आर्ट्स में बनाई जाती हैं। उदयपुर में प्रसिद्ध पेन्टिंग मेवाड़ शैली की पेन्टिंग बनाई जाती हैं। वहीं उदयपुर के नज़दीक नाथद्वारा में पिछवाई पेन्टिंग की जाती हैं। पिछवाई पेन्टिंग में श्री कृष्ण, राम सीता, गणेश की पेन्टिंग शामिल होती हैं। उन्होंने कहा की भारतीय लोग अक्सर पेन्टिंग बड़ी और सस्ती पसंद करते क्योंकि उनके पास घर बड़े होते हैं। लेकिन विदेशियों की बात करें तो वह अच्छी पेन्टिंग और छोटी ज्यादा पसंद करते है क्योंकि उनके घर छोटे होते हैं।  

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वह कहते है कि भारतीय लोग पेंन्टिंंग्स पर पैसा कम खर्च करना पसंद करते हैं। लेकिन अब थोड़ी अहमियत समझने लगे हैं। यदि भारतीयों में इस बात की समझ पैदा हो जाए तो इस कला को ओर बढ़ावा मिल सकता हैं। पिछवाई पेन्टिंग दो शब्दों में विभाजित हुई हैं अर्थात् पिछ का मतलब पिछे वाई का मतलब होता है हेंगिंग। यानी भगवान की मूर्ति के पीछ जो हेंगिंग की जाती है उसे पिछवाई पेन्टिंग कहा जाता हैं। पिछवाई पेन्टिंग में फूल, गाय, मोर, भगवान को शामिल किया जाता हैं। विदेशियों को पिछवाई पेन्टिंग कम पसंद आती हैं। 

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विदेशियों को अक्सर बर्ड, हन्टिंग, वाइल्ड एनिमल किसी भी भगवान की पेन्टिंग पसंद करते हैं। वह कहते है कि कोई पर्यटक या फिर शहरवासी इस कला को सिखना चाहता है तो वह उनकी वर्कशॉप आयोजित होती है उसमें आसानी से पेन्टिंग्स बनाना सीख सखता हैं। वर्कशॉप में बताया जाता है किस तरह के कलर और ब्रश का उपयोग पेन्टिंग बनाने में इस्तेमाल किया जाता हैं और पेन्टिंग्स बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।अशोका आर्ट्स गैलरी में 100 रु से लेकर 1,50000 रु तक की पेन्टिंग मौजूद हैं।

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