नहीं रहे पत्रकारिता के स्तम्भ विनोद दुआ

नहीं रहे पत्रकारिता के स्तम्भ विनोद दुआ

विनोद दुआ सत्ता से तीखे सवाल करने के लिए जाने जाते थे

 
Vinod Dua

अपनी बेबाक शैली और टीवी जर्नलिज़्म के नए आयाम स्थापित करने के उन्हें हमेशा हमेशा के लिए याद रखा जायेगा

वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ का आज दिल्ली में निधन हो गया। उनका निधन भारतीय टीवी पत्रकारिता जगत में एक अपूरणीय क्षति है। वह अपनी बेबाक शैली और सत्ता से तीखे सवाल करने के लिए जाने जाते रहे है उनकी बेटी मल्लिका ने इंस्टाग्राम पर इसकी पुष्टि की है। विनोद जी का अंतिम संस्कार कल लोधी श्मशान घाट में होगा। 

बेटी मल्लिका दुआ ने अपने पिता की एक तस्वीर साझा करते हए लिखा "हमारे निडर और असाधारण पिता, विनोद दुआ का निधन हो गया है। उन्होंने एक अद्वितीय जीवन जिया। दिल्ली की शरणार्थी कॉलोनियों से 42 वर्षों तक वह पत्रकारिता की उत्कृष्टता के शिखर तक बढ़ाते हुए हमेशा सच बोलते रहे। वह अब मेरी मां, उनकी प्यारी पत्नी चिन्ना के साथ स्वर्ग में हैं। वो एक दूसरे के साथ गाना, खाना बनाना, यात्रा करना एक-दूसरे के लिए जारी रखेंगे।"

11 मार्च 1954 को नई दिल्ली में जन्मे 67 वर्षीय विनोद दुआ को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस साल की शुरुआत में उन्हें कोरोना संक्रमण भी हुआ था। पिछले हफ्ते जब उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी मल्लिका ने एक स्वास्थ्य अपडेट भी शेयर किया था। हालांकि उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी। लेकिन चिकित्सकों का कहना था कि सुधार भी दिख रहा है। शनिवार शाम अचानक उनके निधन की खबर ने सभी को स्तब्ध करके रख दिया। बेटी ने अपनी पोस्ट में इसकी पुष्टि की।

1996 में विनोद दुआ पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जर्नलिस्ट थे जिन्हे रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज़्म के ख़िताब से नवाज़ा गया था। 2008 में पदम् श्री से नवाज़ा गया था।  जबकि 2017 में उन्हें मुंबई प्रेस क्लब ने रेडलिंक अवार्ड से नवाज़ा गया था। 

दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इंग्लिश लिटरेचर में स्नातक डिग्री हासिल करने उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की थी।  1974 में टेलीविज़न से जुड़ने के बाद 1984 में प्रणव रॉय के साथ चुनाव विश्लेषक के रूप में उनकी लोकप्रियता हासिल हुई।  

दूरदर्शन के बाद ज़ी टीवी, सहारा टीवी और एनडीटीवी में अपने जर्नलिज़्म की छाप छोड़ने वाले विनोद दुआ सत्ता से तीखे सवाल करने के लिए जाने जाते थे। अपनी बेबाक शैली और टीवी जर्नलिज़्म के नए आयाम स्थापित करने के उन्हें हमेशा हमेशा के लिए याद रखा जायेगा। 

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