कोरोना में रिश्तेदारों ने भी बनाई थी दूरियां वो लम्हा अभी तक करती हूं याद - इनफेक्शन कन्ट्रोल नर्स, शाहीन बानो


कोरोना में रिश्तेदारों ने भी बनाई थी दूरियां वो लम्हा अभी तक करती हूं याद - इनफेक्शन कन्ट्रोल नर्स, शाहीन बानो

इस महामारी में कोरोना योद्धाओं में कई महिलाओं ने अपने परिवार से दूर रहकर और सबसे आगे खड़े होकर मानवीय सेवा की मिसाल पेश की

 
कोरोना में रिश्तेदारों ने भी बनाई थी दूरियां वो लम्हा अभी तक करती हूं याद - इनफेक्शन कन्ट्रोल नर्स, शाहीन बानो
4 महिने बाद मैंने अपने बच्चों से मुलाकात की। एक मां के लिए बच्चों से दूर रहना बेहद मुश्किल होता है लेकिन आपके लिए सबसे पहले अपनी ड्यूटी जरुरी होती है।

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जा रहा है। 8 मार्च के दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सरकारी, गैर सरकारी, सामाजिक संगठनों और महिला संगठनों की ओर से कई कार्यक्रम बड़े समारोह कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के दौर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन महिलाओं के नेतृत्व को एक पहचान और सम्मान देने का वक्त है। बीते साल वैश्विक संक्रामक महामारी कोविड-19 के कहर से पूरी दुनिया प्रभावित हुई है। इस महामारी में कोरोना योद्धाओं में कई महिलाओं ने अपने परिवार से दूर रहकर और सबसे आगे खड़े होकर मानवीय सेवा की मिसाल पेश की।

जब ट्राइडेन्ट होटल में पहला मामला सामने आया था। तब महसूस नहीं हुआ था कि यह बीमारी इतना भयानक रुप ले लेगी। शाहिन बानो कहती है कि जब पहला मामला सामने आया तो मुझे थोड़ा डर महसूस हुआ था लेकिन किसी की मदद करने से बड़ी कोई नेकी नही है। आपको बता दे कि शाहिन बानो आरएनटी मेडिकल कॉलेज एन्ड हॉस्पिटल में इनफेक्शन कंट्रोल नर्स के पद पर कार्य करती है। कोरोना महामारी में उन्होनें डॉक्टर से लेकर कोरोना मरीज तक को ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग में वह बताती थी कोरोना से किस तरह से बचा जा सकता है।

उदयपुर टाइम्स से बात करते हुए उन्होनें बताया कि कोरोना महामारी में किस तरह से उन्होनें ट्रेनिंग दी। शाहिन बताती है कि 8 बजे से लेकर 12 बजे तक अपनी ड्यूटी की। रात में घर जाती थी तो खाना तक नहीं मिलता था। कभी- कभी तो बिना खाना खाए ही सो जाती थी। कोरोना महामारी का जब उदयपुर में पहला मामला सामने आया तो मैनें सबसे पहले अपने बच्चों और परिवार से दूरी बना ली थी। यह पल मेरे लिए बेहद मुश्किल था। 4 महिने बाद मेने अपने बच्चों से मुलाकात की। एक मां के लिए बच्चों से दूर रहना बेहद मुश्किल होता है लेकिन आपके लिए सबसे पहले अपनी ड्यूटी जरुरी होती है।

शाहीन कहती है कोरोना महामारी में मैने वो पल जिसने मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ दी वो था कि मेरे अपनों ने मुझसे दूरियां बना ली। जब मुझे रिश्तेदारों और अपनों की जरुरत थी तब वह सभी मुझसे दूर हो गए कि मेरी वजह से उनको कोरोना न हो जाए। जब उन्हें गर्व करना चाहिए था मेरे काम पर उस समय उन्होनें मुझसे दूरियां बना ली थी।

आपको बता दे कि शाहीन बानो सराड़ा की रहने वाली है। उन्होने अपनी शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय से हासिल की। दिल्ली से उन्होने कार्डियक सर्जरी का कोर्स किया। उसके बाद सऊदी अरब में कार्डियक सर्जरी की पोस्ट पर काम किया और अपनी सेवाएं दी। इसके साथ ही 2002 में उदयपुर आई। 2009 में GBH में इसी पोस्ट पर काम किया। और अब इनफेक्शन कंट्रोल नर्स की पोस्ट पर है।        

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