उदयपुर 9 नवंबर 2023। प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावो के मद्देनज़र नामांकन के बाद आज नाम वापसी की अंतिम तिथि के बाद आइये जानते है मेवाड़ वागड़ की 28 सीटों पर कौन कौन सी सीटों पर किनके बीच है मुख्य मुकाबला। किन सीटों पर कांग्रेस भाजपा के बागी और अन्य पार्टियों ने त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनाई है।
सबसे पहले उदयपुर ज़िले की बात करेंगे यहाँ विधानसभा सात सीट है जिनमे उदयपुर शहर, उदयपुर ग्रामीण, मावली, वल्लभनगर, गोगुन्दा, झाड़ोल और खेरवाड़ा विधानसभा सीट पर जानेंगे स्थिति
उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के ताराचंद जैन और कांग्रेस के गौरव वल्लभ पंत के बीच है। पिछली बार इस सीट पर भाजपा के गुलाबचंद कटारिया विजयी रहे थे। इस सीट दोनों ही पार्टी के कोई बागी उम्मीदवार नहीं है हालाँकि भाजपा के पारस सिंघवी ने बागी बनने की कोशिश ज़रूर की थी लेकिन अब मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही है।
इसके अलावा मैदान मे आम आदमी पार्टी से मनोज लबाना, जनता सेना के आशु अग्रवाल, भारत आदिवासी पार्टी से तुलसीराम गमेती, बहुजन मुक्ति पार्टी से नर्बदा भाटी कुंदन, इंडियन पीपुल्स ग्रीन पार्टी से भूरीसिंह, बहुजन मुक्ति पार्टी से नर्बदा भाटी कुंदन, इंडियन पीपुल्स ग्रीन पार्टी से भूरीसिंह, डॉ दीपक अग्रवाल, प्रमोदकुमार वर्मा भी मैदान में है। उदयपुर शहर विधानसभा से दो कांग्रेस कार्यकर्ता ने अपना निर्दलीय नामांकन वापस लिया है। जिसमें बड़ी गांव के सरपंच मदन पंडित और गुणवंती जोशी को मनाया गया। जिसके बाद गुरुवार को कांग्रेस प्रत्याशी गौरव वल्लभ के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया गया।
अनुसूचित जनजाति रिज़र्व इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला है। भाजपा ने यहाँ से वर्तमान विधायक फूल सिंह मीणा को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने विवेक कटारा को उम्मीदवार बनाया है पिछली बार भी मुकाबला इन दोनों के बीच ही हुआ था। इसके अतिरिक्त यहाँ से बीटीपी के अमित खराड़ी, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से गेबीलाल डामोर, निर्दलीय फुला उर्फ फूलचंद एवं शोभालाल गमेती भी मैदान में है।
मेवाड़ की सबसे हॉट सीट यहीं मानी जा रही है। यहाँ जनता सेना की वजह से हमेशा त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत ने त्रिकोणीय मुकाबले में अपने निकटतम प्रत्याशी जनता सेना के महाराजा रणधीर सिंह भिंडर को हराया था, तब भाजपा के प्रत्याशी उदयलाल डांगी तीसरे स्थान पर रहे थे। गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद 2021 में यहाँ उपचुनाव हुआ था जिनमे चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ था।
2021 उपचुनाव में 2018 के भाजपा प्रत्याशी उदयलाल डांगी को टिकट नहीं मिलने से उन्होंने हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के टिकट से चुनाव लड़ा था। इस चतुष्कोणीय मुकाबले में कांग्रेस की प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत ने अपने निकटतम प्रत्याशी आरएलपी के उदयलाल डांगी को 20 हज़ार से अधिक मतों से पराजित किया था, जनता सेना के महाराजा रणधीर सिंह भिंडर को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था जबकि भाजपा के हिम्मत सिंह झाला की ज़मानत ज़ब्त हो गई थी।
इस बार उदयलाल डांगी ने पाला बदलकर भाजपा से टिकट हासिल कर ली है। वहीँ कांग्रेस ने वर्तमान विधायक प्रीति शक्तावत को उम्मीदवार बनाया है जबकि जनता सेना के सुप्रीमो महाराजा रणधीर सिंह भिंडर ने अपनी दीपेंद्र कुंवर को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला तय है इस बीच कांग्रेस, भाजपा और जनता सेना के नेताओ का इधर से उधर पलायन भी जारी है। हर बार की तरह इस बार भी इस सीट पर मुकाबला रोचक होगा। इसके अतिरिक्त भारत आदिवासी पार्टी से सुखसंपत बागड़ी,निर्दलीय पूजा उर्फ पूरणसिंह लोगर, मोहनसिंह, रूपलाल मेनारिया भी मैदान में है
इस सीट से कांग्रेस ने पिछली बार के हारे हुए एवं एक बार के विधायक पुष्कर डांगी को फिर से उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने वर्तमान विधायक धर्मनारायण जोशी का टिकट काटकर नए चेहरे केजी पालीवाल को उम्मीदवार बनाया है वहीँ भाजपा से बागी होकर कुलदीप सिंह चुण्डावत ने यहाँराष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से ताल ठोक दी है ऐसे में यहाँ भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता सकता है। इस सीट पर डांगी समाज और क्षत्रिय समाज निर्णायक वोटर है। बहुजन समाज पार्टी से डॉ राजकुमार यादव, भारत आदिवासी पार्टी से अंगुरलाल भील, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जीवराज शर्मा, निर्दलीय दिनेश पुरोहित, प्रवीणसिंह आसोलिया, राजू पुरी गोस्वामी एवं रामलाल गुर्जर भी मैदान में है।
अनुसूचित जनजाति रिज़र्व इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच ही है। कांग्रेस ने यहाँ से वर्तमान विधायक डॉ दयाराम परमार को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने नानालाल अहारी को उम्मीदवार बनाया है। पिछले चुनावो में भी इन दोनों के बीच मुख्य मुकाबला हुआ था जिसमे कांग्रेस के डॉ दयाराम परमार ने जीता था। आम आदमी पार्टी से गौतमलाल, बहुजन समाज पार्टी से निमालाल, उम्मीद पार्टी ऑफ इंडिया से दुर्गेशकुमार,भारतीय ट्राइबल पार्टी से प्रवीणकुमार परमार, इंडियन पीपुल्स ग्रीन पार्टी से राजेंद्रकुमार मीणा, भारत आदिवासी पार्टी से विनोद कुमार मीणा तथा निर्दलीय डॉ सविता भी मैदान में है।
अनुसूचित जनजाति रिज़र्व इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच ही है। भाजपा ने यहाँ से वर्तमान विधायक प्रताप भील को ही उम्मीदवार बनाया है वहीँ कांग्रेस ने पिछली बार के उम्मीदवार मांगीलाल गरासिया को ही दोहराया है। पिछली बार इस सीट से भाजपा के प्रताप भील ने बाज़ी मारी थी। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी से दलपतराम, आम आदमी पार्टी से हेमाराम, भारत आदिवासी पार्टी से उदयलाल, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से लहरा, निर्दलीय प्रेमचंद गमेती तथा बत्तीलाल पुत्र हजारीलाल मीणा भी उम्मीदवार है
अनुसूचित जनजाति रिज़र्व इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच ही है। भाजपा ने यहाँ से वर्तमान विधायक बाबूलाल खराड़ी को ही उम्मीदवार बनाया है वहीँ कांग्रेस ने इस बार पूर्व विधायक हीरालाल दरांगी को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार इस सीट से भाजपा के बाबूलाल खराड़ी ने कांग्रेस के सुनील भजात को हराया था। कांग्रेस के बागी होकर निर्दलीय नामांकन करने वाले पूर्व प्रत्याशी सुनील भजात ने कांग्रेस प्रत्याशी हीरालाल दरांगी के समर्थन में नामांकन वापस ले लिया। वहीँ बहुजन समाज पार्टी से निमालाल, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्ससिस्ट से प्रेमचंद पारगी,भारत आदिवासी पार्टी से दिनेश पांडोर, भारतीय ट्राइबल पार्टी से डॉ देवविजय मीणा, निर्दलीय प्राची कमलसिंह मीणा, लाडूराम वडेरा एवं शांतिलाल भी मैदान में है।
अनुसूचित जनजाति रिज़र्व इस सीट पर भी मुख्य मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच ही है। भाजपा ने यहाँ से अपने वर्तमान विधायक अमृतलाल मीणा को टिकट दिया है जबकी कांग्रेस ने पिछली बार के उम्मीदवार और CWC मेंबर, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक रघुवीर सिंह मीणा पर फिर दांव लगाया है। पिछली बार कांग्रेस से की बागी उम्मीदवार रेशमा मीणा की वजह कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा क्षेत्र सलूम्बर से बहुजन समाज पार्टी से कन्हैयालाल मीणा, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से कालुराम मीणा, भारत आदिवासी पार्टी से जितेशकुमार मीणा, भारतीय ट्राईबल पार्टी से प्रकाश मीणा, निर्दलीय गोविन्द कलासुआ, दुर्गाप्रसाद मीणा, सेवाराम एवं हरजीलाल भी चुनाव मैदान में हैं।
अब बात करते है चित्तौडगढ़ विधानसभा सीटों की ज़िले में 5 सीट है
इस सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस ने यहाँ से पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जाड़ावत को टिकट दी है जबकि भाजपा ने वर्तमान विधायक चंद्रभान सिंह आक्या का टिकट काटकर नरपत सिंह राजवी को टिकट दिया है। चंद्रभान सिंह आक्या द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ने से यहाँ त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी हुई है। यहाँ के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते है। चंद्रभान सिंह आक्या ने पिछली बार 23 हज़ार से अधिक वोटो से जीता प्राप्त की थी।
इस सीट पर कांग्रेस भाजपा में सीधा मुकाबला है। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक उदयलाल आंजना को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने यहाँ से पूर्व विधायक श्रीचंद कृपलानी को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार कांग्रेस के उदयलाल आंजना ने भाजपा के श्रीचंद कृपलानी को 13 हज़ार से अधिक मतो से परास्त किया था।
जैन मतदाता बहुल इस सीट से कांग्रेस ने बद्री जाट को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने वर्तमान विधायक ललित ओस्तवाल का टिकट काटकर गौतम दक को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर कांग्रेस भाजपा में सीधा मुकाबला है।
अनुसूचित जाति के लिए रिज़र्व इस सीट पर भाजपा ने वर्तमान विधायक अर्जुन जीनगर को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस शंकरलाल बैरवा को उम्मीदवार बनाया है। टिकट नहीं मिलने से कांग्रेस ने आनंदी लाल खटीक ने निर्दलीय ताल ठोकी हुई है। हालाँकि यहाँ कांग्रेस भाजपा में सीधा मुकाबला दिख रहा है।
गुर्जर बहुल इस सीट पर कांग्रेस ने वर्तमान विधायक राजेंद्र सिंह विधूड़ी को ही उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने डॉ सुरेश धाकड़ को उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार यहाँ कड़े मुकाबले में कांग्रेस के राजेंद्र सिंह विधूड़ी को मात्र 166 वोटो से जीत मिली थी। इस बार भी कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।
अब बात करते है राजसमंद विधानसभा सीटों की जहाँ ज़िले में 4 सीट है
इस सीट से भाजपा ने वर्तमान विधायक दीप्ती माहेश्वरी को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने नारायण सिंह भाटी को उम्मीदवार बनाया है। 2018 के चुनाव में यहाँ से भाजपा की किरण माहेश्वरी ने चुनाव जीता था। किरण माहेश्वरी के निधन के बाद 2021 के उपचुनाव में किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ती माहेश्वरी ने कांग्रेस के तनसुख बोहरा को 5 हज़ार मतो से हराया था। इस बार किरण माहेश्वरी का भाजपा के स्थानीय कर्यकर्ताओ द्वारा बाहरी ने नाम पर विरोध जताया गया था। नाराज़ कार्यकर्तोओं ने भाजपा दफ्तर में तोड़फोड़ भी की थी। यहाँ से अन्य उम्मीदवार के रूप में भाजपा के बागी दिनेश बडाला भी मैदान में है।
इस सीट से कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी को उम्मीदवार बनाया है यह वहीँ सीट से जहाँ से 2008 में डॉ सीपी जोशी 1 वोट से हारे थे और मुख्यमंत्री पद से चूक गए थे। भाजपा ने यहाँ से मेवाड़ के प्रूव राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ को उम्मीदवार बनाया है। फिलहाल इस सीट पर अन्य कोई दमदार उम्मीदवार नहीं होने से कांग्रेस भाजपा में सीधा मुकाबला है।
कांग्रेस ने यहां से वर्तमान विधायक सुदर्शन सिंह रावत को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक हरी सिंह रावत को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा कांग्रेस में यहाँ सीधा मुकाबला है।
भाजपा ने इस सीट पर वर्तमान विधायक सुरेंद्र सिंह राठोड को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने नए एवं युवा चेहरे योगेंद्र सिंह परमार को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट से अन्य उम्मीदवार के रूप में नीरज सिंह और अनूप सिंह भी मैदान में है। हालाँकि यहाँ भाजपा कांग्रेस में सीधा मुकाबला है।
प्रतापगढ़ ज़िले में दो विधानसभा है
कांग्रेस ने इस सीट पर वर्तमान विधायक रामलाल मीणा को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने हेमंत मीणा को उम्मीदवार बनाया है। यहाँ भी कांग्रेस भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। जबकि बीजेएमसी के मांगीलाल भी यहाँ उम्मीदवार के रूप में मौजूद है। इसके अतिरिक्त भारत आदिवासी पार्टी के मांगीलाल, बहुजन समाज पार्टी के कमल, बहुजन मुक्ति पार्टी के रामसिंह, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिन) के रंगलाल मीणा भी मैदान में है।
भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा की निधन के बाद यहाँ 2021 के उपचुनाव में विजयी रहे नगराज मीणा को कांग्रेस ने फिर से उम्मीदवार बनाया है। वहीँ भाजपा ने कन्हैयालाल मीणा को उम्मीदवार बनाया है। पिछले उपचुनाव में कांग्रेस के नगराज मीणा ने बीटीपी के बागी थावरचंद को 17 हज़ार मतो से परास्त किया था। भाजपा के खेतसिंह मीणा यहाँ तीसरे स्थान पर रहे थे। बीटीपी के बागी ने यहाँ दुसरे स्थान पर रहकर सबको चौंका दिया था। बीएपी के थावरचंद मीणा की उपस्थिति में त्रिकोणीय मुकाबला नज़र आ रहा है।
अब बात करते है वागड़ की 9 सीटों की जहाँ बांसवाड़ा की पांच और डूंगरपुर की चार सीट है यहाँ भारत आदिवासी पार्टी (BAP) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) की उपस्थित ने भाजपा कांग्रेस की नींदे उड़ा रखी है
कांग्रेस ने यहाँ से वर्तमान विधायक और मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव के बागी उम्मीदवार और पूर्व विधायक धनसिंह रोत को उम्मीदवार बनाया है। यहाँ पर भाजपा के बागी हकरू मईड़ा की उपस्थिति ने भाजपा को परेशानी में डाल रखा है। पिछली बार हकरू मईड़ा भाजपा के प्रत्याशी थे और धनसिंह रोत बागी थे। इस बार भी वहीँ टीम उम्मीदवार मैदान में है। जबकि कांग्रेस के बागी ने भी इस चुनाव को रोचक बना दिया है। जबकि बीटीपी से भगवती लाल डिंडोर भी मैदान में है
कांग्रेस ने इस सीट से मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीया को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने कृष्णा कटारा को मैदान में उतारा है। हालाँकि इस सीट पर कांग्रेस भाजपा का सीधा मुकाबला है हालाँकि बीएपी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है।
भाजपा ने यहाँ से वर्तमान विधायक कैलाश चंद्र मीणा को फिर से उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने शंकर लाल चरपोटा को अपना उम्मीदवार बनाया है। आदिवासी बहुल इस सीट पर बीएपी उम्मीदवार के साथ भाजपा कांग्रेस के बागी उम्मीदवारों ने भाजपा कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ दिया है।
पिछली बार कांग्रेस से बागी रहकर निर्दलीय चुनाव जीतने वाली रमिला खड़िया को इस बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। बीटीपी की प्रभाव वाली सीट पर भाजपा ने भीमा भाई डामोर को अपना उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की रमिला खड़िया की स्थित यहाँ मज़बूत मानी जा रही है।
भाजपा ने इस सीट से वर्तमान विधायक हरेंद्र निनामा का टिकट काटकर मानशंकर निनामा को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने नानालाल निनामा को उम्मीदवार बनाया है। बीएपी ने यहाँ से अशोक निनामा को टिकट दिया है जो की यहाँ त्रिकोणीय मुकाबला बना सकते है। हालाँकि बीटीपी ने भी यहाँ से धीरजमल निनामा को उम्मीदवार बनाया है। यहाँ मुकाबला कड़ा हो सकता है।
कांग्रेस ने यहाँ से वर्तमान विधायक गणेश घोघरा को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने नए चेहरे बंसीलाल कटारा पर दांव लगाया है। बीएपी की कांतिलाल रोत यहाँ कांग्रेस भाजपा की गणित बिगाड़ने में लगे हुये है। कांतिलाल रोत ने लोकसभा चुनाव ने ढाई लाख से अधिक मत प्राप्त किये थे।
पिछले चुनाव में बीटीपी की टिकट से विधायक बने राजकुमार रोत ने इस बार बीटीपी से अलग हुई बीएपी से मैदान में उतरे है जबकि कांग्रेस ने तीन बार सांसद और एक बार विधायक रह चुके ताराचंद भगोरा को उम्मीदवार बनाया है। जबकि भाजपा ने पूर्व मंत्री सुशील कटारा को मैदान में उतारा है यहाँ रोचक और त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।
पिछली बार इस सीट से बीटीपी के उम्मीदवार रामप्रसाद डिंडोर ने विजय हासिल की थी। इस बार भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने यहाँ से मोहनलाल रोत को टिकट दिया है। कांग्रेस ने इस सीट से कैलाश रोत को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने शंकरलाल देचा को टिकट दिया है यहाँ भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।
भाजपा ने यहाँ से वर्तमान विधायक गोपीचंद मीणा को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने नए चेहरे राकेश रोत को उम्मीदवार बनाया है। बीएपी के उमेश डामोर यहाँ से दोनों पार्टियों का समीकरण बिगाड़ सकते है।
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