मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला का किया स्वागत


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला का किया स्वागत

बुलडोजर न्याय पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला, भाजपा सरकार और नौकरशाही की तानाशाही पर रोक लगाने वाला - सिंघवी

 
SC Vrdict on Bulldozer action

उदयपुर 13 नवंबर 2024 । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) जिला कमेटी उदयपुर ने बुलडोजर न्याय पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश व फैसले का स्वागत किया है। 

माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उतराखंड, राजस्थान, हरियाणा, आसाम, दिल्ली सहित अन्य स्थानों पर भाजपा ने विरोधी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अल्पसंख्यक लोगों तथा अपराध मिटाने के नाम पर एफआईआर दर्ज होते ही घर का नक्शा, अवैध जगह और बुलडोजर न्याय के नाम पर बिना नोटिस, पर्याप्त सुनवाई का अवसर दिये बगैर लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाकर 2022 और 2023 में 1.53 लाख घरों को बुलज़ोडर से ढहा दिया। जिसके चलते गाँव, देहात और शहर में क़रीब 7.38 लाख लोग बेघर कर दिये गये। 

माकपा जिला सचिव राजेश सिंघवी ने कहा कि बुलडोजर न्याय पर सर्वोच्च न्यायालय बुलडोज़र का फैसला भाजपा सरकार और नौकरशाही की तानाशाही पर रोक लगाने का काम करेगा। नौकरशाही में बैठे अधिकारी संवैधानिक दायित्व निभाने की बजाय भाजपा अधिकारियों की कठपुतली बनकर बुलडोजर चला रहे थे। उदयपुर में मकान मालिक का पता तक न कर भाजपा नेताओं को संतुष्ट करने के लिए बुलडोजर चला दिया। 

माकपा शहर सचिव हीरालाल सालवी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से संविधान और हजारों लोगों के घर बुलडोजर से बचेगे। देश में भाजपा नेता किसी के घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी देते रहते थे। संविधान में सरकार का काम किसी को बेघर करना नहीं बल्कि बेघर को घर देना है। बुलडोजर न्याय प्रशासन द्वारा अपनी नाकामी छिपाने का खेल था।

माकपा पार्षद एडवोकेट राजेंद्र वसीटा ने कहा कि भारत के संविधान में राजनैतिक कार्यपालिका की बजाय नौकरशाही को स्थाई कार्यकाल देकर संविधान के अनुसार शासन चलाने की जिम्मेदारी सौपी गई थी। बुलडोजर न्याय में नौकरशाही अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में विफल साबित हुई थी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेश देने वाले अफसर की जबावदेही तय करना, लोगों के संवैधानिक अधिकारों का रक्षा कवच का काम करेगा। अब राजनेताओं के इशारे पर नौकरशाही द्वारा आदेश पारित करने का मतलब स्वयं को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करना होगा। 

माकपा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसले में बुलडोजर कारवाई के 15 बिंदुओं की गाइडलाइन जारी करने का भी स्वागत करती है। न्यायालय ने गाइडलाइन में कहां कि बुलडोजर कारवाई के लिखित नोटिस, नोटिस के जबाव के लिए 15 दिन का समय, बुलडोजर कारवाई केवल अंतिम विकल्प के रुप करने, किसी अपराध में नाम आने मात्र पर कारवाई न करने को कहा हे। न्यायालय ने याद दिलाया है कि अफसर जज बनने की कोशिश न करें। न्यायालय ने बुलडोजर कारवाई गैर कानूनी होने पर आदेश जारी करने वाले अधिकारी द्वारा संपति का पुनर्निमाण का आदेश भी दिया है। यह फैसला भाजपा द्वारा संविधान की शपथ लेकर गैर संवैधानिक तरीके से अल्पसंख्यकों को निशाने बनाने की राजनीति को भी गैर कानूनी बता दिया है। 

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal