13 अक्टूबर 1944 को जन्मे 79 वर्षीय गुलाबचंद कटारिया पिछले 46 सालो से मेवाड़ की राजनीती का अहम् हिस्सा रहे है। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक के पद पर चुने गए थे। तब से अनवरत चुनाव दर चुनाव मज़बूत होते गए और न सिर्फ विपक्षी पार्टी बल्कि अपनी ही पार्टी में अपने विरोधियो को भी लगातार पछाड़ते गए।
अब जबकि आज उन्हें असम का राज्यपाल बना दिया गया है तो एक प्रकार से उनके चुनावी राजनीती का अध्याय भी समाप्त हो गया है। अमूमन भारतीय राजनीती में किसी नेता के पोलिटिकल कैरियर उस वक़्त समाप्त माना जाता है जब उन्हें राज्यपाल बनाया जाता है। लिहाज़ा अब राज्यपाल बनने के बाद कटारिया की मेवाड़ में राजनीती का अध्याय समाप्त। अब वह संवैधानिक पद पर नियुक्त हो चुके है। इससे पूर्व कांग्रेस ने भी मेवाड़ के कद्दावर नेता मोहनलाल सुखाड़िया को राज्यपाल बनाकर उनका राजनैतिक जीवन समाप्त कर लिया था।
मेवाड़ भाजपा में सबसे ताकतवर चेहरा गुलाबचंद कटारिया का ही था। चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का या फिर स्थानीय निकायों के चुनाव में भी टिकट कटारिया के इशारे पर ही बंटते थे। यहाँ तक की कटारिया से मतभेद के चलते रणधीर सिंह भींडर को भी टिकट से हाथ धोना पड़ा था और उन्हें अलग से जनता सेना का निर्माण करना पड़ा था। किरण माहेश्वरी को राजनीती में लाने वाले भी कटारिया ही थे। लेकिन किरण माहेश्वरी की जब महत्वाकांक्षा बढ़ी तो उन्हें उदयपुर छोड़कर राजसमंद जाना पड़ा था। अब सवाल यह है कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद मेवाड़ में भाजपा खेवनहार कौन बनेगा ?
गुलाबचंद कटारिया वर्तमान में उदयपुर शहर विधानसभा के मौजूदा विधायक है। राज्यपाल बनने के बाद उन्हें विधायक पद से इस्तीफ़ा देना पड़ेगा। अब जबकि इस वर्ष राज्य विधानसभा के चुनाव भी होने है। इसलिए लगता नहीं की उदयपुर सीट पर उपचुनाव हो, हालाँकि कोई भी सीट छह महीने से अधिक खाली नहीं रह सकती है लेकिन चुनाव सम्भवतया दिसंबर में होने है। अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि उदयपुर में उपचुनाव होंगे या नहीं ?
लेकिन सवाल यह है कटारिया के बाद विकल्प कौन होगा ? अगर जैन उम्मीदवार पर भाजपा टिकी रहती है तो उदयपुर नगर निगम में उपमहापौर पारस सिंघवी और भाजपा महिला नेता अल्का मूंदड़ा एक विकल्प है। हालाँकि राह यहाँ भी आसान नहीं जैन उम्मीदवारों में ताराचंद जैन, प्रमोद सामर, आकाश वागरेचा जैसे कई नेता कतार में है।
यदि भाजपा ब्राह्मण चेहरे पर फोकस करती है वर्तमान जिलाध्यक्ष रविंद्र श्रीमाली भी एक विकल्प है। और अगर हाल ही की राजनैतिक घटनाक्रम और राजनीती में दिलचस्पी के चलते मेवाड़ के पूर्व राजघराने के लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ भी एक चेहरा हो सकते है। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ राजनीती में आने की इच्छा भी जता चुके है और हाल के पिछले दिनों में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के उत्तर प्रदेश के सीएम योगी समेत भाजपा के अनेक नेताओ के साथ मुलाकात कर अपनी संभावनाओं को बल दिया है।
जनता सेना सुप्रीमो महाराज रणधीर सिंह भिंडर ने कटारिया से मनमुटाव के चलते ही भाजपा से किनारा कर जनता सेना का निर्माण किया था। चूँकि अब कटारिया की अब मेवाड़ की राजनीती में दखल हटने के बाद महाराज रणधीर सिंह भिंडर के भाजपा में पुनः वापसी के रास्ते भी खुल गए है और वसुंधरा राजे से निकटता के चलते कयास लगाया जा रहा है जनता सेना का भाजपा में विलय हो सकता है।
गुलाबचंद कटारिया राजस्थान में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष थे, मेवाड़ के साथ साथ अब इस बात पर भी चर्चा तेज़ हो गई है की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा। फ़िलहाल राजेंद्र सिंह राठोड प्रतिपक्ष के उपनेता थे तो तो राजेंद्र राठोड को प्रमोशन मिलेगा अथवा चुनावी वर्ष में वसुंधरा की एंट्री होगा या दिल्ली से कोई और नाम सामने आएगा ?
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