उदयपुर 18 अक्टूबर 2021 । महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड़ ने ‘इण्डियन आर्किटेचरल ट्रेवल गाइड्स: यूडीआर उदयपुर’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। विमोचन के अवसर पर पुस्तक लेखिका डाॅ शिखा जैन एवं लेखक डाॅ मयंक गुप्ता उपस्थित थे।
ऐतिहासिक विरासतों से भरा खूबसूरत शहर उदयपुर जिसकी स्थापना मेवाड़ के 53वें महाराणा उदयसिंह द्वितीय द्वारा 16वीं सदी में की गई थी। प्राकृतिक परिदृश्यों, झीलों एवं ऐतिहासिक धरोहरों से सुसज्जित यह शहर अरावली पहाड़ियों से घिरा हुआ है। उदयपुर शहर को पर्यटक पूर्वी राजस्थान में स्थापित छोटा-सा स्वर्ग कहते हैं। उदयपुर की जीवन्त सांस्कृतिक विरासत, यहां के असाधारण रीति-रिवाज, स्थानीय शिल्प और लोक कलाएं आने वाले पर्यटकों को अभिभूत कर देने वाले है। यही सब बयां करती है यह विमोचित पुस्तक।
उदयपुर पर लिखी यह गाइड बुक बाहर से आने वाले पर्यटकों को मेवाड़ की कला और शहर की वास्तुकला से रू-ब-रू कराएगी। पुस्तक में स्थापत्य कला की शैलियां एवं वास्तुशिल्प शामिल हैं। उदयपुर गाइड बुक में उदयपुर शहर की स्थापना और 16वीं सदी से 21वीं सदी तक के विकास को दर्शाया गया है। जिसमें झीलों और कुओं-बावड़ियों, शहर की सिटी वाॅल, दुर्ग-महलों, हवेलियों, मन्दिरों, सार्वजनिक भवनों, स्मारकों, ऐतिहासिक उद्यानों और शहर के भीतर विभिन्न शिल्प समूहों सहित अपनी विरासत को दर्शाया गया है। वहीं पुस्तक में शहर के हेरिटेज मार्गो को भी दर्शाया गया है, जिसमें उदयपुर की जीवन्त विरासतों को ध्यान में रखते हुए इसे मेप, चित्र व जानकारियों के साथ डिजाइन किया गया है। पुस्तक उदयपुर के पारम्परिक पहनावें, तीज-त्योहारों, ऐतिहासिक व सुप्रतिष्ठित स्मारकों, जल निकायों आदि के बारे में प्रमुख सचित्र जानकारियां दर्शाती है।
पुस्तक की मुख्य विशेषताएं:
पुस्तक के प्रथम खण्ड में सिटी पैलेस संग्रहालय व महल के आन्तरिक स्थापत्य के बारे में बताया गया है। वहीं दूसरा खण्ड देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाजनक बिन्दुओं पर जैसे शहर की झीलें, घाट, मन्दिर और हवेलियों आदि का दर्शन कराता है।
दूसरे खण्ड में भट्टियानी चैहट्टा से गणगौर घाट तक ऐतिहासिक पदयात्रा का विवरण प्रस्तुत है। जिसमें पुराने शहर की सड़कें, हवेलियों, मन्दिर आदि को दर्शाते हुए पिछोला झील के गणगौर घाट तक का प्रमुख विवरणादि प्रस्तुत किया गया है। इसी तरह दूसरी ऐतिहासिक यात्रा में जगत शिरोमणि मन्दिर, घंटाघर, गणेशघाटी तथा गणेश घाटी से अंमराई घाट तक के ऐतिहासिक स्थलों का चित्रों सहित वर्णन प्रस्तुत किया गया है।
आगे तीसरी यात्रा क्रम में गुलाब बाग के ऐतिहासिक उद्यान, इमारत, कुएं-बावड़ियां, दूध तलाई हेरिटेज वाॅक, दूध तलाई के साथ ही विन्टेज कार संग्रहालय की यात्रा को दर्शाया गया है। चौथी यात्रा पिछोला झील के किनारे बने ऐतिहासिक महलों और घाटों के साथ-साथ विभिन्न छोटे बड़े टापूओं व ऐतिहासिक इमारतो को चित्रमय दर्शाया गया है।
पांचवी यात्रा फतहसागर के किनारे ऐतिहासिक उ़द्यानों और शिल्प क्षेत्रों के साथ 20वीं शताब्दी में निर्मित शहर को दर्शाया गया है। अन्त में छठी यात्रा आहड़ हेरिटेज वाॅक है जो शहर की सबसे पुरानी आहड़ नगरी है। इसमें आहड़ संग्रहालय और महासतियां स्मारक को दर्शाया गया है।
उदयपुर के साथ ही मेवाड़ के ऐतिहासिक महत्व के पहाड़ी किलों में चित्तौड़गढ़ और कुंभलगढ़ को भी स्थान दिया गया है। पुस्तक में विभिन्न क्यूआर कोड पर्यटन साइड्स को ढूंढने में मदद भी प्रदान करते है।
लेखक विवरण
आर्किटेक्ट डाॅ. शिखा जैन का भारत की सांस्कृतिक विरासत पर एक व्यापक पोर्टफोलियो है, जिसमें वे विश्व विरासत तथा संग्रहालय परियोजना पर कार्य करती है, जिसमें ‘द्रोणा’ आर्गेनाइजेशन के माध्यम से सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर के संरक्षण की विभिन्न परियोजनाएं सम्मिलित है। अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ के रूप में आप सिंगापुर, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, म्यांमार और जर्काता, इण्डोनेशिया और यूनेस्को के सरकारी संस्थानों को जानकारियां एवं सलाह प्रदान की है। डाॅ. शिखा जैन ने यूनेस्कों में नई दिल्ली के सलाहकार के रूप में कार्य किया है और यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति की विरासत विशेषज्ञ के रूप में भारत के संस्कृति मंत्रालय का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। डाॅ. शिखा जैन COFORT COMOS की उपाध्यक्ष तथा यूनेस्को सी2सी देहरादून में सलाहकार समिति की सदस्य हैं।
डाॅ. मयंक गुप्ता का पालन-पोषण और शिक्षा-दीक्षा उदयपुर में ही हुई है। डाॅ. गुप्ता 2003 से महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन में कार्यरत हैं। डाॅ. गुप्ता ने दी गेट्टी फाउण्डेशन, यूएसए के फंड पर सिटी पैलेस संग्रहालय के संरक्षण मास्टर प्लान जैसी परियोजनाओं में कार्य किया है, जो सिटी ऑफ़ स्ट्रास्बर्ग, फ्रांस के संयुक्त तत्वावधान में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ग्रांट से किया गया। डाॅ. गुप्ता वर्ष 2008 से महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन वार्षिक सम्मान समारोह के संयोजक के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।
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