प्रदेश की राजनीति में बवंडर शुरू-पायलट विरोधी करीब 70 विधायकों की इस्तीफे की प्रेशर पॉलिटिक्स
नाराज़ विधायकों का साधना न सिर्फ सचिन पायलट बल्कि आलाकमान के लिए भी टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रदेश की राजनीति में नया बवंडर शुरू हुआ हो गया जिसके संकेत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने की कवायद के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर नए चेहरे की तलाश के साथ मिलेने शुरू हो गए थे। गहलोत समर्थक विधायकों का गुट मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद सचिन पायलट के नाम पर नाराज हो गया है।
एक तरफ विधायक दल की बैठक से पहले ही गहलोत गुट के करीब 70 विधायकों ने गहलोत गुट के पसंदीदा उमीदवार और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी पी जोशी के घर पहुंचकर सामूहिक इस्तीफे देने की प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। कांग्रेस में सीएम बदलने के मुद्दे पर गहलोत समर्थक विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है।
वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट, उनके समर्थक एमएलए और कुछ अन्य विधायक विधायक दल की बैठक के लिए सीएम हाउस पहुंच गए हैं। इससे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन और पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने होटल पहुंचे। बैठक के बाद तीनों सीएम हाउस पहुंचे। लेकिन कई विधायकों के नहीं पहुंचने से बैठक रद्द हो गई।
अशोक गहलोत ने रविवार कहा था, ”कांग्रेस की परंपरा रही है कि चुनाव के दौरान या मुख्यमंत्री के चयन के लिए जब भी सीएलपी की बैठक होती है तो इसमें एक लाइन का प्रस्ताव पारित किया जाता है। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष को निर्णय लेने का अधिकार देने की बात होती है। मुझे विश्वास है कि यह आज भी होगा।”