जयपुर-राजस्थान विधानसभा में सोमवार को कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण विधेयक पर चर्चा के दौरान विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने कहा कि कोचिंग संस्थानों की बढ़ती संख्या हमारी शिक्षा प्रणाली की असफलता का संकेत है। यदि विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मार्गदर्शन उपलब्ध होता, तो विद्यार्थियों को अतिरिक्त कोचिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण स्थापित करने के अपने प्रयास में गुणवत्ता और संतुलन बनाए रखें, ताकि विद्यार्थियों और छोटे स्तर के संस्थानों को किसी प्रकार की अनावश्यक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।
गुणवत्ता पर ध्यान आवश्यक, केवल शुल्क नियंत्रण पर्याप्त नहीं
विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने कहा कि कोचिंग संस्थानों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू प्रशिक्षकों की गुणवत्ता है। यदि विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय शिक्षण और मार्गदर्शन मिलेगा, तो उनका भविष्य स्वतः ही सुरक्षित होगा। केवल शुल्क नियंत्रण की नीति से कोचिंग संस्थानों की चुनौतियाँ हल नहीं होंगी, बल्कि यह अधिक महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक संस्थान में अनुभवी और योग्य प्रशिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो।
सरकार ऐसा कोई भी नियम न बनाए जिससे छोटे शहरों में संचालित लघु स्तर के संस्थानों को आर्थिक और प्रशासनिक दिक्कतों का सामना करना पड़े। ऐसे कोचिंग संस्थानों पर कड़ी निगरानी रखी जाए जो भ्रामक और अतिशयोक्ति पूर्ण विज्ञापनों के माध्यम से विद्यार्थियों को गुमराह करते हैं।
मानसिक तनाव और दबाव से बचाव जरूरी
विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने विद्यार्थियों पर बढ़ते मानसिक दबाव को गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों की कठोर दिनचर्या और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल से बच्चों का मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है। यह उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक संस्थान में विद्यार्थियों के लिए विशेषज्ञ परामर्श और काउंसलिंग की सुविधा होनी चाहिए, ताकि वे परीक्षा के दबाव को बेहतर तरीके से संभाल सकें। अभिभावकों, शिक्षकों और संस्थान प्रबंधकों के बीच नियमित संवाद स्थापित करने की व्यवस्थित प्रणाली विकसित की जाए, जिससे बच्चों की प्रगति और मानसिक स्थिति पर सही निगरानी रखी जा सके। छोटी आयु के बच्चों पर अतिरिक्त ट्यूशन और कोचिंग के प्रभावों को लेकर व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि अभिभावक बच्चों की क्षमताओं और जरूरतों के अनुसार निर्णय ले सकें।
अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप से बचना जरूरी
विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने इस विधेयक में प्रस्तावित नियंत्रण तंत्र पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि अत्यधिक सरकारी हस्तक्षेप से शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका रहती है। यदि नियंत्रण व्यवस्था अनावश्यक रूप से कठोर होगी, तो इससे कुछ बड़े संस्थानों को ही लाभ होगा, जबकि छोटे और मध्यम स्तर के कोचिंग केंद्र अस्तित्व संकट का सामना कर सकते हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि संस्थानों की स्वायत्तता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के बीच संतुलन बनाया जाए। सरकार का निगरानी तंत्र छात्रों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने तक सीमित हो, न कि संस्थानों के संचालन में अत्यधिक हस्तक्षेप करने वाला हो। नियंत्रण के साथ-साथ कोचिंग संस्थानों को शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
राजस्थान विधानसभा में हुई इस चर्चा के दौरान विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने प्रशिक्षा संस्थानों पर नियंत्रण से जुड़ी नीतियों पर व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सरकार की यह पहल तभी सफल होगी जब यह गुणवत्ता, संतुलन और पारदर्शिता पर आधारित होगी। विद्यार्थियों की शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए, कोचिंग संस्थानों की भूमिका को सकारात्मक रूप से सशक्त बनाना ही इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।
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