उदयपुर। पिछले दिनों मुंबई शहर के घाटकोपर इलाके में अचानक से बिल बोर्ड होर्डिंग के गिर जाने से करीब 16 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग इस हादसे में घायल हो गए। इस घटना ने न सिर्फ मुंबई बल्कि पुरे देश को चौंका दिया। लेकिन कहीं ना कहीं इस घटना ने प्रशासन और एजेंसियों की पोल भी खोल दी की वह लोगों की सुरक्षा और जान को लेकर कितना फिक्रमंद है।
जी हां क्यूंकि प्रशासन ही शहरों में ऊँची ऊँची होर्डिंग लगाने की परमिशन और लाइसेंस देता है जिस पर विभिन्न कंपनियां अपने विज्ञापन लगाया करती है जिसके एवज में इन प्रशासनिक एजेंसियों को रेवेन्यू प्राप्त होता है। ऐसा ही कुछ हाल हमारे शहर उदयपुर का भी है, चाहे शहर के चौराहे हों या फिर बिल्डिंग की ऊँची छतें और दीवारें, जहां भी नजर जाती है चारो ओर होर्डिंग्स ही नजर आती है। कुछ आड़े, कुछ तिरछे, कुछ छोटे कुछ मोटे तो कुछ आसमान तक तने हुए विशाल होर्डिंग। बस नजर उठा कर दूर से देखते ही चले जाइये।
उदयपुर शहर की शायद ही ऐसी कोई सड़क हो जिस पर होर्डिंग नहीं लगे हों। यदि ऐसी कोई सड़क है तो यकीन जानिये, उस पर आज ही होर्डिंग लगने ही वाला होगा। इन होर्डिंग से नगर निगम को हर महीने अच्छा खासा रेवेन्यू जनरेट हो रहा है। हालाँकि की ये रंग बिरंगी होर्डिंग शहर को रंगीन तो बना देती है लेकिन अब मुंबई में आये तूफ़ान के बाद हुए हादसे के बाद होर्डिंग और सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं।
मुंबई में जो होर्डिंग गिरा उसने 16 लोगों की जान ले ली, 74 लोग घायल हो गए। यह होर्डिंग 100 फीट ऊंचा और 250 टन वजन का था जो तूफान के दौरान पेट्रोल पंप पर गिर गई। उदयपुर शहर के लगभग हरेक नुक्कड़ पर बड़े-बड़े होर्डिंग नजर आ रहे हैं। इनकी लंबाई एक जैसी नहीं है। कई होर्डिंग तो जर्जर हो रही है तो कई टिके हुए हैं उनकी ईंटें नजर आ रही है।
ऐसे में जब Udaipur Times की टीम ने नगम निगम के अधिकारियों से होर्डिंग की स्थिति के बारे में जानने की कोशिश की तो निगम के अधिकारी नीतिश भटनागर ने बताया की शहर में लगभग 50 ऐसी होर्डिंग हैं जो रूफ टॉप पर लगी हुई है, निगम द्वारा ऐसी रूफ टॉप होर्डिंग्स को 2010 के बाद लाइंसेस नहीं दिया गया है, ऐसे में इन बिल्डिंग के मालिक जिनकी छतों पर होर्डिंग लगी हुई है उन्होंने हाई कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया है। लेकिन निगम द्वारा उन्होंने होर्डिंग को लेकर कोई परमिशन नहीं दी गई है।
भटनागर ने बताया की ऐसे में निगम द्वारा पूर्व में इन्हे लेटर लिख कर ये भी अवगत करवा दिया गया था की अगर भविष्य में कोई हादसा होता है तो उसकी जिम्मेदारी निगम की नहीं रहेगी। तब से ही ऐसे सभी रूफ टॉप होर्डिंग्स लगाने वाले लोग स्टे को आधार बनाकर ही इन्हे संचालित कर रहे है। तो वहीँ भटनागर ने बताया की शहर में 150 ऐसी होर्डिंग है जो निगम की जूरिस्डिक्शन में हैं, इनमे से ज्यादातर सड़क के कनारे पर लगी हुई है। उन्होंने कहा की इनमे से भी लगभग सभी होर्डिंग्स को निगम द्वारा मोनो पोल्स में बदल दिया गया है जिनकी साइज़ 20x10 और 16x8 रखी गई है इनका शुल्क भी उनकी साइज पर ही निर्भर करता है। इन होर्डिंग्स की मेंटनेंस के बारे में बताते हुए भटनागर ने बताया की इन सभी होर्डिंग्स की मेंटनेंस की जिम्मेदारी सालाना बेसिस पर होर्डिंग को किराये पर लेने वालो की ही रहती है, निगम सिर्फ इन्हे लाइंसेंस जारी करने और परमिशन देने का काम करती है।
उन्होंने बताया की शहर में लगाए गए होर्डिंग्स से निगम को रेवेन्यू मिलता है इसके लिए निगम विज्ञापन लगाने वाले को होर्डिंग किराए पर देती है और साथ ही इन होर्डिंग्स का सालाना मेंटनेंस भी किया जाता है। निगम ने जनता की सुरक्षा और होने वाले हादसे को टालने की नियत से होर्डिंग की जगह अब सभी को यूनिपोल बना दिया है साथ ही उसमे इस्तेमाल होने वाली मेटल की शीट को भी इनमे से हटा दिया गया है। ताकि विपरीत हालातों में या जब तेज हवा चलने और तूफ़ान आने जैसे हालत में सिर्फ विज्ञापन के फ्लेक्स को ही नुक्सान पहुंचे और सड़क से गुजर रहे किसी भी राहगीर को कोई हानि नहीं हो, जो पिछले सालों में देखने को मिलती थी।
साथ ही निगम के अधिकारियो से मिली जानकारी के अनुसार जुलाई 2023 में निगम द्वारा न्यूज़ पेपर में एक आम सुचना जारी की गए थी जिसमे सभी विज्ञापन एजेंसियों, भवन मालिकों एवं विज्ञापन प्रदाता फर्म जिसमे भवन की छत पर होर्डिंग लगे है उन्हें ये सूचित किया था की नगर निगम उदयपुर द्वारा छतों पर होर्डिंग के लिए कोई भी अनुज्ञा (परमिशन) वर्ष 2010 से नहीं दी जा रही है। साथ ही इस आम सूचना में ये भी अवगत कराया गया था की वर्षाकाल, आंधी- तूफ़ान, तेज हवाओ से होने वाले हादसे या जनहानि के लिए भवन मालिक, विज्ञापन एजेंसी और विज्ञापन प्रदाता फर्म स्वयं ही जिम्मेदार होगी और जनहानि को रोकने के लिए आप स्वयं आवश्यक कार्यवाही करावे।
साथ ही अधिकारीयों का कहना था की गत सालों में निगम द्वारा इन रूफ टोप होर्डिंग के खिलाफ कार्यवाही करने का प्रयास भी किया था लेकिन वह कंटेम्प्ट माना गया था। ऐसे में फिलहाल कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती।
गौरतलब है की उदयपुर में भी कुछ सालों पहले देहलीगेट चौराहे पर कलेक्ट्री के सामने बने एयर पैलेस बिल्डिंग पर लगे होर्डिंग के पाइप अचानक से गिरने से एक नौजवान की मोत हो गई थी जिसने पुरे शहर को हिलाकर रख दिया था। जानकारी के अनुसार घटना वाले दिन दोपहर में एक युवक एयर पैलेस बिल्डिंग के नीचे खड़ा किसी का इंतजार कर रहा था तभी अचानक से वहां लगे एक होर्डिंग का एक पाइप जो की मेंटनेंस सही वक़्त पर नहीं होने से लूज़ हो गया था, वह सीधा नीचे गिरा और नीचे खड़े युवक के सर के आर पार हो गया, घायल अवस्था में उसे हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई थी।
इस चौंका देने वाली घटना से शहर में बड़े लम्बे समय तक चर्चाओं में रही और आज भी कभी लोगों के जुबान पर आ ही जाती है, लेकिन उस बेगुनाह युवक की मौत का जिम्मेदार कौन है, और क्या आज शहर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति को झेलने की स्थिति में है।
क्या भवन मालिक, विज्ञापन एजेंसी और विज्ञापन प्रदाता फर्म और निगम के बीच में स्टे को लेकर चल रहे इस परिस्थिति में आम जनता को एक बार फिर ऐसी ही किसी घटना का गवाह बनाना पड़ेगा ? ऐसे में इस समस्या का क्या समाधान है ?
अगर बात करें मुंबई में घाटकोपर में हुई दुर्घटना की तो इसमें भी कई सवाल खड़े होते है। जैसे की क्या घटना से पहले मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को इस बात की जानकारी नहीं थी की जो होर्डिंग गिरा वह अवैध रूप से संचालित था? क्या इतना बड़ा होर्डिंग जो शहर के बीच एक पेट्रोल पंप के पास लगा हुआ था , उस परमुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अधिकारीयों का ध्यान कभी भी नहीं गया ? क्या ज़िम्मेदारो के पास क्षेत्र में कितने होर्डिंग लगें है, उसमे से कितने वैध है और कितने अवैध इसकी कोई जानकारी कोई डेटा नहीं था ? या फिर बात कुछ और थी ?
हालाँकि अब 15 अधिक लोगों की जान जाने के बाद प्रशासन जागा है। न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक अब मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को ये जानकारी प्राप्त हुई है की गिरने वाली होर्डिंग की कंपनी Ego Media Pvt. Ltd ने उसी क्षेत्र में 8 अन्य होर्डिंग अवैध रूप से लगा रखे थे। साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की जाँच में ये भी सामने आया की गिरने वाली होर्डिंग को लगाते समय कंपनी ने कुछ पेड़ भी काटे थे ताकि वह होर्डिंग सही ठंग से दिखाई दे।
गौरतलब है की घटना के बाद हुई जाँच में गिरने वाली होर्डिंग की कंपनी का मालिक फरार चल रहा था जिसे पुलिस ने उदयपुर से गिरफ्तार किया। बताया गया की उसके खिलाफ पूर्व में भी कई आपराधिक मामले दर्ज है।
न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक एम्एसएचआरसी (MSHRC) की बेंच के ऑर्डर्स के अनुसार "महज कंप्लेंट को पढ़ने से तो यह प्रतीत होता है की डिपार्टमेंट एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहा है, साथ ही रेस्पोंडेंट्स के अलावा मुंबई में सभी को इस बात की जानकारी थी की वह होर्डिंग अवैध रूप से लगी थी।
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