उदयपुर, 9 जून 2022 । मिलावटखोरों के खिलाफ सख्ती बरतने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर से अभियान संचालित करने जा रहा है। अभियान के तहत इस बार खाद्य प्रतिष्ठानों के साथ-साथ मेडिकल स्टोर पर भी नशीली एवं नकली दवाओं की जांच की जाएगी। इस संबंध में खाद्य एवं औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से आदेश जारी किए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिनेश खराड़ी ने बताया कि 10 जून से शुरू होने वाले इस अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार की ओर से जारी आदेशों के अनुसार फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006, ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट 1940, तथा ड्रग एवं मैजिक रेमेडी एक्ट 1954 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
अभियान के सफल संचालन के लिए जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा के निर्देशन में जिले के हर उपखंड स्तर पर एक टीम गठित की गई है जिसमें खाद्य सुरक्षा अधिकारी के अलावा पुलिस उप अधीक्षक/पुलिस निरीक्षक, विधि माप विज्ञान अधिकारी, सहायक औषधि नियंत्रक, डेयरी प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। टीम का प्रतिनिधित्व उपखंड अधिकारी/ खंड विकास अधिकारी/ तहसीलदार के द्वारा किया जाएगा।
विभागों की संयुक्त टीम में खाद्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा दूध, मावा, पनीर व दुग्ध उत्पादों, आटा, बेसन, खाद्य तेल, घी, सूखे मेवे व मसालों इत्यादि की जांच की जाएगी वही विधि माप विज्ञान अधिकारी द्वारा प्रतिष्ठानों पर बाट एवं माप की जांच की जाएगी।
टीम में शामिल सहायक औषधि नियंत्रक द्वारा नशीली व नकली दवाओं की बिक्री रोकने के लिए चिन्हित मेडिकल स्टोर के निरीक्षण के साथ-साथ नकली व अवमानक दवाओं के संदिग्ध मेडिकल स्टोर की जांच व नमूने लेना, आपत्तिजनक विज्ञापन व चमत्कारी औषधियों के प्रकरण के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई के लिए एफआईआर दर्ज करवाने, नशीली व नकली दवा पाए जाने पर लाइसेंस निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा पुलिस विभाग द्वारा इन मामलों में कानूनी कार्रवाई के साथ साथ डिकॉय ऑपरेशन में भी सहयोग किया जाएगा।
डॉ खराड़ी ने बताया कि खाद्य पदार्थों में मिलावट की रोकथाम के लिए मिलावटी खाद्य सामग्री के मामलों का निस्तारण राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार 90 दिन की अवधि में किया जाएगा।
खाद्य एवं औषधी नियंत्रण विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार खाद्य पदार्थों के सब स्टैण्डर्ड, मिस ब्रॉड व अनसेफ के प्रकरणों की आवश्यक जांच के बाद चालान एडीएम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। ऐसे प्रकरणों की एडीएम न्यायालय द्वारा सप्ताह में एक बार सुनवाई करते हुए 90 दिवस के भीतर उसका निस्तारण किया जाएगा।
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