उदयपुर 23 सितंबर 2022 । पिछले करीब 4 दशक से उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन के ठीक सामने बसी बस्ती के लोगों द्वारा किए गए अवैध निर्माण पर शुक्रवार अल सुबह नगर निगम का बुलडोज़र आखिरकार चल ही गया।
इस कार्यवाही को पुलिस, प्रशासन और नगर निगम के आला अधिकारीयों कि मौजूदगी में अंजाम दिया गया। जानकारी ले अनुसार इस बस्ती में रहते वाले परिवारों द्वारा मुख्य सडक पर सफ़ेद पट्टी तक अतिक्रमण कर लिया गया था जिसको निगम और प्रशांसन ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए हटवाया।
इस मौके पर सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर चंद्रशील ठाकुर, डिप्टी एसपी तपेन्द्र मीणा, तीन थाने के थानाधिकारी और भारी पुलिस बल भी साथ में तैनात रहा। इस मौके पर अतिक्रमण समिती के अध्यक्ष छोगालाल भोई और अन्य कार्यकर्ता और निगम और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
जानकारी के अनुसार इस कार्यवाही को निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहट के निर्दशन में अंजाम दिया गया।कार्यवाही के दौरान मुख्य सड़क से अतिक्रमण हटाया गया, तो वहीं पीछे बने मकानो को तोड़ा नही गया।
निगम के आयुक्त हिम्मत सिंह बारहट ने बताया कि बस्ती के लोगों ने सड़क कि सफ़ेद लाइन तक अतिक्रमण करके लकड़ी के सामान डिस्प्ले किये हुए थे जिस से शहर की सुंदरता और यातायात व्यवस्था बिगड़ रही थी, पूर्व में इसी स्थान में एक्सीडेंट भी हों चुके हैं। जो अतिक्रमण सड़क में फ्रंट लाइन में आ रहे हैं उन्हें तोड़े ज़ा रहे हैं। बारहट ने कहा कि किसी को प्रताड़ित करने का उद्देश्य नही हैं सिर्फ शहर के लोगों कि सुविधा ही प्राथमिकता हैं,10-12 फिट तक अतिक्रमण था जिस को हटाया ज़ा रहा हैं और एक बार इसके हटने के बाद इसे खोद कर नींव भरी जाएगी और फिर एक दिवार का निर्माण कर दिया जाएगा।
निगम के उपमाहापौर पारस सिंघवी ने कहा कि नगाम द्वारा किसो को परेशान करने को कोई मंशा नही हैं, बस्ती के कुछ लोगों ने रेलवे स्टेशन के सामने वर्षो से अवैध अतिक्रमण किया, जब भी कोई पर्यटक उदयपुर घूमने आता हैं और स्टेशन के बाहर निकलता हैं तो अच्छा सन्देश नही जाता हैं, इस अतिक्रमण को हटाने के प्रयास पिछले दो सालों से किए ज़ा रहे थे जिसको आज अम्ली जामा पहनाया गया हैं। सिंघवी ने कहा कि निगम का उदेश्य सिर्फ अतिक्रमण हटाना हैं ना कि किसी गरीब व्यक्ति का घर उजाड़ना।
क्षेत्रवासियों का कहना हैं कि अतिक्रमण के खिलाफ कि ज़ा रही कार्यवाही से उन्हें कोई आपत्ति नही हैं। लेकिन वो चाहते हैं कि प्रशासन उन्हें किसी और जगह पुनः बसाने का इंतजाम करें, उनका कहना हैं कि इस बस्ती में करीब 300 से ज़्यादा परिवार पिछले 40 सालों से रहते आए हैं, ऐसे में अब वो कहाँ जाएंगे।
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