पिछोला झील के किनारे स्थित मांझी का घाट, जो कि अमराई घाट के नाम से जाना जाता है, पर प्रवेश शुल्क लगा दिया गया है। इस प्रवेश शुल्क का आम जनता में रोष है। मंदिर परिसर में जाने वाले दर्शनार्थियों को भी घात में प्रवेश शुल्क देना पड़ रहा है। भारतीय नागरिकों के लिए रु 10 का शुल्क लगाया है और विदेशी मेहमानों के लिए पाँच गुना ज़्यादा रु 50 का शुल्क लगाया गया है। इसके आलावा परिसर में कैमरा ले जाने पर रु 200 का शुल्क है एवं शूटिंग करने का किराया रु 2,500 एवं ड्रोन कैमरा से शूटिंग का शुल्क रु 5,000 है।
यही नहीं, अमराई घाट में आने जाने के वक़्त में भी पाबंदियाँ लगा दी गई हैं। देवस्थान विभाग द्वारा लगाए गए नोटिस में समय सुबह 7 से 9:30 और शाम 5 से 7 कर दिया गया है। वहीँ परिसर में विभाग की अनुमति के बगैर फोटोग्राफी करना भी मना कर दिया गया है।
देवस्थान विभाग द्वारा लगाए गए इस शुल्क का कारण इस परिसर के देख रेख के लिए राजस्व उप्तन्न करना हो सकता है, जिसका कारण उदयपुर टाइम्स द्वारा घाट पर सफाई को ले कर उठाए गए सवाल हैं, जिस पर उदयपुर टाइम्स के द्वारा 25 अक्टूबर को की गई खबर में यह मुद्दा उठाया गया था। READ: 25 अक्टूबर की खबर (https://udaipurtimes.com/news/dirt-piled-up-at-amrai-ghat/cid5619386.htm)
खबर के बाद वार्ड पार्षद मदन दवे ने कहा कि यह परिसर देवस्थान विभाग के अधीन है, और इसका रख रखाव की ज़िम्मेदारी देवस्थान विभाग की है। देवस्थान विभाग से इस मामले पर सवाल पूछा गया तो देवस्थान विभाग की सहायक आयुक्त प्रियंका भट्ट ने बताया की देवस्थान विभाग जल्द ही मामले पर संज्ञान लेगा और साफ सफाई की व्यवस्था का हल निकालेगा। हालाँकि सफाई की ज़िम्मेदारी नगर निगम की होती है। READ: 26 अक्टूबर की खबर (https://udaipurtimes.com/news/manjhi-ghat-became-football-between-umc-and-devsthan/cid5624745.htm)
दिवाली के दौरान घाट का जायजा लेने गयी उदयपुर टाइम्स की टीम ने पाया की घाट पर साफ़ सफाई हो गई है और देवस्थान विभाग ने वहां से गंदा कचरा हटा दिया है। लेकिन अब देव स्थान विभाग ने रख रखाव के नाम पर आमजन और पर्यटकों से वहां जाने का टिकट लेना शुरु कर दिया है। अमराई घाट को देखने के लिए अब आमजन और पर्यटकों को टिकट खरीदने के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा। देवस्थान विभाग ने मंदिर आने वाले दर्शनार्थियों से भी शुल्क ले रहा है। यहां की सफाई का खर्च मंदिर में आने वाले भक्तो, आमजन और पर्यटकों से लिया जा रहा है। जहां तक फोटोग्राफी और विडियोग्राफी के लिए शुल्क का सवाल है, तो शुल्क लेना सही है, लेकिन मंदिर में आ रहे दर्शनार्थियों एवं घाट पर आ रहे आमजन एवं पर्यटक से शुल्क लेना कहाँ तक सही है। कल क्या यह भी हो सकता है कि पर्यटन स्थल के रख रखाव के नाम पर फतहसागर, गुलाब बाग़, सुखाडिया सर्किल आदि जगहों पर शुल्क लगा दिया जाए?
देव स्थान विभाग की ओर से यहां इतने दिनों से कोई सुध नहीं ली जा रही थी। जब उदयपुर टाइम्स ने खबर लगाई तो वहां से गंदा कचरा हटाने के साथ मांझी घाट पर बने पार्क की घास को भी काटा जा रहा है। हालाँकि साफ़ सफाई के लिए जो कर्मचारी नियुक्त किया गया है वह 60 साल से ऊपर के बुज़ुर्ग हैं, जिन्हें 120 रूपये प्रतिदिन यानि 3600 रूपये मात्र प्रतिमाह के वेतन पर रखा गया है।
अमराई घाट पर झील के किनारे लगी बंसियों का एक हिस्सा टूट कर पानी में समाहित हो चूका है। घाट का हिस्सा पिछोला नदी के बीचों बीच है और गहराई ज्यादा है। प्रशासन या देवस्थान तब जागेगा जब कोई झील में गिरेगा या कोई हादसा पेश आएगा। इन सब रख रखाव के मुद्दों के होते हुए आमजन से किस बात का टिकट लिया जा रहा है, यह सवाल जनता प्रशासन से पूछने का हक रखती है।
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