राजसमंद 6 मार्च 2025। होली के पश्चात पुरातन परम्परा अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग समूह बनाकर भीम, देवगढ़, ब्यावर, मांड़ल तथा आसींद में होली के पश्चात् ऐहड़ा प्रथा के तहत अवैध रूप से जंगली जानवरों का विशेषतः खरगोश, तीतर, बटेर, मोर व हिरण का शिकार करते है।
उप वन संरक्षक कस्तूरी प्रशांत सुले ने बताया कि अवैध शिकार वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है। लोगों से अपील है कि वे ऐहड़ा प्रथा (सामूहिक शिकार) में भागीदार नहीं बने तथा ऐसे कार्यों को रोकने के लिए लोगों में जागृति पैदा करें।
सूले ने बताया कि यदि किसी को ऐहड़ा प्रथा के संबंध में कोई जानकारी मिले तो वे निकटतम पुलिस थाना अथवा वन विभाग के किसी भी कार्यालय में सूचित करें। ऐहड़ा प्रथा (सामूहिक शिकार) खेलने वालों के विरुद्ध वन तथा पुलिस विभाग द्वारा संयुक्त रूप से अभियान चलाकर कार्यवाही की जावेगी।
सूले ने कहा है कि निरीह वन्य प्राणियों को शिकार न करे कानूनी कार्यवाही से बचे एवं वन्यजीव संरक्षण में सहयोग प्रदान करे।
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