उदयपुर 8 अप्रेल। पशुपालन विभाग राजस्थान, जयपुर के निदेशक एवं राज्य जीवजन्तु कल्याण बोर्ड ने भीषण गर्मी में भारवाहक पशुओं के उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने बताया कि बोर्ड सचिव डॉ. आनन्द सेजरा ने दिशा निर्देश जारी किए। इसमें बताया कि बढ़ती गर्मी में पशुओं को उपयोग में लेना दण्डनीय अपराध है। बढ़ती गर्मी के कारण भारवाहक पशुओं यथा घोड़ों, गधों खच्चरों, बैलों और भैंसों इत्यादि को लम्बे समय तक धूप में काम में लेने से पड़ने वाले दुष्प्रभाव के कारण उन्हें अनावश्यक दर्द, हीट स्ट्रोक और मौत होने की संभावना रहती हैं।
डॉ. आनन्द सैजरा के अनुसार पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3 के अनुसार किसी जीव जन्तु की देखभाल करने वाले या उसे रखने वाले हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह ऐसे जीव जंतु का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए और ऐसे जीव जंतु को अनावश्यक पीड़ा या यातना देने का निवारण करने के लिए सब युक्तियुक्त उपाय करेगा।
भार ढोने वाले एवं माल ढ़ोने वाले पशुओं के प्रति कूरता निवारण नियम 1965 के नियम 6 के उपनियम 3 के अनुसार जिन क्षेत्रों में तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहता हो वहां दोपहर को 12 बजे से 3 बजे के बीच पशु को न उपयोग में लेगा न लेने देगा। पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (पशुओं का पैदल परिवहन) नियम, 2001 के नियम 12 के अनुसार 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर किसी जानवर का पैदल परिवहन नहीं करेगा।
ग्रीष्मकालीन के दौरान दोपहर के समय अत्यधिक गर्मी होने के कारण भारवाहक पशुओं का उपयोग प्रतिबंधित रखने तथा ऐसे भारवाहन तथा कृषि प्रयोजनार्थ काम में आने वाले पशुओं के लिए पानी, भोजन व छाया की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करवाने के संबंध में एवं व्यापक जनजागरूकता पैदा करने के लिए प्रचार-प्रसार के निर्देश जारी किये। डॉ. छंगाणी ने बताया कि इस मौसम में पशुओं को डिहाईड्रशन से बचाने के लिए उन्हें समय समय पर स्वच्छ पानी एवं संतुलित आहार उपलब्ध करवाते रहें।
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