सेव उदयपुर - नीमचमाता रोपवे के नाम पर हो रहे विकास को विनाश बताया राजेश सिंघवी ने
जोशीमठ की घटना के बाद अब देश भर में मौजूद पहाडियों और पहाड़ी श्रंखलाओ और उनके आस-पास के वातावरण को बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किये जा रहे है। इस से जुडे कई बड़े फेसले आए दिन मीडिया में पढने को मिल रहे है। पहाडियों की सुरक्षा को लेकर ऐसा ही एक बड़ा फेसला शुक्रवार 3 फरवरी को गुजरात हाई कोर्ट ने लेते हुए राज्य सरकार, जूनागढ़ ज़िले के प्रशासन और वन विभाग को एक नोटिस जारी किया।
हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने ये फेसला एक पी.आई.एल (PIL) को मद्दे नजर रखते हुए लिया, जिसमे ये मांग की गई थी की गिरनार हिल मंदिर (Girnar Hill Temple) के आस पास सही तरीके से साफ़-सफाई हो और पहाड़ी पर बने इन मंदिरों के आस पास ठोस और तरल वेस्ट (कूड़ा-कचरा) का सही से निस्तारण किया जाए.और इसपर विभाग के अधिकारीयों से जवाब भी तलब किया है।
ऐसी एक मुहीम उदयपुर टाइम्स की टीम द्वारा उदयपुर की पहाड़ी पर मौजूद नीमच माता मंदिर के आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने, पेड़ ना काटने, वन जीवों को तकलीफ न होने के लिए चलाई जा रही है।
फिलहाल हमारे शहर के इस प्रतिष्टित मंदिर के पास चल रहा है नए रोप-वे का निर्माण कार्य, जिसे प्रशासन द्वारा पर्यटन को बढावा देने के नाम पर बनवाया जा रहा है। लेकिन इसको लेकर शहर के कुछ जिम्मेदार और जागरुक नागरिक इस निर्माण कार्य से ना-खुश है; कुछ ने तो इसके खिलाफ पी.आई.एल भी लगाई लेकिन वो ख़ारिज हो गई।
इस मुद्दे पर जब हमने शहर के वरिठ अधिवक्ता और समाज सेवी राजेश सिंघवी से बात की तो उनका कहना था की नीमच माता मंदिर जो की एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है वहां पर रोप-वे का निर्णय किया गया है। उन्होंने कहा की आजकल ये देखा जा रहा है की धार्मिक स्थालों जहाँ आस्था के नाम पर लोग इकठ्ठा होते है वहां पर तो वहां का प्रशासन या सरकर पर्यटन के नाम पर इस तरह से निर्णय लेती है की वहां पर बिजनेस (और लगे हाथ प्रशासन एवं निगम की इंकम) बढे।
उन्होंने कहा कि हम इसका एक परिणाम सम्मेद शिखर में देख चुके है में जहाँ पर सही से काम चल रहा था लेकिन केन्द्रीय सरकार ने अधिसुचना जारी करके उसे पर्यटन स्थल के रुप में विक्सित करने का जो निर्णय लिया उसके बाद जो लोग वहां शांति और भाईचारे से बरसों से साथ रहते आ रहे थे उनके बीच धर्म के नाम पर विवाद होने लगे। ऐसे ही अगर बात की जाए उत्तराखंड के जोशी मठ की तो वहां पर भी धार्मिक स्थल था लेकिन वहां पर भी विकास के नाम पर पर्यटन को बढ़ाने के लिए प्रयास किये गए जिसके दुष्परिणाम हमने देखे।
ऐसे विकास को सिंघवी ने विकास नहीं विनाश बताते हुए कहा की विकास के मायने होते है की जहाँ तरक्की हो, पर्यटक आए लेकिन इस तरह के विकास के और भी बहुत सारे रास्ते हैं। नीमच माता के पहाड़ को खोदने का मामला सिर्फ मंदिर से जुडी आस्था और रोप-वे तक ही सीमित नहीं है, इसके अलावा अगर बात की जाए वहां की जनता की तो उन्हें जमीनों के पट्टे सिर्फ ये कह कर नहीं दिए जा रहे हैं की ये तो वन विभाग की जमीन है। दूसरी ओर अगर प्रशासन चाहे तो सब तरीके की परमिशन, एनओसी सभी ले आते है विकास के नाम पर सभी तरह की कमर्शल एक्टिविटी शुरु करने की परमिशन मिल जाती है। एक आम आदमी के लिए रोड़े अटकाए जाते हैं और उन्हें कहा जाता है की आप को पट्टे नहीं दिए जा सकते। उन्होंने कहा की ऐसे में सरकार का दौहरा चरित्र सामने आया है, आम आदमी के लिए अलग नियम और खास आदमी के लिए अलग नियम।
उन्होंने कहा की शहर की जनता से उनकी अपील है की ये जो पर्यटन को बढावा देने के नाम पर हमारी आस्था है उसमे ये एक छेड़छाड़ है; मंदिर का जो सुकून है, जो शांति है उसके साथ कहीं न कही छेडछाड़ है। जो निर्णय लिया गया है उसे प्रशासन द्वारा वापस लेना चाहिए। नहीं तो जो हाल ही हमने जोशी मठ और सम्मेद शिखर पर देखें है एसी ही स्थिति उदयपुर में भी हो जाएगी उसके लिए सरकार और प्रशासन जिम्मेदार रहेंगे।
सिंघवी ने कहा की विकास के नाम पर केवल एक निर्माण कर दिया जाए वो सही नहीं है। जब उदयपुर के आम आदमी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ते है, उसके आगे बढ़ने के अवसर बढ़ते है तो वह सही मायने में विकास है, केवल सड़के बना देने, मूर्तियाँ बना देने या रोपवे बना बनाकर डाइवर्ट करने का काम किया जा रहा है, इस सब से आम आदमी के जीवन का स्तर ऊँचा नहीं उठता, न ही बेहतर बनता है।
सिंघवी ने कहा की उदयपुर का प्रशासन जिस तरह से गुमराह करने का काम कर रहा है उसके लिए उदयपुर की जनता को आगे आना चाहिए और इसका विरोध करना चाहिए, उन्होंने उम्मीद जताई की अगर सरकार में थोड़ी भी संवेदनशीलता है तो संवेदना दिखाते हुए तुरंत इस काम को रोके और जनता की भावनाओं का सम्मान करे।
इससे पहले शहर के प्रसिद्ध एवं सबसे बढ़े मंदिर जगदीश मंदिर के पुजारी ने भी नीमच माता पर बन रहे रोप-वे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी, जिसमे उन्होंने आस्था को ले कर सवाल उठाए थे।