एक तरफ क़तर में जहाँ फीफा वर्ल्ड कप में गोल पे गोल दागे जा रहे है तो वहीँ दूसरी तरफ अपने राजस्थान में सियासी फुटबॉल का दिलचस्प मैच हो रहा है। टीम गहलोत जहाँ मज़बूत डिफेन्स के बल पर टीम पायलट का गोल नहीं होने दे रही है तो टीम पायलट फ्री किक और पेनल्टी कॉर्नर के सहारे गोल दागने की फ़िराक में है। इधर, टीम गहलोत अपनी आक्रामक शैली के चलते तीन तीन खिलाड़ियों को 'येलो कार्ड' (नोटिस) दिलवा चुकी है।
फुटबॉल के मैच में किसी खिलाडी को रेफरी द्वारा येलो कार्ड मिल जाता है तो वह संभल कर खेलता है। दूसरी बार येलो कार्ड या सीधे रेड कार्ड मिलने पर मैदान से बाहर होने का खतरा मंडराता है लेकिन यह तो सियासी फुटबॉल है साहब यहाँ तो रेफरी को ही रेड कार्ड मिल जाया करता है। जैसे की राजस्थान के पुराने रेफरी अजय माकन खुद ही मैदान से बाहर जा चुके है, अब नए रेफरी के सी वेणुगोपाल सब्सिट्यूट रेफरी के तौर पर मैदान में उतरे है। हालाँकि असली रेफरी तो राहुल गाँधी ही होंगे।
जी हाँ राहुल गाँधी की भारत जोड़ो जल्द ही प्रदेश में प्रवेश करने वाली है। कल इंदौर में राहुल गाँधी ने प्रेस वार्ता में इस बात के संकेत भी दिए है। राहुल ने गहलोत और पायलट दोनों को ही एसेट बताया है। राहुल गाँधी शायद जानते है कि राजस्थान में जितने ज़रूरी गहलोत है उतने ही ज़रूरी पायलट भी है। दोनों को मनाना ही होगा। हर हाल में एक मंच पर लाना होगा। पंजाब के ज़ख्म अभी भरे नहीं है। जिस प्रकार कर्नाटक में डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सुलह करवा के हाथ मिलवाया उसी प्रकार राजस्थान में गहलोत और पायलट को गले लगवाना चाहते है राहुल गाँधी। इसके सिवाय कोई चारा भी नहीं है।
हालाँकि यह इतना आसान भी नहीं जितना लगता है। हो सकता है यात्रा के दौरान राहुल के आग्रह पर एक बारगी दोनों गले मिल भी जाए लेकिन दिल मिलेंगे क्या ? 2020 में जहाँ पायलट सेल्फ गोल कर चुके है वहीँ 2022 के एपिसोड में गहलोत समर्थको की अति आक्रामक शैली ने न सिर्फ सेल्फ गोल किया बल्कि तीन तीन येलो कार्ड (नोटिस) भी हासिल कर लिए। अभी दो दिन पहले की बयानबाज़ी जिसमे गहलोत ने पायलट को गद्दार तक कह डाला, ऐसे में सहज नहीं होगा स्थिति को संभालना।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal